अडानी समूह के ख़िलाफ़ रिपोर्ट को लेकर पत्रकारों को गिरफ़्तारी से दी गई सुरक्षा कोर्ट ने बढ़ाई

इन चार पत्रकारों को गुजरात पुलिस ने अडानी समूह की आलोचना करने वाली उनकी रिपोर्ट को लेकर तलब किया था. अडानी-हिंडनबर्ग विवाद को लेकर दो पत्रकारों द्वारा लिखी गई एक रिपोर्ट ऑर्गनाइज़्ड क्राइम एंड करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट की वेबसाइट पर प्रकाशित हुई थी, जबकि दो अन्य पत्रकारों की रिपोर्ट को फाइनेंशियल टाइम्स ने प्रकाशित किया था.

ऑस्ट्रेलिया में अडानी समूह की एक इमारत. (प्रतीकात्मक फोटो साभार: विकिमीडिया कॉमन्स/RegionalQueenslander. CC BY-SA 4.0.)

इन चार पत्रकारों को गुजरात पुलिस ने अडानी समूह की आलोचना करने वाली उनकी रिपोर्ट को लेकर तलब किया था. अडानी-हिंडनबर्ग विवाद को लेकर दो पत्रकारों द्वारा लिखी गई एक रिपोर्ट ऑर्गनाइज़्ड क्राइम एंड करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट की वेबसाइट पर प्रकाशित हुई थी, जबकि दो अन्य पत्रकारों की रिपोर्ट को फाइनेंशियल टाइम्स ने प्रकाशित किया था.

ऑस्ट्रेलिया में अडानी समूह की एक इमारत. (प्रतीकात्मक फोटो साभार: विकिमीडिया कॉमन्स/RegionalQueenslander. CC BY-SA 4.0.)

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बीते शुक्रवार (1 दिसंबर) को उन चार पत्रकारों को गिरफ्तारी से सुरक्षा प्रदान कर दी, जिन्हें गुजरात पुलिस ने अडानी समूह की आलोचना करने वाली उनकी रिपोर्ट को लेकर तलब किया था.

लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, गुजरात सरकार को अपना जवाब दाखिल करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया गया है.

बीते 3 नवंबर को पत्रकार रवि नायर और आनंद मंगनाले ने शीर्ष अदालत में गिरफ्तारी से राहत प्राप्त कर ली थी, जब अडानी-हिंडनबर्ग विवाद पर उनकी रिपोर्ट ऑर्गनाइज़्ड क्राइम एंड करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट (ओसीसीआरपी) की वेबसाइट पर छपने के बाद उन्हें नोटिस भेजा गया था. इसके बाद अदालत ने 10 नवंबर को फाइनेंशियल टाइम्स के दो अन्य पत्रकारों – बेंजामिन निकोलस ब्रुक पार्किन और क्लोई नीना कॉर्निश को भी राहत दी थी.

इसके बाद जब मामला बीते शुक्रवार को जस्टिस हृषिकेश रॉय और जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आया, तो ओसीसीआरपी पत्रकारों के वकील ने अनुरोध किया कि मामले की सुनवाई जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस प्रकाश कुमार मिश्रा की खंडपीठ द्वारा की जाए, जिन्होंने उन्हें सुप्रीम कोर्ट के नियमों के अनुसार राहत दी थी.

इस पर गुजरात सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि कोई भी सुनवाई के लिए खंडपीठ नहीं चुन सकता, क्योंकि यह सुप्रीम कोर्ट (कोई व्यक्तिगत खंडपीठ नहीं) है, जो मामले की सुनवाई कर रहा है.

ओसीसीआरपी की वेबसाइट पर संबंधित रिपोर्ट 31 अगस्त को प्रकाशित हुई थी, जिसका शीर्षक ‘Documents Provide Fresh Insight Into Allegations of Stock Manipulation That Rocked India’s Powerful Adani Group’ था. इसके बाद रिपोर्ट लिखने वाले नायर और मंगनाले को अहमदाबाद पुलिस की क्राइम ब्रांच ने अक्टूबर में यह कहते हुए बुलाया था कि वह योगेशभाई मफतलाल भंसाली नामक निवेशक के आवेदन के आधार पर प्रारंभिक जांच करना चाहती हैं.

दूसरी ओर गुजरात पुलिस ने अडानी समूह के एक निवेशक की शिकायत के आधार पर फाइनेंशियल टाइम्स के पत्रकारों को तलब किया था. फाइनेंशियल टाइम्स में प्रकाशित रिपोर्ट का शीर्षक Secret Paper Trail Reveals Hidden Adani Investors था.

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