54 फार्मा कंपनियों के कफ सीरप के सैंपल निर्यात गुणवत्ता परीक्षण में विफल रहे: रिपोर्ट

कई देशों में भारतीय कफ सीरप के कथित दुष्प्रभावों की रिपोर्ट्स आने के बाद सरकार ने कफ सीरप निर्यातकों के लिए विदेश भेजने के पहले उनकी दवा का सरकारी लैब में टेस्ट अनिवार्य कर दिया था. अब सरकारी परीक्षण में सामने आया है कि 54 भारतीय दवा निर्माताओं के 6% कफ सीरप मानक गुणवत्ता के अनुरूप नहीं पाए गए.

(प्रतीकात्मक फोटो साभार: Steve Mcsweeny Via Pharma Adda dot in)

कई देशों में भारतीय कफ सीरप के कथित दुष्प्रभावों की रिपोर्ट्स आने के बाद सरकार ने कफ सीरप निर्यातकों के लिए विदेश भेजने के पहले उनकी दवा का सरकारी लैब में टेस्ट अनिवार्य किया था. अब सरकारी परीक्षण में सामने आया है कि अक्टूबर तक 54 भारतीय दवा निर्माताओं के सीरप मानक गुणवत्ता के अनुरूप नहीं पाए गए.

(प्रतीकात्मक फोटो साभार: Steve Mcsweeny Via Pharma Adda dot in)

नई दिल्ली: सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, इस साल अक्टूबर तक 54 भारतीय दवा निर्माताओं के कम से कम 6% कफ सीरप के नमूने निर्यात के लिए अनिवार्य गुणवत्ता परीक्षण में विफल रहे.

हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) की रिपोर्ट ने देशभर के विभिन्न राज्यों में नमूनों के परीक्षण पर आधारित डेटा को एकत्र करके अपनी रिपोर्ट जारी की है.

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, महाराष्ट्र, गुजरात, उत्तर प्रदेश और केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ जैसे कई राज्यों में सरकारी प्रयोगशालाओं (लैब) में परीक्षण किए गए 2,014 सैंपल में से 128 (या 6%) गुणवत्ता परीक्षण में विफल रहे और ‘मानक गुणवत्ता के अनुरूप नहीं’ (नॉट ऑफ स्टैंडर्ड क्वॉलिटी- एनएसक्यू) पाए गए.

सैंपल टेस्टिंग के लिए नामित सरकारी प्रयोगशालाओं में भारतीय फार्माकोपिया आयोग, गाजियाबाद (यूपी); केंद्रीय औषधि प्रयोगशाला (सीडीएल), कोलकाता; केंद्रीय औषधि परीक्षण प्रयोगशाला (सीडीटीएल), चेन्नई; सीडीटीएल, मुंबई; सीडीटीएल, हैदराबाद; क्षेत्रीय औषधि परीक्षण प्रयोगशाला (आरडीटीएल), चंडीगढ़; आरडीटीएल, गुवाहाटी; और कोई भी एनएबीएल-मान्यता प्राप्त राज्य औषधि परीक्षण प्रयोगशाला शामिल थे.

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, गुजरात लैब में परीक्षण किए गए 385 नमूनों में से 51 एनएसक्यू थे, जबकि गाजियाबाद लैब में टेस्ट हुए 502 सैंपल में से 29 गुणवत्ता परीक्षण में विफल रहे.

इससे पहले, दुनिया के कई देशों में भारतीय कफ सीरप के कथित दुष्प्रभावों की विभिन्न रिपोर्ट्स सामने आने के बाद सरकार ने ऐसी दवाओं के निर्यात के लिए नियम तय किए थे. मई महीने में विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने एक अधिसूचना में कहा था कि कफ सीरप निर्यातकों के लिए विदेश भेजने के पहले उनके उत्पादों का निर्धारित सरकारी प्रयोगशालाओं में टेस्ट कराना अनिवार्य होगा. सीरप के सैंपल के लैब परीक्षण के बाद ही निर्यात की अनुमति मिलेगी.

गौरतलब है कि  इस साल जनवरी में उज़्बेकिस्तान में सात बच्चों की मौत को भारत में बनी दो दवाओं से जोड़ा गया था. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने 11 जनवरी को इन दोनों दवाओं को मौतों से जोड़कर उत्पाद चेतावनी जारी किया था. अलर्ट में कहा गया था कि दोनों कफ सीरप में डायएथिलीन ग्लाइकॉल (डीईजी) और एथिलीन ग्लाइकॉल (ईजी) अस्वीकार्य स्तर पर पाए गए.

इससे पहले इसी तरह के एक अन्य मामले में एक अन्य भारतीय फर्म-मेडेन फार्मास्युटिकल्स द्वारा बनाई गई बच्चों की दवाओं को कथित तौर पर गांबिया में 70 बच्चों की मौत के साथ जोड़ा गया था.

डब्ल्यूएचओ ने 5 अक्टूबर को घोषणा की थी कि मेडन फार्मास्युटिकल द्वारा बनाए गए कफ सीरप में डायथिलिन ग्लाइकॉल और एथिलीन ग्लाइकॉल थे, जो मनुष्यों के लिए जहरीले होते हैं. साथ ही, डब्ल्यूएचओ ने फर्म के चार उत्पाद प्रोमेथाजिन ओरल सॉल्यूशन, कोफेक्समालिन बेबी कफ सीरप, मेकॉफ बेबी कफ सीरप और मैग्रिप एन कोल्ड सीरप पर सवाल उठाते हुए अलर्ट जारी किया था.

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