पांच सालों में 13 हज़ार एससी-एसटी छात्रों के आईआईटी, आईआईएम छोड़ने समेत अन्य ख़बरें

द वायर बुलेटिन: आज की ज़रूरी ख़बरों का अपडेट.

(फोटो: द वायर)

केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री ने लोकसभा में बताया कि बीते पांच सालों में एससी, एसटी और ओबीसी वर्गों के आरक्षित श्रेणी के लगभग 13,626 छात्र देश के शीर्ष शैक्षणिक संस्थान छोड़े हैं. हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, बसपा के रितेश पांडे के एक सवाल के जवाब में मंत्री सुभाष सरकार ने यह जानकारी दी. छोड़े गए इन संस्थानों में केंद्रीय विश्वविद्यालय, आईआईटी और आईआईएम शामिल हैं. सरकार ने बताया कि पिछले पांच वर्षों में 4,596 ओबीसी, 2,424 एससी और 2,622 एसटी छात्रों ने केंद्रीय विश्वविद्यालय छोड़े, वहीं आईआईटी से 2,066 ओबीसी, 1,068 एससी और 408 एसटी छात्रों ने पढ़ाई छोड़ दी; आईआईएम के मामले में, ओबीसी, एससी और एसटी छात्रों के लिए आंकड़े क्रमशः 163, 188 और 91 थे. पांडे ने राष्ट्रीय कानून विश्वविद्यालयों (एनएलयू) के बारे में भी पूछा था, हालांकि मंत्री ने कहा कि उसका कोई डेटा उपलब्ध नहीं है.

मिज़ोरम विधानसभा चुनाव में एमएनएफ को सत्ता से बाहर करते हुए ज़ोरम पीपुल्स मूवमेंट की बड़ी जीत दर्ज की है. चुनाव आयोग के अनुसार, पूर्वोत्तर में एक नए क्षेत्रीय दल के तौर पर उभरे ज़ोरम पीपुल्स मूवमेंट ने 40 सदस्यीय मिज़ोरम विधानसभा की 27 सीटें जीती हैं. वहीं, सत्तारूढ़ मिज़ो नेशनल फ्रंट 10 सीटों के साथ दूसरे स्थान पर रही. भाजपा को दो और कांग्रेस को एक सीट मिली हैं. ज़ोरम पीपुल्स मूवमेंट न सिर्फ शीर्ष पर रहा है, बल्कि एमएनएफ और कांग्रेस के अलावा यह पहला ऐसा दल है, जो मिजोरम में विधानसभा चुनाव जीता है. 2018 के चुनावों में मिजो नेशनल फ्रंट ने 37.8 प्रतिशत वोट शेयर के साथ 26 सीटें हासिल की थीं. वहीं, कांग्रेस के खाते में 5 सीटें आई थीं, वहीं भाजपा को सिर्फ एक सीट मिली थी.

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की सालाना क्राइम रिपोर्ट में कहा गया है कि 2022 में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध, आत्महत्याएं, अचानक मौत की घटनाओं में वृद्धि देखी गई. द हिंदू के अनुसार, कुल अपराध दर 2021 के 7% से घटकर 2022 में 6.9% हो गई, लेकिन महिलाओं, बच्चों, एससी, एसटी और साइबर अपराधों सहित विशिष्ट श्रेणियों में हुए अपराध 2021 की तुलना में बढ़ गए. 2022 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के कम से कम 4,45,256 मामले दर्ज किए गए, जो 2021 से 4% अधिक थे. इसी तरह इसी साल बच्चों के खिलाफ अपराध के कम से कम 1,62,449 मामले दर्ज हुए, जो 2021 से 8.7% से ज्यादा थे. इसके साथ ही वरिष्ठ नागरिकों, एससी-एसटी के खिलाफ अपराधों में भारी वृद्धि देखी गई. वरिष्ठ नागरिकों के खिलाफ अपराध के लिए कुल 28,545 मामले दर्ज किए गए, जो 2021 (26,110 मामले) की तुलना में 9.3% अधिक था. अनुसूचित जाति के खिलाफ अपराध के लिए कुल 57,582 और एसटी समुदाय के खिलाफ अपराध के लिए कुल 10,064 केस दर्ज किए गए, जो 2021 की तुलना में क्रमशः 13.1% और 14.3% अधिक है.

उत्तर प्रदेश पुलिस ने डॉ. कफ़ील खान के खिलाफ उनके साल 2021 में प्रकाशित संस्मरण को लेकर ‘अल्पसंख्यक समुदाय को भड़काने’ का केस दर्ज किया है. इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, पुलिस ने रविवार को बताया कि लखनऊ के एक निवासी की शिकायत पर गोरखपुर के बीआरडी अस्पताल के निलंबित बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. खान के खिलाफ कृष्णानगर थाने में मामला दर्ज किया गया है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि ‘लोगों को यूपी की आदित्यनाथ सरकार के खिलाफ भड़काने और समाज में विभाजन पैदा करने के लिए’ उनकी किताब बांटी जा रही है. इस केस में पांच अज्ञात लोग भी नामजद हैं. पुलिस ने कहा है कि उसने जांच शुरू कर दी है. एफआईआर में आईपीसी की धारा 420 (धोखाधड़ी), 465 (जालसाजी) 504 (शांति भंग)  के साथ धारा 295 (किसी धर्म का अपमान करने के लिए पूजा स्थल को अपवित्र करना), 295-ए (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के लिए दुर्भावनापूर्ण कार्य),और 153-बी (राष्ट्रीय एकता के लिए हानिकारक दावे) भी लगाई गई हैं.

मणिपुर में साथ महीनों से जारी हिंसा के बीच भीषण गोलीबारी की सूचना मिली है, जिसमें 13 लोगों की जान गई है. हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, अधिकारियों ने बताया कि तेंगनौपाल जिले में सोमवार को दो सशस्त्र समूहों के बीच हुई ताजा गोलीबारी में कम से कम 13 लोग मारे गए. अधिकारियों ने कहा कि उन्हें दोपहर के आसपास सैबल के पास लीथू गांव में दो विद्रोही समूहों के बीच गोलीबारी की सूचना मिली थी. उन्होंने कहा कि ऐसा मल्लों हुआ है कि मृतक लीथू क्षेत्र से नहीं थे और संभवत: वे किसी अन्य जगह से आए थे. रॉयटर्स ने एक अन्य अधिकारी के हवाले से कहा कि ‘बड़े पैमाने पर हुई गोलीबारी में कई लोगों के शरीर पर गोलियों के घाव मिले.’ अधिकारी ने कहा कि शवों के पास कोई हथियार नहीं मिला. संभव है कि उन्हें मारने के बाद हथियार लूट लिए गए हों. उन्होंने यह भी जोड़ा कि वे मृतकों या आतंकवादी समूहों की पहचान नहीं कर सके हैं. राज्य 3 मई से जातीय हिंसा की चपेट में है, जिसमें लगभग 180 लोगों की जान जा चुकी है और 50,000 से अधिक लोग बेघर हो गए हैं.