केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान द्वारा लोकसभा में उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, साल 2023 में 1,89,90,809 छात्र कक्षा 10वीं की परीक्षा में शामिल हुए, जिनमें से 1,60,34,671 को उत्तीर्ण घोषित किया गया और 29,56,138 छात्र असफल रहे. पिछले चार वर्षों में 10वीं पास करने में असफल छात्रों की संख्या में वृद्धि हुई है.
नई दिल्ली: शिक्षा मंत्रालय के स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग (डीओएसईएल) द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, साल 2023 में 29 लाख से अधिक छात्र कक्षा 10 की परीक्षा पास करने में असफल रहे.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, लोकसभा में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान की ओर से पेश किए गए आंकड़ों के अनुसार, साल 2023 में 1,89,90,809 छात्र कक्षा 10 की परीक्षा में शामिल हुए थे, जिनमें से 1,60,34,671 छात्रों को उत्तीर्ण घोषित किया गया और 29,56,138 छात्र परीक्षा में असफल रहे थे.
आंकड़ों के अनुसार, पिछले चार वर्षों में 10वीं की परीक्षा उत्तीर्ण करने में असफल होने वाले छात्रों की संख्या में वृद्धि हुई है – यह साल 2019 में 1,09,800, साल 2020 में 1,00,812 थी, जो साल 2021 में घटकर 31,196 हो गई, लेकिन साल 2022 में तेजी से बढ़कर 1,17,308 हो गई.
कई अन्य बोर्ड जैसे नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ ओपन स्कूलिंग, असम बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन, बिहार स्कूल एग्जामिनेशन बोर्ड, छत्तीसगढ़ बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन, गुजरात सेकेंडरी एंड हायर सेकेंडरी एजुकेशन बोर्ड, बोर्ड ऑफ स्कूल एजुकेशन हरियाणा, महाराष्ट्र राज्य माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, माध्यमिक शिक्षा बोर्ड मध्य प्रदेश, माध्यमिक शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश और अन्य ने भी बड़ी संख्या में ऐसे छात्रों की सूचना दी है, जो पिछले वर्ष कक्षा 10 उत्तीर्ण नहीं कर सके.
प्रधान ने कहा, ‘परीक्षा में छात्रों के असफल होने का कारण विभिन्न कारकों पर निर्भर करता है, जैसे स्कूल न जाना, स्कूलों में निर्देशों का पालन करने में कठिनाई, पढ़ाई में रुचि की कमी, प्रश्न पत्र की कठिनाई का स्तर, गुणवत्तापूर्ण शिक्षकों की कमी, माता-पिता, शिक्षकों और स्कूलों आदि से समर्थन की कमी.’
ड्रॉपआउट दर के संदर्भ में ओडिशा और बिहार जैसे कुछ राज्यों को छोड़कर अधिकांश राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में 2021-22 शैक्षणिक वर्ष में गिरावट देखी गई है. ओडिशा में ड्रॉपआउट दर 39.4 से बढ़कर 49.9 हो गई और बिहार में 2021-22 में एक साल पहले यह 41.6 से बढ़कर 42.1 हो गई. गोवा में भी 2021-22 में ड्रॉपआउट दर 5.3 से बढ़कर 12.4 हो गई. महाराष्ट्र में भी स्कूल छोड़ने की दर 18.7 से बढ़कर 20.4 हो गई.