देश भर के एम्स में ओबीसी आरक्षित फैकल्टी पदों पर रिक्तियां हैं: संसदीय समिति

एक संसदीय समिति की रिपोर्ट के अनुसार, देश भर के कई अन्य एम्स में स्थिति बदतर है. दिल्ली स्थित एम्स में 19 प्रतिशत से कम फैकल्टी ओबीसी से हैं, जबकि अनिवार्य ओबीसी आरक्षण 27 प्रतिशत है. रिपोर्ट में कहा गया है कि ओबीसी प्रतिनिधित्व की कमी शीर्ष प्रबंधन पदों और ग़ैर-फैकल्टी पदों पर भी है.

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(प्रतीकात्मक फोटो साभार: एएनआई)

एक संसदीय समिति की रिपोर्ट के अनुसार, देश भर के कई अन्य एम्स में स्थिति बदतर है. दिल्ली स्थित एम्स में 19 प्रतिशत से कम फैकल्टी ओबीसी से हैं, जबकि अनिवार्य ओबीसी आरक्षण 27 प्रतिशत है. रिपोर्ट में कहा गया है कि ओबीसी प्रतिनिधित्व की कमी शीर्ष प्रबंधन पदों और ग़ैर-फैकल्टी पदों पर भी है.

(फोटो साभार: एएनआई)

नई दिल्ली: लोकसभा में पेश किए गए आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में 19 प्रतिशत से कम फैकल्टी अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) से हैं, जबकि अनिवार्य ओबीसी आरक्षण 27 प्रतिशत है. देश भर के कई अन्य एम्स में स्थिति बदतर है, जोधपुर के संस्थान में 9 प्रतिशत से कम ओबीसी फैकल्टी हैं.

द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, यह आंकड़ा एम्स में ओबीसी के प्रतिनिधित्व और उनके कल्याण के लिए किए गए उपायों पर संसद द्वारा गठित एक समिति द्वारा प्रस्तुत एक रिपोर्ट का हिस्सा है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि ओबीसी प्रतिनिधित्व की कमी शीर्ष प्रबंधन पदों और गैर-फैकल्टी पदों पर भी है. समिति ने पाया कि ओबीसी श्रेणी के तहत रिक्तियों का काफी बैकलॉग है.

एम्स दिल्ली में, कुल 848 में से 161 ओबीसी संकाय हैं, जिसका अर्थ है कि वे इस प्रमुख संस्थान में 18.98 प्रतिशत हैं. एम्स जोधपुर में ओबीसी का प्रतिनिधित्व 8.91 प्रतिशत, एम्स भुवनेश्वर में यह 12.83 प्रतिशत है. रायपुर और ऋषिकेश एम्स की फैकल्टी में ओबीसी की हिस्सेदारी लगभग 13.7 प्रतिशत है और भोपाल एम्स में यह 19.79 प्रतिशत है. 24 प्रतिशत ओबीसी फैकल्टी के साथ एम्स पटना का रिकॉर्ड सबसे अच्छा है.

स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा था कि प्रोफेसर, अतिरिक्त प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर जैसे वरिष्ठ फैकल्टी पदों के लिए आरक्षित श्रेणी के उम्मीदवारों की अनुपलब्धता के कारण यह स्थिति है. सुपर-स्पेशियलिटी विभागों में वरिष्ठ फैकल्टी पदों को भरना विशेष रूप से कठिन है, कॉरपोरेट अस्पतालों या विदेशी संस्थानों से ऑफर एम्स में किसी एक पद की तुलना में अधिक आकर्षण रखते हैं.

समिति ने स्वीकार किया कि रिक्तियों को भरने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं. फैकल्टी और गैर-फैकल्टी दोनों संवर्गों में इन आरक्षित पदों के लिए लोगों को नियुक्त करने के लिए मिशन मोड में भर्ती पर जोर दिया गया है.

वर्तमान में दिल्ली में मुख्य एम्स के अलावा छह पूरी तरह कार्यात्मक एम्स हैं. प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना के तहत 15 नए एम्स को भी मंजूरी दी गई है और ये संचालन के विभिन्न चरणों में हैं.