कर्नाटक की पिछली भाजपा सरकार पर सरकारी ठेकों में 40 प्रतिशत कमीशन लेने के आरोप लगे थे. साथ ही राज्य के तत्कालीन ग्रामीण विकास और पंचायत राज मंत्री केएस ईश्वरप्पा पर सरकारी ठेके में 40 प्रतिशत का कमीशन लेने का आरोप लगाने वाले एक ठेकेदार को कथित तौर पर आत्महत्या के लिए उकसाने का भी आरोप लगा था.
नई दिल्ली: कर्नाटक हाईकोर्ट ने कुछ ठेकेदारों द्वारा राज्य की पूर्ववर्ती भाजपा सरकार पर सरकारी ठेकों में 40 प्रतिशत कमीशन लेने के आरोपों की जांच के लिए सेवानिवृत्त हाईकोर्ट के न्यायाधीश एचएन नागमोहन दास के नेतृत्व में एक सदस्यीय जांच आयोग गठित करने के वर्तमान कांग्रेस सरकार के आदेश पर रोक लगा दी है.
एनडीटीवी की रिपोर्ट राज्य सरकार ने 2019-20 से 2022-23 के बीच शहरी विकास, जल संसाधन, लघु सिंचाई और ग्रामीण विकास, लोक निर्माण और पंचायत राज विभागों में आवंटित कार्यों में कथित कमीशन की जांच के लिए 5 अगस्त 2023 को आदेश जारी किया था.
कई ठेकेदारों द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करने वाले जस्टिस एम. नागप्रसन्ना ने बीते 7 दिसंबर को सरकारी आदेश पर रोक लगाते हुए कहा, ‘प्रथमदृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि राज्य सरकार बदलाव के मुद्दे पर अलग रुख अपना रही है.’
अदालत ने कहा, ‘जब तक राज्य विवादित आदेश जारी करने या एक सदस्यीय जांच आयोग गठित करने की अपनी कार्रवाई को उचित नहीं ठहराता, तब तक आगे की सभी कार्यवाही पर रोक रहेगी.’
उन सभी कार्यों की जांच के उद्देश्य से एक विशेष जांच दल का गठन किया गया है, जिसे निक्षेप इंफ्रा प्रोजेक्ट्स और 44 अन्य ठेकेदारों द्वारा दायर याचिका में चुनौती दी गई है.
अतिरिक्त सरकारी वकील को कर्नाटक सरकार के शहरी विकास विभाग के लिए नोटिस स्वीकार करने का निर्देश दिया गया है.
ठेकेदारों ने बृहत बेंगलुरु महानगर पालिका (बीबीएमपी) को भी मामले में दूसरा प्रतिवादी बनाया है, हालांकि महानगर पालिका से कोई राहत नहीं मांगी गई है.
याचिका में दावा किया गया है, ‘परिपूर्णता के लिए बीबीएमपी को एक पक्ष बनाया गया है.’
मालूम हो कि कर्नाटक की पिछली भाजपा सरकार पर सरकारी ठेकों में 40 प्रतिशत कमीशन लेने के आरोप लगे थे. राज्य के तत्कालीन ग्रामीण विकास और पंचायत राज मंत्री केएस ईश्वरप्पा पर सरकारी ठेके में 40 प्रतिशत का कमीशन लेने का आरोप लगाने वाले एक ठेकेदार को कथित तौर पर आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप लगा था.
अप्रैल 2022 में उन्हें मंत्री पद से हटा दिया गया था, हालांकि जुलाई 2022 में पुलिस ने उन्हें सबूतों के अभाव में ‘क्लीन चिट‘ दे दी थी.
अगस्त 2023 में कांग्रेस के नेतृत्व वाली कर्नाटक सरकार ने भाजपा के कार्यकाल के दौरान परियोजनाओं के लिए ‘40% कमीशन’ के आरोपों की जांच के लिए एक जांच आयोग के गठन की अधिसूचना जारी की थी.
ज्ञात हो कि बीते साल कर्नाटक कॉन्ट्रैक्टर्स एसोसिएशन द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे गए एक पत्र में भी पूर्ववर्ती भाजपा सरकार पर गंभीर आरोप लगाए गए थे.
उक्त पत्र में एसोसिएशन ने दावा किया था कि ठेकेदारों को सिविल काम शुरू होने से पहले 25 से 30% और काम के बाद के बिलों के लिए 5-6% का ‘कट’ देने के लिए रजामंदी देनी होती थी. उन्होंने यह भी शिकायत की थी कि ऐसे दिशानिर्देश राज्य के बाहर के ठेकेदारों के पक्ष में थे.