यूपी की सुल्तानपुर जेल में फांसी पर लटके मिले दो क़ैदियों की हत्या की आशंका: जांच रिपोर्ट

इस साल जून में उत्तर प्रदेश की सुल्तानपुर ज़िला जेल में दो क़ैदी फांसी पर लटके पाए गए थे. जांच करने वाले सुल्तानपुर के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) ने इस घटना के लिए जेल कर्मचारियों को सीधे तौर पर ज़िम्मेदार ठहराते हुए रिपोर्ट में कहा कि यह संभवत: ‘जबरन फांसी’ का मामला है.

(इलस्ट्रेशन: परिप्लब चक्रवर्ती/द वायर)

इस साल जून में उत्तर प्रदेश की सुल्तानपुर ज़िला जेल में दो क़ैदी फांसी पर लटके पाए गए थे. जांच करने वाले सुल्तानपुर के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) ने इस घटना के लिए जेल कर्मचारियों को सीधे तौर पर ज़िम्मेदार ठहराते हुए रिपोर्ट में कहा कि यह संभवत: ‘जबरन फांसी’ का मामला है.

(इलस्ट्रेशन: परिप्लब चक्रवर्ती/द वायर)

नई दिल्ली: इस साल जून में सुल्तानपुर जिला जेल में फांसी पर लटके पाए गए दो कैदियों की हत्या की गई थी, ऐसा प्रतीत होता है. मौतों की न्यायिक जांच ने अपनी रिपोर्ट में यह निष्कर्ष निकाला है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, जांच करने वाले सुल्तानपुर के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) ने इस घटना के लिए जेल कर्मचारियों को सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहराते हुए रिपोर्ट में कहा कि यह संभवत: ‘जबरन फांसी’ का मामला है.

मनोज रैदास उर्फ मंजू (21 वर्ष) और उनके चचेरे भाई विजय पासी उर्फ करिया (19 वर्ष), दोनों अमेठी जिले के विचाराधीन कैदी थे. हत्या के एक मामले में जेल में बंद होने के कुछ हफ्ते बाद 21 जून को सुल्तानपुर जेल परिसर में एक पेड़ से लटके पाए गए थे.

जेल अधिकारियों ने शुरू में दावा किया था कि दलित समुदाय से आने वाले दोनों कैदियों ने ‘अवसाद’ के कारण आत्महत्या कर ली. जांच रिपोर्ट, जिसे अभी तक सार्वजनिक नहीं किया गया है, में यह भी पाया गया कि मौतें संदिग्ध परिस्थितियों में हुईं और यह स्थापित नहीं हुआ कि कैदी अवसाद में थे.

साथ ही, जेल अधिकारियों ने जांच अधिकारी को बताया कि कथित आत्महत्या स्थल के पास लगे सीसीटीवी कैमरे काम नहीं कर रहे थे. यह दावा किया गया कि विचाराधीन कैदियों की विसरा रिपोर्ट भी जांच अधिकारी को उपलब्ध नहीं कराई गई.

अधिकारियों ने कहा कि जांच के दौरान जेल कर्मचारियों, कैदियों, पीड़ितों के परिवार के सदस्यों और एक डॉक्टर सहित लगभग 20 गवाहों के बयान दर्ज किए गए थे.

रिपोर्ट में दोनों कैदियों की मौत के अलग-अलग समय और विजय के शरीर पर पाए गए चोट के निशान तथा उसके नाखून का रंग नीला हो जाने पर भी सवाल उठाए गए हैं, जो दोनों को जहर दिए जाने की संभावना की ओर इशारा करता है.

हालांकि सुल्तानपुर की जिला मजिस्ट्रेट कृतिका ज्योत्सना ने जांच रिपोर्ट मिलने की पुष्टि की है, लेकिन उन्होंने इसकी सामग्री साझा करने से इनकार कर दिया. उन्होंने कहा, ‘मुझे रिपोर्ट की प्रति मिल गई है. उसके अनुसार कार्रवाई की जाएगी.’

मनोज रैदास और विजय पासी को उनके 48 वर्षीय पड़ोसी ओम प्रकाश की हत्या के मामले में गिरफ्तार किया गया था, जिनकी 26 मई को उनके घर के बाहर सोते समय हत्या कर दी गई थी.

पुलिस ने कहा कि पूछताछ के दौरान दोनों ने कबूल किया था कि उन्होंने ओम प्रकाश की हत्या कर दी, क्योंकि उन्होंने उन्हें (ओम प्रकाश को) उनका भाई भाई जितेंद्र समझ लिया था, जिसने कुछ दिन पहले एक झगड़े के दौरान उनकी पिटाई कर दी थी.

संपर्क करने पर तत्कालीन सुल्तानपुर जेल अधीक्षक उमेश सिंह ने कहा कि दोनों कैदियों के शव लटकते पाए जाने के बाद उन्होंने तुरंत अपने वरिष्ठ अधिकारियों को सूचित किया, जिन्होंने घटनास्थल का दौरा भी किया था.

उन्होंने बताया कि फोरेंसिक टीम और डॉग स्क्वाड को भी मौके पर बुलाया गया और कुछ भी असामान्य नहीं मिला था.

सिंह, जो अब वाराणसी में तैनात हैं, ने कहा, ‘कैदियों के शरीर पर कोई गहरी चोट नहीं पाई गई और यह स्पष्ट था कि मौतें फांसी के कारण हुईं. साथ ही, जिला मजिस्ट्रेट की जांच में कुछ भी असामान्य नहीं पाया गया था.’