सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री रामदास अठावले ने लोकसभा में बताया कि इस साल 20 नवंबर तक सीवर और सेप्टिक टैंक की सफाई के दौरान 49 मौतें दर्ज की गईं. सबसे ज़्यादा मौतें राजस्थान में हुईं, उसके बाद दूसरे नंबर पर गुजरात रहा.
नई दिल्ली: सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने मंगलवार को कहा कि 2018 से देश में सेप्टिक टैंक और सीवर की सफाई के दौरान 400 से अधिक लोगों की मौत हो गई है.
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सदस्य अपरूपा पोद्दार के एक प्रश्न के लिखित उत्तर में सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री रामदास अठावले ने लोकसभा को बताया कि 2018 से इस साल 20 नवंबर के बीच सीवर और सेप्टिक टैंक की सफाई के दौरान 443 लोगों की मौत हो गई.
उन्होंने बताया कि 2018 में जहां 76 मौतें हुईं, वहीं 2019 में 133, 2020 में 35, 2021 में 66, 2022 में 84 और इस साल 20 नवंबर तक 49 मौतें दर्ज की गईं.
अपने सवाल में पोद्दार ने पिछले पांच वर्षों में सेप्टिक टैंक और सीवर की सफाई के दौरान हुई मौतों की संख्या का राज्यवार विवरण मांगा था.
सरकार के मुताबिक, इस साल सबसे ज्यादा मौतें राजस्थान (10) में हुईं, उसके बाद गुजरात (9) का स्थान रहा. महाराष्ट्र और तमिलनाडु में सात-सात मामले सामने आए.
एक अन्य प्रश्न के जवाब में अठावले ने कहा कि 2018 में नीति आयोग के आदेश पर किए गए मैनुअल स्कैवेंजर्स के राष्ट्रीय सर्वेक्षण के दौरान 44,217 मैनुअल स्कैवेंजर्स की पहचान की गई थी.
यह पूछे जाने पर कि क्या सरकार एक और सर्वेक्षण कराना चाहती है, मंत्री ने कहा, ‘हां. भारत के माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने रिट याचिका (सिविल) संख्या 324/2020 में दिनांक 20.10.2023 के आदेश के तहत मैनुअल स्कैवेंजर्स के राष्ट्रव्यापी सर्वेक्षण का निर्देश दिया है.’
देश में मैला ढोने की प्रथा प्रतिबंधित है. मैनुअल स्कैवेंजिंग एक्ट 2013 के तहत किसी भी व्यक्ति को सीवर में भेजना पूरी तरह से प्रतिबंधित है. अगर किसी विषम परिस्थिति में सफाईकर्मी को सीवर के अंदर भेजा जाता है तो इसके लिए 27 तरह के नियमों का पालन करना होता है. हालांकि इन नियमों के लगातार उल्लंघन के चलते आए दिन सीवर सफाई के दौरान श्रमिकों की जान जाती है.
सरकार ने हाथ से मैला ढोने के कारण होने वाली मौतों और सीवर की सफाई के दौरान होने वाली मौतों के बीच अंतर किया है. विशेषज्ञों का कहना है कि सीवर और सेप्टिक टैंकों की सफाई, हाथ से मैला ढोने या मानव मल को हाथ से साफ करने की अब प्रतिबंधित प्रथा का ही विस्तार है.
अठावले ने यह भी कहा कि ‘हाथ से मैला ढोने वालों के रूप में रोजगार पर निषेध और उनका पुनर्वास अधिनियम 2013’ के अनुसार, देश में हाथ से मैला ढोना एक निषिद्ध गतिविधि है.
उन्होंने कहा, ‘29.11.2023 तक देश के 766 जिलों में से 714 जिलों ने खुद को मैला ढोने से मुक्त बताया है.’
यह पूछे जाने पर कि क्या सरकार ने मैनहोल सफाई करने वाले रोबोट तैनात किए हैं, मंत्री ने कहा, ‘मैनहोल सफाई रोबोट की तैनाती का डेटा केंद्रीय स्तर पर नहीं रखा जाता है.’