अमेरिकी आयोग ने ‘भारत द्वारा अल्पसंख्यकों को विदेशों में निशाना बनाने’ पर चिंता जताई

अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी आयोग (यूएससीआईआरएफ) ने एक बयान में कहा है कि विदेशों में कार्यकर्ताओं, पत्रकारों और वकीलों को चुप कराने के भारत सरकार के हालिया प्रयास धार्मिक स्वतंत्रता के लिए गंभीर ख़तरा हैं. आयोग ने अमेरिकी विदेश विभाग से भारत को विशेष चिंता वाले देश में डालने का अनुरोध किया है.

यूएससीआईआरएफ का लोगो. (फोटो साभार: फेसबुक)

अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी आयोग (यूएससीआईआरएफ) ने एक बयान में कहा है कि विदेशों में कार्यकर्ताओं, पत्रकारों और वकीलों को चुप कराने के भारत सरकार के हालिया प्रयास धार्मिक स्वतंत्रता के लिए गंभीर ख़तरा हैं. आयोग ने अमेरिकी विदेश विभाग से भारत को विशेष चिंता वाले देश में डालने का अनुरोध किया है.

यूएससीआईआरएफ का लोगो. (फोटो साभार: फेसबुक)

नई दिल्ली: अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी आयोग (यूएससीआईआरएफ) ने एक विस्तृत बयान जारी किया है और फिर से जो बाइडेन प्रशासन से भारत को विशेष चिंता वाला देश या सीपीसी का दर्जा देने की मांग की है.

इसमें कहा गया है कि आयोग ‘भारत द्वारा धार्मिक अल्पसंख्यकों और उनकी ओर से आवाज उठाने वालों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निशाना बनाने की बढ़ती प्रवृत्ति से चिंतित है. विदेशों में कार्यकर्ताओं, पत्रकारों और वकीलों को चुप कराने के भारत सरकार के हालिया प्रयास धार्मिक स्वतंत्रता के लिए गंभीर खतरा हैं.’

बयान के अनुसार, भारत सरकार के व्यवस्थित, वर्तमान में जारी और गंभीर उल्लंघन के कारण यूएससीआईआरएफ अमेरिकी विदेश विभाग से भारत को सीपीसी नामित करने का अनुरोध करता है.

यूएससीआईआरएफ के आयुक्त स्टीफन श्नेक ने कहा, ‘कनाडा में सिख कार्यकर्ता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत सरकार की कथित संलिप्तता और अमेरिका में गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की साजिश बेहद परेशान करने वाले हैं और अपने देश तथा विदेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों और मानवाधिकार रक्षकों को चुप कराने के भारत के प्रयासों में गंभीर वृद्धि दिखाते हैं. हम बाइडेन प्रशासन से मांग करते हैं कि वह इस बात को स्वीकृति प्रदान करे कि भारत सरकार द्वारा धार्मिक स्वतंत्रता का गंभीर उल्लंघन किया जा रहा है.’

द्विदलीय आयोग द्वारा अंतरराष्ट्रीय दमन का वर्णन इस प्रकार किया गया है, ‘जब सरकारें अपनी सीमाओं के बाहर रहने वाले लोगों के खिलाफ धमकी, उत्पीड़न या हिंसा का इस्तेमाल करते हैं. अंतरराष्ट्रीय दमन अभियान अक्सर राजनीतिक और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, पत्रकारों और धार्मिक तथा जातीय अल्पसंख्यक समूहों के सदस्यों को निशाना बनाते हैं. चरम स्तर के मामलों में इस रणनीति के तहत हिरासत, परिवार के सदस्यों से प्रतिशोध लेना, अपहरण या जैसा कि भारत द्वारा उदाहरण पेश किया गया है, हत्याएं शामिल होते हैं.’

कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो और अमेरिकी संघीय अभियोजकों ने आरोप लगाया है कि भारतीय एजेंटों ने खालिस्तान समर्थक अमेरिकी और कनाडाई नागरिकों की हत्या की साजिश रचने में भूमिका निभाई है. भारत सरकार ने जस्टिन ट्रूडो के आरोपों को मजबूती से खारिज कर दिया, लेकिन अमेरिका के दावों की जांच के लिए एक जांच बिठा दी है.

यूएससीआईआरएफ एक स्वायत्त और अंतर-दलीय संघीय सरकारी संगठन है, जो वैश्विक धार्मिक स्वतंत्रता उल्लंघनों पर बारीक नजर रखता है, उनकी पड़ताल करता है और खुलासा करता है. इसकी सिफारिशें अमेरिकी विदेश विभाग के लिए गैर-बाध्यकारी होती हैं, जो पिछले चार वर्षों से भारत को सीपीसी का दर्जा देने की आयोग की मांग को नजरअंदाज करता रहा है.

अपनी सुनवाई और रिपोर्टों में भारत में धार्मिक अल्पसंख्यकों, सिविल सोसायटी और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं पर हमलों और धमकी के बढ़ते मामलों को चिह्नित करने वाले आयोग ने आगे कहा, ‘भारतीय अधिकारियों ने धार्मिक अल्पसंख्यकों की वकालत करने वाले पत्रकारों और कार्यकर्ताओं को विदेश में निशाना बनाने और डराने-धमकाने के लिए स्पायवेयर और ऑनलाइन उत्पीड़न अभियानों का इस्तेमाल किया है.’

इसमें इस साल जून में वाशिंगटन में प्रधानमंत्री मोदी से सवाल करने वालीं अमेरिकी पत्रकार पर हुए हमलों का भी जिक्र किया गया है और कहा गया है, ‘भारत की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सूचना और प्रौद्योगिकी विभाग के प्रमुख अमित मालवीय की टिप्पणियों ने भारत में धार्मिक स्वतंत्रता की स्थिति के बारे में सवाल करने पर अमेरिका के वॉल स्ट्रीट जर्नल की पत्रकार सबरीना सिद्दीकी के खिलाफ ऑनलाइन अभियान छेड़ दिया था.’

यूएससीआईआरएफ आयुक्त डेविड करी ने कहा, ‘अपनी सीमाओं के भीतर भारतीय अधिकरणों ने धार्मिक अल्पसंख्यकों, पत्रकारों और कार्यकर्ताओं पर व्यवस्थित रूप से नकेल कसने के लिए बार-बार गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) और धर्मांतरण विरोधी कानूनों जैसे कठोर कानून का इस्तेमाल किया है.’

उन्होंने कहा, ‘विदेश में रहने वाले भारत के धार्मिक अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने के लिए इस दमन का विस्तार करना, जिसमें पत्रकारों को डराने-धमकाने की रणनीति भी शामिल है, विशेष रूप से खतरनाक है और इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है.’

उन्होंने आगे कहा, ‘हम अमेरिकी सरकार से वरिष्ठ भारतीय अधिकारियों और अंतरराष्ट्रीय साझेदारों के साथ सक्रिय बातचीत जारी रखने का आग्रह करते हैं, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि धार्मिक अल्पसंख्यक प्रतिशोध के डर के बिना रह सकें और खुद को अभिव्यक्त कर सकें, चाहे वह भारत में हों या कहीं और.’

पूर्व में यूएससीआईआरएफ ने भारत के राज्य-स्तरीय धर्मांतरण विरोधी कानूनों पर एक इश्यू अपडेट भी प्रकाशित किया था, जिसमें कहा गया था कि ये कानून धार्मिक अल्पसंख्यकों को निशाना बनाते हैं. मई 2023 में भी इस अमेरिकी आयोग ने भारत को ‘विशेष चिंता वाले’ देशों की सूची में रखने की सिफारिश की थी.

सितंबर 2023 में यूएससीआईआरएफ ने भारत में धार्मिक स्वतंत्रता की स्थिति और किसी भी उल्लंघन को संबोधित करने के लिए अमेरिकी सरकार भारत सरकार के साथ कैसे काम कर सकती है, इस पर एक सुनवाई रखी थी.

अक्टूबर में यूएससीआईआरएफ ने मोदी सरकार से विभिन्न धर्मों के 37 व्यक्तियों को रिहा करने का आह्वान किया था, जिन्हें अपने ‘धर्म या मत के स्वतंत्र और शांतिपूर्ण अभ्यास’ के लिए जेल में डाल दिया गया था.

समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने बताया कि वाशिंगटन में भारतीय दूतावास ने इस पर तत्काल टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है.

बता दें कि भारत सरकार यूएससीआईआरएफ की रिपोर्टों को लगातार खारिज करती रही है. आयोग की सबसे हालिया रिपोर्ट को उसने ‘तथ्यों को गलत पेश करने वाली’ और ‘पक्षपातपूर्ण’ बता दिया था.

इस रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.