बीते 4 दिसंबर को तेंगनौपाल जिले में गोलीबारी में कम से कम 13 लोगों की मौत हुई थी. अब मणिपुर सरकार को नोटिस जारी करते हुए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक से दो सप्ताह के भीतर मामले में विस्तृत रिपोर्ट मांगी है.
नई दिल्ली: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने शुक्रवार को तेंगनौपाल जिले के सैबोल के पास लीथाओ गांव में गोलीबारी में मारे गए कम से कम 13 लोगों की मौत पर मणिपुर सरकार को नोटिस जारी किया है. घटना 4 दिसंबर की है.
द हिंदू के मुताबिक, इस साल मई में मणिपुर में भड़की हिंसा के बाद से यह हिंसा के दौरान एक दिन में हुआ सबसे ज्यादा जान-माल का नुकसान है.
आयोग की एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि प्रथमदृष्टया यह संदेह है कि हिंसा के शिकार लोग म्यांमार के उग्रवादी भी हो सकते हैं, क्योंकि लीथाओ के पास की पहाड़ियां म्यांमार से मणिपुर में आने के लिए उनके द्वारा लिया जाने वाला एक आम रास्ता है.
आयोग ने कहा कि घटना राज्य में शांति और कानून व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए कानून लागू करने वाली एजेंसियों और तैनात बलों की ओर से चूक का संकेत देती है.
आयोग ने मणिपुर के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को नोटिस जारी कर दो सप्ताह के भीतर मामले में विस्तृत रिपोर्ट मांगी है. इसमें पुलिस द्वारा दर्ज की गई एफआईआर की स्थिति और राज्य में कहीं भी हिंसा की ऐसी घटनाएं न होना सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकार द्वारा उठाए गए कदम शामिल होना चाहिए.
आयोग ने आगे कहा कि 13 लोगों की जान जाना, वह भी उस क्षेत्र में जो इस वर्ष मई में मणिपुर राज्य में तनाव उत्पन्न होने के बाद से शांत था, चिंताजनक और परेशान करने वाला है.
एनएचआरसी ने नोटिस में कहा, ‘मणिपुर राज्य और उसके लोगों को पहले ही बहुत नुकसान उठाना पड़ा है. यह दृढ़ता से दोहराया जाता है कि लोगों के जीवन और निजी तथा सार्वजनिक संपत्ति दोनों की ही रक्षा करना और समुदायों के बीच भाईचारे की भावना को बढ़ावा देना सरकार का कर्तव्य है.’
एनएचआरसी ने कहा कि इस साल मई से उसे मणिपुर में हिंसा की घटनाओं के दौरान मानवाधिकारों के उल्लंघन का आरोप लगाने वाले व्यक्तियों या गैर सरकारी संगठनों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं से कई शिकायतें मिली हैं.
आयोग ने आगे कहा कि इन मामलों पर एनएचआरसी की पूर्ण पीठ द्वारा विचार किया जा रहा है और 17 नवंबर 2023 को असम के गुवाहाटी में शिविर के दौरान इस पर विस्तार से चर्चा की गई थी. मणिपुर सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ-साथ शिकायतकर्ता और सिविल सोसाइटी के प्रतिनिधि भी बैठक में उपस्थित थे.