मुंबई में धारावी स्लम क्षेत्र के पुनर्विकास परियोजना का ज़िम्मा अडानी समूह को दिए जाने का विरोध किया जा रहा है. बीते शनिवार को हुए प्रदर्शन का नेतृत्व शिवसेना यूबीटी के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने किया था. उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा ने उनके नेतृत्व वाली सरकार सिर्फ़ इसलिए गिरा दी थी, ताकि यह परियोजना अडानी को दी जा सके.
नई दिल्ली: धारावी स्लम क्षेत्र के पुनर्विकास की परियोजना का जिम्मा अडानी समूह को दिए जाने के विरोध में बीते शनिवार (16 दिसंबर) को मुंबई में विपक्षी दलों के नेतृत्व में एक बड़ा विरोध प्रदर्शन हुआ.
द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, इस दौरान हजारों की संख्या में प्रदर्शनकारी मौजूद रहे. उन्होंने इस झुग्गी बस्ती से शहर में स्थित गौतम अडानी के कार्यालय की ओर मार्च किया. उनके द्वारा साथ लिए गए पोस्टरों और प्लेकार्ड पर ‘अडानी हटाओ, धारावी बचाओ’ जैसे नारे लिखे गए थे. प्रदर्शनकारियों की मांग है कि सभी धारावी वासियों को 500 वर्ग फुट का घर दिया जाए.
मार्च का नेतृत्व करने वाले शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) झूठा दावा कर रही थी कि धारावी पुनर्विकास परियोजना (डीआरपी) के लिए निविदा (Tender) उनके मुख्यमंत्रित्व काल के दौरान जारी की गई थी, जब महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार सत्ता में थी.
उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा ने एमवीए सरकार को सिर्फ इसलिए गिराया था, ताकि यह परियोजना अडानी ग्रुप को दी जा सके.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, ठाकरे ने कहा, ‘केवल धारावी निवासियों को ही नहीं बल्कि पुलिस, सफाई कर्मचारियों और मिल श्रमिकों को भी धारावी में घर मिलना चाहिए. मैं विकास के खिलाफ नहीं हूं, लेकिन यह दुनिया का सबसे बड़ा टीडीआर (विकास अधिकारों का हस्तांतरण) घोटाला है. अडानी को 1 करोड़ रुपये का टीडीआर मिल रहा है, यानी उनकी अगली पीढ़ियां भी बिना काम किए चैन से रह सकेंगी. टीडीआर इतना है कि सरकार उन्हें उपहार दे रही है. लेकिन हम ऐसा नहीं होने देंगे.’
उन्होंने आगे कहा, ‘धारावी के पुनर्विकास का निर्णय 2018 में लिया गया था, जब देवेंद्र फड़णवीस मुख्यमंत्री थे. इसलिए, यह पाप उनका है.’
भाजपा नेता फड़णवीस वर्तमान में महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री हैं.
ठाकरे ने कहा, ‘अब कोई भी समझ सकता है कि मेरी सरकार को गिराने के लिए किसने वित्त पोषण किया. शिवसेना के साथ भाजपा अपने दोस्तों की मदद नहीं कर सकती थी, इसलिए मेरी पार्टी में दरार पैदा की गई और उसका चुनाव चिह्न चोरी कर लिया गया.’
मुंबई कांग्रेस प्रमुख और धारावी विधायक वर्षा गायकवाड़ भी मार्च में उपस्थित थीं.
भाजपा और अडानी समूह दोनों ने दावा किया है कि यह एमवीए सरकार है, जिसने अडानी समूह के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे. समूह ने एक बयान में कहा, ‘धारावी परियोजना एक निष्पक्ष, खुली, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धी बोली प्रक्रिया के माध्यम से अडानी समूह को सौंपी गई थी.’
इसमें कहा गया है, ‘निविदा शर्तों को एमवीए सरकार के कार्यकाल के दौरान अंतिम रूप दिया गया था और निविदा देने के बाद भी यह अपरिवर्तित बनी हुई है. इसलिए, बोली जीतने वाले को दिए गए किसी विशेष विशेषाधिकार का दावा करना गलत है.’
मालूम हो कि 20,000 करोड़ रुपये की अनुमानित राजस्व क्षमता वाली इस परियोजना का लक्ष्य मध्य मुंबई में बीकेसी व्यापार जिले के पास धारावी झुग्गी बस्ती का पुनर्निर्माण करना है. अडानी प्रॉपर्टीज ने पिछले साल नवंबर में रियल्टी प्रमुख डीएलएफ और नमन डेवलपर्स को पीछे छोड़ते हुए बोली लगाकर यह परियोजना हासिल की थी.
इस रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.