मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह की यह प्रतिक्रिया मिज़ोरम के नए मुख्यमंत्री लालदुहोमा की उस टिप्पणी के बाद आई है, जिसमें उन्होंने मणिपुर पुलिस से सीमावर्ती शहर मोरेह में रहने वाले कुकी-ज़ो लोगों को परेशान न करने के लिए कहा था. उन्होंने जोड़ा था कि मणिपुर में कुकी समुदाय से अच्छा बर्ताव नहीं किया जा रहा.
नई दिल्ली: सात महीने से हिंसा से जूझ रहे मणिपुर के मुख्यमंत्री एन.बीरेन सिंह ने पड़ोसी राज्य मिजोरम के नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री से कहा है कि वह उनके राज्य के ‘आंतरिक मामलों’ से दूर रहें.
रिपोर्ट के अनुसार, यह घटनाक्रम मिजोरम में नए मुख्यमंत्री के शपथ लेने के कुछ दिनों बाद ही सामने आया है, लेकिन यह पहली बार नहीं है कि बीरेन सिंह ने मिजोरम के मुख्यमंत्री के प्रति द्वेष दिखाया हो.
इससे पहले, मणिपुर में मेईतेई और कुकी समुदायों के बीच बढ़ते जातीय संघर्ष के बीच सिंह ने मिजोरम के तत्कालीन मुख्यमंत्री जोरामथांगा की मणिपुर के मामलों में हस्तक्षेप करने के लिए आलोचना की थी.
इस मई में शुरू हुए संघर्ष के दौरान कम से कम 12,000 कुकी मिजोरम भाग गए थे, और कई तब से वहीं रह रहे हैं, क्योंकि हिंसा पूरी तरह से थमी नहीं है. एक जनजाति के तौर पर कुकी स्वयं को मिजो का सगा-संबंधी पाते हैं. मिजो मिजोरम का सबसे बड़ा समुदाय है.
खबरों के मुताबिक, इस वाकयुद्ध की शुरुआत तब हुई जब मिजोरम के नए मुख्यमंत्री लालदुहोमा ने मणिपुर पुलिस से सीमावर्ती शहर मोरेह में रहने वाले कुकी-ज़ो लोगों को परेशान न करने के लिए कहा. लालदुहोमा ने राज्य की बागडोर संभालने के बाद स्थानीय मीडिया के साथ बातचीत में उक्त टिप्पणियां की थीं. उन्होंने कहा था कि मणिपुर में कुकियों के साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया जा रहा है.
म्यांमार के साथ लगी भारतीय सीमा से लगभग चार किलोमीटर दूर स्थित मोरेह न केवल कुकियों का घर है, बल्कि द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान म्यांमार (तब बर्मा) से विस्थापित तमिलों की एक बड़ी आबादी के साथ-साथ मेईतेई हिंदू और मुस्लिम (पंगल) और कुछ अन्य जनजातियां भी यहां रहती हैं.
मंगलवार (12 दिसंबर) को इंफाल में पत्रकारों से बात करते हुए सिंह ने कहा, ‘मणिपुर में जो कुछ भी हुआ वह हमारा आंतरिक मामला है. लेकिन, दुर्भाग्यवश मैंने मिजोरम के नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री की टिप्पणियां देखी हैं कि मणिपुर पुलिस मोरेह में उनके लोगों को परेशान न करे. मणिपुर के बारे में बात करना संविधान से परे है क्योंकि यह हमारा आंतरिक मामला है. उन्हें नहीं मालूम कि मोरेह में क्या हो रहा है.’
खबरों में सिंह के हवाले से यह भी कहा गया है, ‘मोरेह में बहुत से समुदाय रहते हैं- मेईतेई, तमिल, कुकी, मेईतेई-पंगल, थाडौ- सभी वहां रह रहे हैं. इसलिए इसे किसी एक समुदाय का क्षेत्र नहीं माना जा सकता है. मेरी उनसे विनम्र अपील है, कृपया शांति बहाल करने में हमारी मदद करें. जब मिजोरम में ब्रू समस्या (1990 के दशक में ब्रू और मिजो के बीच जातीय संघर्ष) खड़ी हुई थी तो मैंने कभी कोई टिप्पणी नहीं की थी.’
हालिया संघर्ष में मोरेह में भी हिंसा देखी गई. हाल ही में, मीडिया की खबरों के मुताबिक राज्य के तीन विधायकों को इसलिए धमकी दी गई थी क्योंकि उन्होंने मोरेह में पुलिस पर हमला न करने के लिए समूहों से आग्रह किया था. सिंह ने उन विधायकों को ‘पूर्ण सुरक्षा’ का आश्वासन दिया था.