पत्रकार गौरी लंकेश की 5 सितंबर, 2017 को बेंगलुरु स्थित उनके घर के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. प्रसिद्ध कन्नड़ लेखक और शोधकर्ता एमएम कलबुर्गी की 30 अगस्त, 2015 को उत्तरी कर्नाटक के धारवाड़ स्थित उनके आवास पर हत्या कर दी गई थी.
नई दिल्ली: कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने बुधवार को अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे पत्रकार गौरी लंकेश और प्रसिद्ध कन्नड़ लेखक एमएम कलबुर्गी की हत्या के मामलों के त्वरित निपटान के लिए विशेष अदालतें स्थापित करने को लेकर कदम उठाएं.
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, कलबुर्गी और लंकेश के परिवारों द्वारा त्वरित कानूनी कार्यवाही की मांग के अनुरोध के बाद मुख्यमंत्री ने राज्य के गृह सचिव को दो निर्देश जारी किए.
प्रसिद्ध कन्नड़ लेखक और शोधकर्ता एमएम कलबुर्गी (77) की 30 अगस्त, 2015 को उत्तरी कर्नाटक के धारवाड़ स्थित उनके आवास पर हत्या कर दी गई थी. मामले में पुलिस ने 2019 में आरोप पत्र दाखिल किया था.
मुख्यमंत्री ने बुधवार को मीडिया को जारी एक बयान में कहा, ‘हालांकि परिवार की साक्ष्य कार्यवाही पूरी हो चुकी है, अदालत में सुनवाई जारी है. दिवंगत लेखक की पत्नी उमादेवी ने एक विशेष अदालत की स्थापना का अनुरोध किया है क्योंकि काफी समय बीत चुका है. इस संबंध में तत्काल कदम उठाने के निर्देश जारी किए गए हैं.’
पत्रकार गौरी लंकेश (55) की हत्या के मामले के संबंध में जिनकी 5 सितंबर, 2017 को बेंगलुरु के राजराजेश्वरीनगर में उनके घर के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी, सिद्धारमैया ने कहा कि मामले की जांच कर रही विशेष जांच टीम (एसआईटी) ने अब तक 18 लोगों को गिरफ्तार किया है. 1,200 सबूतों और 500 गवाहों के साथ आरोप पत्र दायर किया है.
गृह सचिव को एक अलग निर्देश का हवाला देते हुए बयान में कहा गया, ‘हालांकि अदालत ने जुलाई 2022 में मामले की सुनवाई शुरू की थी, लेकिन अदालत के समक्ष लंबित अन्य मामलों के कारण मामला धीमी गति से आगे बढ़ रहा है.’
इसमें कहा गया है, ‘मृतक की बहन कविता लंकेश ने मामले की सुनवाई के लिए एक विशेष अदालत और एक पूर्णकालिक न्यायाधीश की स्थापना का अनुरोध किया है. इस संबंध में तत्काल कदम उठाने का निर्देश दिया गया है.’
2018 में कर्नाटक संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (KCOCA) के तहत मामले में आरोप पत्र दायर होने के बावजूद मुकदमा अपने प्रारंभिक चरण में है. मामले में अब तक 500 गवाहों में से केवल 83 ने अदालत के समक्ष गवाही दी है. मुकदमा मार्च 2022 के अंत में शुरू हुआ और तब से तीन न्यायाधीश बदल गए हैं.
जांचकर्ताओं के अनुसार, लंकेश और कलबुर्गी की हत्या एक ही दक्षिणपंथी चरमपंथी समूह ने की थी. जांच के दौरान एसआईटी ने महाराष्ट्र में तर्कवादी गोविंद पानसरे और नरेंद्र दाभोलकर की हत्या से संबंधित दो और मामलों के संबंध का भी खुलासा किया.
महाराष्ट्र एसआईटी, जो 2015 में पानसरे (82) की हत्या की जांच कर रही है, जिन्हें कोल्हापुर में सुबह की सैर से लौटते समय पांच बार गोली मारी गई थी, ने यह भी पाया कि लंकेश और पानसरे की हत्या में एक ही बंदूक का इस्तेमाल किया गया था.
लंकेश और दाभोलकर (67), जिनकी 20 अगस्त 2013 को पुणे में जब सुबह की सैर पर निकले थे, की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी, की हत्याओं के बीच संबंध जांच के बाद के चरणों के दौरान सामने आया था.