कर्नाटक: स्कूल में दलित छात्रों से सेप्टिक टैंक साफ कराया गया, प्रिंसिपल निलंबित

कोलार ज़िले के यलुवहल्ली में मोरारजी देसाई आवासीय विद्यालय में कथित तौर पर सातवीं से नवीं कक्षा के पांच-छह छात्रों को प्रिंसिपल और एक शिक्षक की उपस्थिति में सेप्टिक टैंक में उतरकर इसे साफ करने के लिए मजबूर किया गया. अब प्रिंसिपल समेत पांच स्टाफ सदस्यों के ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज की गई है. 

(प्रतीकात्मक फोटो साभार: Pixabay/jacobmwhitney1)

कोलार ज़िले के यलुवहल्ली में मोरारजी देसाई आवासीय विद्यालय में कथित तौर पर सातवीं से नवीं कक्षा के पांच-छह छात्रों को प्रिंसिपल और एक शिक्षक की उपस्थिति में सेप्टिक टैंक में उतरकर इसे साफ करने के लिए मजबूर किया गया. अब प्रिंसिपल समेत पांच स्टाफ सदस्यों के ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज की गई है.

(प्रतीकात्मक फोटो साभार: Pixabay/jacobmwhitney1)

नई दिल्ली: कर्नाटक के कोलार जिले के एक आवासीय विद्यालय में अनुसूचित जाति (एससी) समुदायों से संबंधित छात्रों के एक समूह को सेप्टिक टैंक को साफ करने के लिए मजबूर किया गया. बताया गया है कि टैंक को अपशिष्ट निपटान (Human Waste) के लिए इस्तेमाल किया जाता था. घटना की खबर सामने आने के बाद प्रिंसिपल और तीन अन्य कर्मचारियों को निलंबित कर दिया गया है.

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, मालूर तालुक के यलुवहल्ली में मोरारजी देसाई आवासीय विद्यालय की घटना तब सामने आई जब एक शिक्षक द्वारा कथित तौर पर मोबाइल फोन पर शूट किए गए वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए.

राज्य के समाज कल्याण मंत्री एचसी महादेवप्पा ने रविवार को एक आदेश में कहा, ‘एक जिम्मेदार संगठन इस तरह के काम के लिए बच्चों को नियुक्त नहीं कर सकता है. यह बेहद निंदनीय है. जैसे ही मुझे इसके बारे में पता चला, मैंने प्रिंसिपल को बुलाया और प्रिंसिपल, वार्डन और अन्य अधिकारियों को निलंबित कर दिया.’

मंत्री ने विभाग को घटना की विस्तृत जांच का भी आदेश दिया.

प्रिंसिपल भरतम्मा, शिक्षक मुनियप्पा, अभिषेक और हॉस्टल वार्डन मंजूनाथ – आदेश में केवल चार नामों का उल्लेख किया गया है, जिन्हें निलंबित कर दिया गया.

मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा कि उन्होंने दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का आश्वासन देते हुए एक विस्तृत रिपोर्ट का आदेश दिया है. उन्होंने कहा, ‘मुझे घटना के बारे में पता चला है और मैंने रिपोर्ट मांगी है. रिपोर्ट के आधार पर सख्त कार्रवाई करेंगे.’

मामले से परिचित लोगों के अनुसार, राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण के अध्यक्ष सुनील होस्मानी ने स्कूल का दौरा किया और निरीक्षण किया. कर्नाटक आवासीय शिक्षा संस्थान सोसाइटी (केआरआईईएस) के कार्यकारी निदेशक, नवीन कुमार राजू और समाज कल्याण विभाग के संयुक्त निदेशक आर श्रीनिवास ने भी साइट पर निरीक्षण किया.

कथित वीडियो में कक्षा 7 से 9 तक के पांच से छह छात्रों को प्रिंसिपल और एक शिक्षक की उपस्थिति में सेप्टिक टैंक में प्रवेश करने और साफ करने के लिए कहते हुए देखा जा सकता है. छात्रों को भी उनकी बात साझा करते हुए और स्कूल में उनके द्वारा भुगती गई कठोर परिस्थितियों को बताते हुए देखा जा सकता है. छात्रों ने रात में हॉस्टल के बाहर घुटनों के बल बैठने और शारीरिक शोषण समेत सजा देने का भी आरोप लगाया है.

अखबार और द वायर स्वतंत्र रूप से वीडियो की सत्यता की पुष्टि नहीं करते हैं.

निरीक्षण करने वालों में से एक ने नाम बताने से इनकार करते हुए कहा कि सभी प्रभावित बच्चे दलित हैं.

स्कूल के अधिकारियों ने इस घटना को कमतर दिखाने का प्रयास करते हुए यह दावा किया कि गड्ढा स्वच्छता अभियान का हिस्सा था, न कि अपशिष्ट निपटान वाला सेप्टिक टैंक. हालांकि,एक शिक्षक ने नाम न छापने का अनुरोध करते हुए पुष्टि की कि गड्ढे में मल था.

अभिभावकों ने भी घटना पर आक्रोश जताया है.

स्कूल का दौरा करने वाले जिला बाल संरक्षण इकाई अधिकारी नागरत्न ने कहा, ‘इस काम को स्कूली छात्रों से करवाना गलत है. हम स्कूल अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू करेंगे.’

कोलार जिला समाज कल्याण विभाग के संयुक्त निदेशक आर श्रीनिवास ने कहा, ‘मैंने स्कूल का दौरा किया है और गलती करने वाले स्कूल कर्मचारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की है.’

इस घटना को लेकर विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कांग्रेस के नेतृत्व वाली राज्य सरकार पर हमला किया है.

राज्य भाजपा प्रमुख बीवाई विजयेंद्र ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में कहा, ‘यह एक चिंताजनक बात है कि एससी समुदाय के लोगों को हिंसा और शोषण का शिकार होना पड़ रहा है. मलूर की घटना जहां बच्चों को मल के गड्ढे में उतारकर शारीरिक शोषण किया गया, वह बहुत ही जघन्य घटना है. कर्नाटक भाजपा इसकी कड़ी निंदा करती है.’

दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग करते हुए विजयेंद्र ने मांग की कि मंत्री महादेवप्पा को घटना की नैतिक जिम्मेदारी लेनी चाहिए और इस्तीफा देना चाहिए.

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, इसी बीच, स्कूल के प्रिंसिपल और एक टीचर समेत पांच स्टाफ सदस्यों पर एफआईआर दर्ज की गई है. मालूर पुलिस ने रविवार रात प्रिंसिपल और आर्ट शिक्षक को गिरफ्तार कर लिया और तीन अन्य लोगों की तलाश कर रही है.