संसद सुरक्षा चूक: लोकसभा और राज्यसभा से कुल 78 विपक्षी सांसद निलंबित किए गए

संसद सुरक्षा मामले को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से बयान देने की मांग करने के कारण सदन की कार्यवाही में बाधा डालने के लिए लोकसभा से 33 और राज्यसभा से 45 विपक्षी सांसदों को निलंबित कर दिया गया है. इस तरह बीते 14 दिसंबर से अब तक दोनों सदनों से निलंबित किए गए कुल विपक्षी सांसदों की संख्या 92 हो गई है.

संसद भवन. (फोटो साभार: एएनआई)

संसद सुरक्षा मामले को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से बयान देने की मांग करने के कारण सदन की कार्यवाही में बाधा डालने के लिए लोकसभा से 33 और राज्यसभा से 45 विपक्षी सांसदों को निलंबित कर दिया गया है. इस तरह बीते 14 दिसंबर से अब तक दोनों सदनों से निलंबित किए गए कुल विपक्षी सांसदों की संख्या 92 हो गई है.

संसद की सुरक्षा में हुई चूक के बाद का एक दृश्य. (फोटो साभार: एक्स)

नई दिल्ली: बीते 13 दिसंबर को संसद सुरक्षा चूक मामले को लेकर केंद्र की मोदी सरकार और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से बयान देने की मांग लेकर सोमवार को भी दोनों सदनों (राज्यसभा और लोकसभा) में हंगामा जारी रहा.

इसके बाद कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी, डीएमके के टीआर बालू और दयानिधि मारन और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के सौगत रॉय सहित कुल 33 विपक्षी सदस्यों को सोमवार को सदन की कार्यवाही में बाधा डालने के लिए लोकसभा से निलंबित कर दिया गया.

वहीं, राज्यसभा से भी कुल 45 सांसदों को शीतकालीन सत्र के शेष समय के लिए ध्वनि मत से निलंबित कर दिया गया.

इस तरह सोमवार को दोनों सदनों से कुल 78 सांसदों को निलंबित किया गया और गुरुवार (14 दिसंबर) से अब तक दोनों सदनों से निलंबित किए गए कुल विपक्षी सांसदों की संख्या 92 हो गई है. जिसमें 46 लोकसभा और 46 राज्यसभा के सांसद हैं.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, मार्च 1982 के बाद से यह निलंबन की सबसे अधिक संख्या है, जब राजीव गांधी शासन के तहत 63 सांसदों को निलंबित किया गया था.

गौरतलब है कि इससे पहले संसद की सुरक्षा में सामने आई चूक के मामले में गृहमंत्री अमित शाह से बयान की मांग करने पर विपक्ष के 13 लोकसभा और एक राज्यसभा सांसद को बीते 14 दिसंबर को सदन की कार्यवाही से निलंबित कर दिया गया था. विपक्षी सांसद इस मामले पर चर्चा करना चाहते थे, लेकिन राज्यसभा के सभापति और लोकसभा अध्यक्ष सहमत नहीं हुए थे.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, लोकसभा सांसदों के निलंबन की अवधि अलग-अलग है, जिनमें 30 सदस्यों को शेष शीतकालीन सत्र के लिए निलंबित कर दिया गया है, जबकि 3 सदस्यों को विशेषाधिकार समिति की रिपोर्ट लंबित रहने तक निलंबन का सामना करना पड़ेगा. ये सांसद – के. जयकुमार, विजय वसंत और अब्दुल खालिक – नारे लगाने के लिए अध्यक्ष की आसंदी पर चढ़ गए थे.

सभापति द्वारा नामित किए जाने के बाद संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने निलंबन के संबंध में एक प्रस्ताव पेश किया और इसे ध्वनि मत से पारित कर दिया गया. बाद में सदन को दिन भर के लिए स्थगित कर दिया गया.

इससे पहले लोकसभा और राज्यसभा में सोमवार को एक बार फिर हंगामे वाले दृश्य सामने आए, जिसके कारण सदन की कार्यवाही से स्थगित करनी पड़ी. विपक्षी सांसदों ने लोकसभा में ‘भाजपा जवाब दो, सदन से भागना बंद करो’ के नारे लगाए.

इधर, लोकसभा सुरक्षा उल्लंघन मुद्दे पर विपक्षी सांसदों के हंगामे के बीच राज्यसभा ने जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (दूसरा संशोधन) विधेयक, 2023 और केंद्र शासित प्रदेश सरकार (संशोधन) विधेयक पारित कर दिया.

दोनों विधेयक पुदुचेरी और जम्मू-कश्मीर की विधान सभाओं में कानून बनाने की प्रक्रियाओं में जन प्रतिनिधियों के रूप में महिलाओं के अधिक प्रतिनिधित्व और भागीदारी को सक्षम बनाने का प्रयास करते हैं.

इससे पहले दिन में कांग्रेस सांसद और लोकसभा में पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सुरक्षा चूक के मुद्दे पर संसद में बोलने का आग्रह किया था और चार दिन बाद घटना पर प्रतिक्रिया देने के लिए उनकी आलोचना की थी.

इससे पहले रविवार को चौधरी ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला को पत्र लिखकर सदन के 13 विपक्षी सदस्यों का निलंबन रद्द करने का आग्रह किया था. उन्होंने कहा था कि सांसदों ने संसद सुरक्षा का बहुत चिंतित करने वाला मुद्दा उठाया था.

लोकसभा से निलंबित सांसद

सोमवार को लोकसभा में जिन सांसदों को शेष सत्र के लिए निलंबित किया गया, उनमें ये नाम शामिल हैं- कल्याण बनर्जी (टीएमसी), ए. राजा (डीएमके), दयानिधि मारन (डीएमके), अपरूपा पोद्दार (टीएमसी), प्रसून बनर्जी (टीएमसी), ईटी मोहम्मद बशीर (आईयूएमएल), जी. सेल्वम (डीएमके), सीएन अन्नादुराई (डीएमके), अधीर रंजन चौधरी (कांग्रेस), टी. सुमति (डीएमके), के. नवस्कनी (आईयूएमएल), के. वीरास्वामी (डीएमके), एनके प्रेमचंद्रन (आरएसपी), सौगत रॉय (टीएमसी), शताब्दी रॉय (टीएमसी), असित कुमार मल (टीएमसी), कौशलेंद्र कुमार (जेडीयू), एंटो एंटनी (कांग्रेस), एसएस पलानीमनिकम (डीएमके), थिरुनावुक्कारासर (कांग्रेस), प्रतिमा मंडल (टीएमसी), काकोली घोष दस्तीदार (टीएमसी), के. मुरलीधरन (कांग्रेस), सुनील कुमार मंडल (टीएमसी), एस. रामलिंगम (डीएमके), के. सुरेश (कांग्रेस), अमर सिंह (कांग्रेस), राजमोहन उन्नीथन (कांग्रेस), गौरव गोगोई (कांग्रेस), टीआर बालू (डीएमके).

इसके अलावा कांग्रेस के तीन सांसद के. जयकुमार, विजय वसंत और अब्दुल खालिक के निलंबन की अवधि विशेषाधिकार समिति द्वारा निर्धारित की जाएगी.

राज्यसभा से निलंबित सांसद

राज्यसभा में सदन के नेता पीयूष गोयल ने विपक्ष के 45 सदस्यों को ‘कदाचार’ और ‘लगातार नारे लगाने और सदन की कार्यवाही के दौरान के वेल में प्रवेश करने, जिससे सदन के नियमों का उल्लंघन हुआ’ के लिए निलंबित करने का प्रस्ताव पेश किया.

निलंबित सांसदों में ये नाम शामिल हैं – प्रमोद तिवारी (कांग्रेस), जयराम रमेश (कांग्रेस), अमी याजनिक (कांग्रेस), नारणभाई (कांग्रेस), सैयद नासिर हुसैन (कांग्रेस), फूलो देवी नेताम (कांग्रेस), शक्ति सिंह गोहिल (कांग्रेस), केसी वेणुगोपाल ( कांग्रेस), रजनी पाटिल (कांग्रेस), रंजीत रंजन (कांग्रेस), इमरान प्रतापगढ़ी (कांग्रेस), रणदीप सिंह सुरजेवाला (कांग्रेस), सुखेंदु शेखर रॉय (टीएमसी), मोहम्मद नदीमुल हक (टीएमसी), अबीर रंजन विश्वास (टीएमसी), शांतनु सेन (टीएमसी), मौसम नूर (टीएमसी), प्रकाश चिक बड़ाईक (टीएमसी), समीरुल इस्लाम (टीएमसी), एम. शनमुगम (डीएमके), एनआर इलांगो, कनिमोझी एनवीएन सोमू (डीएमके), आर. गिरिराजन (डीएमके), मनोज कुमार झा (आरजेडी), फैयाज अहमद (आरजेडी), वी. शिवदासन (सीपीआई-एम), रामनाथ ठाकुर (जेडीयू), अनिल प्रसाद हेगड़े (जेडीयू), वंदना चव्हाण (एनसीपी), राम गोपाल यादव (एसपी), जावेद अली खान (एसपी), महुआ माजी (जेएमएम), जोस के. मणि (केरल कांग्रेस एम), अजीत कुमार भुइयां (निर्दलीय).

इसके अलावा 11 अन्य सांसदों के निलंबन को उनके निलंबन की अवधि निर्धारित करने के लिए गोयल द्वारा विशेषाधिकार समिति को भेजा गया है.

उनके नाम हैं- जेबी माथेर हिशाम (कांग्रेस), एल. हनुमंथैया (कांग्रेस), नीरज डांगी (कांग्रेस), राजमणि पटेल (कांग्रेस), कुमार केतकर (कांग्रेस), जीसी चन्द्रशेखर, बिनॉय विश्वम (सीपीआई), संतोष कुमार (जेडीयू), जॉन ब्रिटास (सीपीआईएम), एम. मोहम्मद अब्दुल्ला (डीएमके), एए रहीम (सीपीआईएम).

विपक्ष ने की आलोचना

निलंबन के बाद विपक्षी सांसदों ने मोदी सरकार पर ‘निरंकुश’ होने का आरोप लगाया है.

राज्यसभा सांसद और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि ‘तानाशाह मोदी सरकार द्वारा अभी तक 92 विपक्षी सांसदों को निलंबित कर सभी लोकतांत्रिक प्रणालियों को कूड़ेदान में फेंक दिया गया है. विपक्ष-रहित संसद में मोदी सरकार अब महत्वपूर्ण लंबित कानूनों को बिना किसी चर्चा-बहस या असहमति से बहुमत के बाहुबल से पारित करवा सकती है.’

राज्यसभा में सांसदों के निलंबन को ‘खूनखराबा’ करार देते हुए कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि ‘यह भारत में लोकतंत्र की हत्या है.’

उन्होंने सोशल साइट एक्स पर लिखा, ‘सिर्फ लोकसभा में ही नहीं, आज राज्यसभा में भी ‘खूनखराबा’ हुआ. 13 दिसंबर को हुई सुरक्षा चूक पर गृह मंत्री के बयान की मांग करने और नेता प्रतिपक्ष को बोलने की इजाजत देने की मांग करने पर इंडिया गठबंधन में शामिल दलों के 45 सांसदों को निलंबित कर दिया गया. मैं भी अपने 19 साल के संसदीय करिअर में पहली बार इस सम्मान सूची में शामिल हूं.’

उन्होंने आगे कहा, ‘यह मर्डर ऑफ डेमोक्रेसी इन इंडिया (यानी MODI) है!’

सोमवार को निलंबित किए गए सांसदों में से एक कांग्रेस के गौरव गोगोई ने मोदी सरकार पर देश के लोगों को अधिकारों से वंचित करने का आरोप लगाया.

उन्होंने समाचार एजेंसी पीटीआई/भाषा से कहा, ‘वे विपक्ष को और सदन में लोगों के नैतिक अधिकारों को कुचल रहे हैं. इससे स्पष्ट होता है कि उनका सदन चलाने का कोई इरादा नहीं है. संसद की सुरक्षा में अमित शाह की विफलता को छिपाने के लिए वे इस तरह के कदम उठा रहे हैं.’

कांग्रेस के लोकसभा सांसद शशि थरूर ने कहा कि ‘संसदीय प्रणाली में सरकार से जवाबदेही की मांग करने पर सांसदों को निलंबित किया जाना’ चौंकाने वाला है.

राजद सांसद मनोज कुमार झा ने कहा, ‘लोकतंत्र के आज के काले दौर में निलंबन सम्मान का प्रतीक है. (निलंबन) किसलिए? क्योंकि हम (गृह मंत्री से) एक आधिकारिक बयान मांग रहे हैं?’

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को कहा कि भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ‘लोकतंत्र का मजाक’ बना रही है.

उन्होंने कहा, ‘ऐसा नहीं है कि सामूहिक रूप से उन्हें सभी को निलंबित करना होगा. अगर वे सोचते हैं कि सदन सर्वोच्च है, तो वे क्यों डरते हैं? अगर वे सभी सदस्यों को निलंबित कर देंगे, तो वे अपनी आवाज कैसे उठाएंगे?’

उन्होंने आगे कहा, ‘वे तीन महत्वपूर्ण विधेयक, यहां तक कि कानून विधेयक भी पारित कर रहे हैं. यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण आपराधिक कानून विधेयक है. हम सभी ने कहा कि चुनाव के कारण नई सरकार आने में केवल तीन से चार महीने का समय बचा है. वे अभी निर्णय क्यों ले रहे हैं? नई सरकार भी इन सबकी समीक्षा कर सकती है. लोकतंत्र में एक व्यवस्था है. लोगों के लिए आवाज कौन उठाएगा?’

वहीं, भाजपा ने सोमवार को कांग्रेस और उसके सहयोगियों पर लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा सभापति का ‘अपमान’ करने और अपने आचरण से देश को ‘शर्मिंदा’ करने का आरोप लगाया है.

राज्यसभा में सदन के नेता पीयूष गोयल ने संवाददाताओं से कहा कि विपक्षी सदस्य तख्तियां लेकर आए और जान-बूझकर संसदीय कार्यवाही को बाधित किया, जबकि पहले यह निर्णय लिया गया था कि सदनों में तख्तियों की अनुमति नहीं दी जाएगी.

हालांकि, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अब तक संसद सुरक्षा चूक मामले को लेकर सदन में बयान नहीं दिया है, लेकिन उन्होंने एक टेलीविजन समाचार चैनल के साथ साक्षात्कार में विपक्ष पर मुद्दे का राजनीतिकरण करने का आरोप लगाया है.

बीते शुक्रवार (15 दिसंबर) को शाह ने इंडिया टुडे के साथ एक साक्षात्कार में कहा था कि सुरक्षा में चूक एक ‘गंभीर मुद्दा’ है, लेकिन उन्होंने विपक्षी दलों पर इस घटना पर राजनीति करने का आरोप लगाया था.

मालूम हो कि बीते 13 दिसंबर को संसद की सुरक्षा में तब गंभीर चूक देखी गई थी, जब लोकसभा में दो व्यक्ति दर्शक दीर्घा से हॉल में कूदने के बाद गैस कनस्तर खोल दिए थे, जिससे सदन की कार्यवाही बाधित हो गई थी. मनोरंजन डी. और सागर शर्मा नामक व्यक्तियों ने भाजपा के मैसुरु सांसद प्रताप सिम्हा से लोकसभा में दाखिल होने के लिए विजिटर्स पास प्राप्त किया था.

इन दोनों आरोपियों के अलावा संसद परिसर में रंगीन धुएं का कनस्टर खोलने और नारेबाजी करने की आरोपी नीलम आजाद और अमोल शिंदे को गिरफ्तार किया गया था.

इस मामले में विशाल शर्मा उर्फ विक्की नामक 5वां आरोपी बाद में गुड़गांव स्थित आवास आवास से पकड़ा गया. एक अन्य आरोपी ललित झा ने आत्मसमर्पण कर दिया था. झा के सहयोगी के तौर पर महेश कुमावत को भी गिरफ्तार किया गया है.

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