मालदीव में राष्ट्रपति कार्यालय के अवर सचिव ने कहा है कि मालदीव के क्षेत्रीय जल के हाइड्रोग्राफिक सर्वेक्षण में भारत को सहयोग करने की अनुमति देने वाले द्विपक्षीय समझौते को नई सरकार ने नवीनीकृत नहीं करने का फैसला किया है. यह समझौता 7 जून 2024 को समाप्त होने वाला है. इससे पहले मालदीव ने भारतीय सैन्यकर्मियों से भी देश छोड़ने कह चुका है.
नई दिल्ली: भारतीय सैन्यकर्मियों को देश से हटाने की बात कहने के बाद मालदीव ने भारत को उस द्विपक्षीय समझौते को समाप्त करने के अपने इरादे से अवगत कराया है, जिसने भारतीय सरकार को मालदीव के क्षेत्रीय जल के हाइड्रोग्राफिक सर्वेक्षण में सहयोग करने की अनुमति दी थी.
गुरुवार (14 दिसंबर) को राजधानी माले में एक संवाददाता सम्मेलन में राष्ट्रपति कार्यालय में सार्वजनिक नीति के अवर सचिव मोहम्मद फिरुजुल अब्दुल खलील ने कहा कि नई मालदीव सरकार ने 7 जून 2024 को समाप्त होने वाले द्विपक्षीय समझौते को नवीनीकृत नहीं करने का फैसला किया है.
मालदीव के न्यूज आउटलेट सन के मुताबिक, उन्होंने कहा, ‘इस समझौते की शर्तों के अनुसार, अगर एक पक्ष समझौते को छोड़ना चाहता है तो समझौते की समाप्ति से छह महीने पहले दूसरे पक्ष को निर्णय के बारे में सूचित किया जाना चाहिए. शर्तों के अनुसार, अन्यथा समझौता स्वचालित रूप से अतिरिक्त पांच वर्षों के लिए नवीनीकृत हो जाता है.’
फिरुजुल ने बताया कि भारत को समझौते पर आगे नहीं बढ़ने के मालदीव के फैसले के बारे में सूचित कर दिया गया है.
इस संबंध में भारत की ओर से कोई औपचारिक टिप्पणी नहीं की गई है.
जून 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मालदीव यात्रा के दौरान हाइड्रोग्राफी के क्षेत्र में सहयोग पर समझौता ज्ञापन (एमओयू) किया गया था.
उस समय मालदीव के राष्ट्रपति कार्यालय द्वारा जारी की गई एक विज्ञप्ति में लिखा था, एमओयू ‘हमारे तटीय जल तथा विशेष आर्थिक क्षेत्र का मानचित्रण करने और उसमें मौजूद संसाधनों का बेहतर उपयोग करने के लिए मालदीव सरकार की क्षमता को और मजबूती देगा.’
2019 में भी विपक्ष में रही प्रोग्रेसिव पार्टी ऑफ मालदीव (पीपीएम) ने इस समझौते की आलोचना की थी.
ऐतिहासिक रूप से मालदीव के अधिकांश हाइड्रोग्राफिक सर्वेक्षण भारत ने किए थे.
संवाददाता सम्मेलन में फिरुजुल सरकारों के पहले चार हफ्तों के रोडमैप में वादा की गईं 17 वार्ताओं को पूरा करने की घोषणा कर रहे थे.
उन्होंने कहा कि इसमें पिछले प्रशासन द्वारा हस्ताक्षरित ‘गुप्त द्विपक्षीय समझौतों’ को रद्द करने की प्रक्रिया की शुरुआत भी शामिल है, जो मालदीव की स्वतंत्रता और संप्रभुता के लिए खतरा है.
फिरुजुल ने उल्लेख किया कि राष्ट्रपति अपने मंत्रिमंडल के साथ बातचीत के बाद इस निर्णय पर पहुंचे हैं. उन्होंने दावा किया कि राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने मालदीव राष्ट्रीय रक्षा बल की क्षमता बढ़ाने के लिए धन आवंटित करने का विकल्प चुना है.
उन्होंने कहा, ‘भविष्य में हाइड्रोग्राफी का 100 फीसदी काम मालदीव के प्रबंधन द्वारा किया जाएगा और केवल मालदीव के लोगों को ही इसकी जानकारी होगी.’
राष्ट्रपति मुइज्जू ने सत्ता संभालने के अगले ही दिन औपचारिक रूप से भारत से हेलीकॉप्टर और डोर्नियर विमान के साथ तैनात भारतीय सैनिकों को वापस लौटने के लिए कह दिया था. यह उनके चुनाव अभियान के वादे का हिस्सा था.
उन्होंने सीओपी शिखर सम्मेलन से इतर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के दौरान भी भारतीय सेना की वापसी का मुद्दा उठाया था. दोनों पक्षों ने कहा था कि वे इस मामले पर चर्चा करने जा रहे हैं.
इस रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.