मणिपुर: ताज़ा हिंसा के बाद चूड़ाचांदपुर ज़िले में दो महीने के लिए कर्फ्यू लगाया गया

सात महीने से जातीय संघर्ष से जूझ रहे मणिपुर में ताज़ा झड़पें अब तक की हिंसा में मारे गए 87 कुकी-ज़ोमी पीड़ितों के सामूहिक दफ़न कार्यक्रम से पहले हुईं. ये घटनाएं सोमवार को चूड़ाचांदपुर शहर के कई हिस्सों और थिंगखांगफाई गांव में हुईं, जिसमें लगभग 30 लोग घायल हुए हैं.

(प्रतीकात्मक फोटो साभार: एक्स/@manipur_police)

सात महीने से जातीय संघर्ष से जूझ रहे मणिपुर में ताज़ा झड़पें अब तक की हिंसा में मारे गए 87 कुकी-ज़ोमी पीड़ितों के सामूहिक दफ़न कार्यक्रम से पहले हुईं. ये घटनाएं सोमवार को चूड़ाचांदपुर शहर के कई हिस्सों और थिंगखांगफाई गांव में हुईं, जिसमें लगभग 30 लोग घायल हुए हैं.

(प्रतीकात्मक फोटो साभार:/@manipur_police)

नई दिल्ली: अधिकारियों ने मंगलवार को बताया कि सोमवार रात दो समूहों के बीच झड़प में लगभग 30 लोगों के घायल होने के बाद मणिपुर के चूड़ाचांदपुर जिले में दो महीने के लिए कर्फ्यू लगा दिया गया है.

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, ये झड़पें बीते सात महीनों से मेईतेई और कुकी-ज़ोमी जनजातियों के बीच चल रहे जातीय संघर्ष में मारे गए 87 कुकी-ज़ोमी पीड़ितों के सामूहिक दफ़न कार्यक्रम से पहले हुईं.

पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद पीड़ितों के शव, जो महीनों से इंफाल के दो मुर्दाघरों में थे, को हवाई मार्ग से चूड़ाचांदपुर और कांगपोकपी ले जाया गया. पिछले सप्ताह कांगपोकपी में सामूहिक दफ़न आयोजित किया गया था.

चूड़ाचांदपुर के डिप्टी कमिश्नर धारुन कुमार एस. के आदेश में कहा गया है कि ‘दो समूहों के बीच झड़प और छिटपुट हिंसा’ के बारे में पुलिस रिपोर्टों के आधार पर सीआरपीसी की धारा 144 अगले साल 18 फरवरी तक, यानी दो महीने के लिए लगाई गई है.

ये घटनाएं चूड़ाचांदपुर शहर के कई हिस्सों और थिंगखांगफाई गांव में हुईं. कुकी-ज़ोमी जनजातियों के प्रभुत्व वाले इस जिले में लगभग 30 लोग घायल हो गए.

आदेश में कहा गया है, ‘यह बताया गया है कि लोगों के दो समूहों के बीच टकराव के कारण अभी भी शांति भंग होने की संभावना है, जिसके परिणामस्वरूप सांप्रदायिक माहौल में खुली झड़प हो सकती है और स्थिति अभी भी तनावपूर्ण है.’

कुमार ने कहा कि कर्फ्यू ‘शांति और व्यवस्था बनाए रखने के लिए निवारक उपाय’ के रूप में लगाया गया है क्योंकि कानून और व्यवस्था के उल्लंघन की गंभीर आशंका है. यह आदेश कानून व्यवस्था और आवश्यक सेवाओं के रखरखाव में शामिल सरकारी एजेंसियों पर लागू नहीं होगा.

चूड़ाचांदपुर के पुलिस अधीक्षक कार्तिक मल्लादी ने कहा कि मंगलवार को जिले में स्थिति सामान्य रही. उन्होंने बताया कि सोमवार को निलंबित की गई मोबाइल इंटरनेट सेवा बहाल कर दी गई है.

ज़ोमी बस्तियों के करीब स्थित कुकी गांव थिंगफाई में एक स्मारक पत्थर के पास ज़ोमी झंडा फहराने के मुद्दे पर कुकी और ज़ोमी जनजातियों के दो समूहों के बीच झड़प हुई. चूड़ाचांदपुर में सामूहिक दफ़न स्थल का नाम कुकी-ज़ो मार्टियर्स सिमेट्री (शहीद कब्रिस्तान) रखने पर भी मतभेद थे.

सोमवार को चूड़ाचांदपुर में कुकी समूह, इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम (आईटीएलएफ) की अध्यक्षीय परिषद की एक बैठक में शवों के दफन स्थल का नाम कुकी-ज़ो मार्टियर्स सिमेट्री रखने का निर्णय लिया गया था. इस कदम पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए ज़ोमी काउंसिल ने मंगलवार को आयोजित एक आपातकालीन बैठक में कहा कि कुकी-ज़ो शब्द पर कभी चर्चा नहीं हुई, इस पर कोई आम सहमति नहीं है और यह ‘ज़ोमी के लिए अस्वीकार्य’ है.

ज़ोमी काउंसिल ने एक बयान में सोमवार को कुकी द्वारा ज़ोमी नागरिकों पर ‘क्रूर हमले’ की निंदा की और कहा कि ज़ोमी ध्वज के प्रति दिखाए गए अनादर को देखकर वह स्तब्ध है.

ज़ोमी काउंसिल के अध्यक्ष जॉन के नगैथे ने कहा था कि वे सामूहिक दफन समारोह में भाग लेंगे.

वहीं, मंगलवार शाम को कुकी छात्र संगठन और ज़ोमी छात्र संघ ने एक बैठक के बाद एक संयुक्त घोषणा जारी की ‘शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व और आपसी सम्मान को बनाए रखना’. यह घोषणा केएसओ द्वारा घायल ज़ोमी नागरिकों पर हमला करने वाली हिंसक भीड़ की ओर से माफी जारी करने के बाद जारी की गई.

मालूम हो कि मणिपुर 3 मई से मेईतेई और कुकी-ज़ो समुदायों के बीच जातीय संघर्ष से जूझ रहा है. हिंसा में कम से कम 196 लोगों की मौत हो गई है और लगभग 50,000 लोग विस्थापित हो गए हैं.