दिल्ली सरकार की ‘विमेन एंड मेन इन दिल्ली-2023’ रिपोर्ट के अनुसार, 2021-22 में दिल्ली में पुरुषों में बेरोज़गारी दर 5.1% और महिलाओं के लिए 6.0% थी. वहीं राष्ट्रीय स्तर पर यह पुरुषों के लिए 4.4 प्रतिशत और महिलाओं के लिए 3.3 प्रतिशत थी.
नई दिल्ली: दिल्ली सरकार की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि महिलाओं के मामले में दिल्ली में बेरोजगारी दर देश के औसत की तुलना में लगभग दोगुनी है.
एनडीटीवी के मुताबिक, ‘विमेन एंड मेन इन दिल्ली-2023’ रिपोर्ट के अनुसार 2021-22 में दिल्ली में पुरुषों के लिए बेरोजगारी दर 5.1 प्रतिशत और महिलाओं के लिए 6.0 प्रतिशत थी, जबकि अखिल भारतीय स्तर पर यह पुरुषों के लिए 4.4 प्रतिशत और महिलाओं के लिए 3.3 प्रतिशत थी.
व्यापक रोजगार की स्थिति से पता चला कि शहर में 33.1 प्रतिशत कामकाजी पुरुष स्व-रोज़गार थे, 63 प्रतिशत नियमित वेतन/वेतनभोगी कर्मचारी श्रेणी में थे, और 3.5 प्रतिशत आकस्मिक श्रमिक श्रेणी में थे.
रिपोर्ट में कहा गया है कि महिला श्रमिकों में से केवल 17 प्रतिशत स्व-रोज़गार श्रेणी में लगी हुई थीं, जबकि 83 प्रतिशत नियमित वेतन/वेतनभोगी कर्मचारी श्रेणी में थीं.
उद्योगवार देखें तो 2021-22 में कुल महिला श्रमिकों में से 59.74 प्रतिशत ‘अन्य सेवाओं’ में लगी थीं. इसके बाद ‘व्यापार, होटल और रेस्तरां’ (14.73 प्रतिशत) और ‘मैन्युफैक्चरिंग’ (14.19 प्रतिशत) का नंबर आता है.
पुरुष कामगारों के मामले में 29.77 प्रतिशत ‘व्यापार, होटल और रेस्तरां’ में लगे हुए थे, इसके बाद दिल्ली में ‘मैन्युफैक्चरिंग’ (24.02 प्रतिशत), और ‘अन्य सेवाओं’ (22.87 प्रतिशत) में लगे हुए थे.
2021-22 में शहर की श्रम बल भागीदारी दर पुरुष आबादी के लिए 57.5 प्रतिशत और महिला आबादी के लिए 9.4 प्रतिशत थी, वहीं राष्ट्रीय स्तर पर इसका आंकड़ा पुरुष आबादी के लिए 57.3 प्रतिशत और महिला आबादी के लिए 24.8 प्रतिशत है.
ओईसीडी के अनुसार, श्रम बल भागीदारी दर की गणना श्रम बल को कुल कामकाजी आयु वाली आबादी से विभाजित करके की जाती है.
रिपोर्ट से पता चला कि 89.42 महिलाएं ‘गैर श्रमिक’ की श्रेणी में आती हैं.
दिल्ली की छठी आर्थिक जनगणना से बताती है कि 80.63 प्रतिशत पुरुष और केवल 19.37 प्रतिशत महिलाएं कृषि कामों में लगे हैं.
‘गैर-कृषि कामों’ (खनन और उत्खनन, मैन्युफैक्चरिंग, बिजली, गैस, भाप, जल आपूर्ति, सीवरेज, अपशिष्ट प्रबंधन और निर्माण गतिविधियों से संबंधित सेवाओं के अलावा) क्षेत्र के तहत, 91.58 प्रतिशत पुरुष और 8.42 प्रतिशत महिलाएं कामकाजी थे. ‘गैर-कृषि सेवा’ क्षेत्र में 85.33 प्रतिशत पुरुष और 14.67 प्रतिशत महिलाएं काम कर रहे थे.
रिपोर्ट में कहा गया है कि कुल मिलाकर, पुरुषों (87.52 प्रतिशत) और महिलाओं (12.48 प्रतिशत) के रोजगार में बड़ा अंतर पाया गया.