बृजभूषण के क़रीबी के डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष बनने से निराश पहलवान साक्षी मलिक ने संन्यास लिया

भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के पदाधिकारियों के लिए हुए चुनाव के बाद संजय सिंह को नया अध्यक्ष चुना गया है, जो महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़न के आरोपी पूर्व अध्यक्ष भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह के क़रीबी सहयोगी बताए जा रहे हैं. बृजभूषण पर आरोप लगाते हुए इस साल जनवरी में पहलवानों ने राजधानी दिल्ली में प्रदर्शन किया था.

बृजभूषण शरण सिंह (दाएं) के साथ संजय सिंह (बाएं) (फोटो साभार: फेसबुक/संजय सिंह बबलू)

भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के पदाधिकारियों के लिए हुए चुनाव के बाद संजय सिंह को नया अध्यक्ष चुना गया है, जो महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़न के आरोपी पूर्व अध्यक्ष भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह के क़रीबी सहयोगी बताए जा रहे हैं. बृजभूषण पर आरोप लगाते हुए इस साल जनवरी में पहलवानों ने राजधानी दिल्ली में प्रदर्शन किया था.

बृजभूषण शरण सिंह (दाएं) के साथ संजय सिंह (बाएं) (फोटो साभार: फेसबुक/संजय सिंह बबलू)

नई दिल्ली: लंबी देरी के बाद भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के पदाधिकारियों के चयन के लिए हुए मतदान के बाद बाद गुरुवार (21 दिसंबर) को संजय सिंह को इसका अध्यक्ष चुना गया है.

वे पूर्व अध्यक्ष और भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह के करीबी बताए जाते हैं. नतीजे आने के बाद बृजभूषण के खिलाफ महिला पहलवानों का यौन उत्पीड़न करने के आरोप लगाकर प्रदर्शन करने वालीं ओलंपिक पदक विजेता साक्षी मलिक ने कुश्ती से संन्यास का ऐलान कर दिया है.

इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि संजय ने राष्ट्रमंडल खेलों की स्वर्ण पदक विजेता पहलवान अनीता श्योराण को 7 के मुकाबले 40 वोटों से हराया है.

चुनाव जीतने के बाद संजय ने टोक्यो ओलंपिक के कांस्य पदक विजेता बजरंग पुनिया, रियो ओलंपिक की कांस्य पदक विजेता साक्षी मलिक और विश्व चैंपियनशिप पदक विजेता विनेश फोगाट जैसे भारत के कुछ शीर्ष पहलवानों पर निशाना साधा, जिन्होंने इस साल जनवरी में महासंघ के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ यौन उत्पीड़न का आरोप लगाकर मोर्चा खोल दिया था.

अपनी जीत घोषित होने के बाद उन्होंने कहा, ‘जिनको कुश्ती करनी है वो कुश्ती करें, जिनको राजनीति करनी है वो राजनीति करें. राजनीति का जवाब राजनीति के अखाड़े में दिया जाएगा.’

संजय डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष के रूप में विवादों में घिरे रहे बृजभूषण शरण सिंह की जगह लेंगे, जिन्हें बजरंग, साक्षी और विनेश जैसे शीर्ष भारतीय पहलवानों के विरोध के बाद हटना पड़ा था.

प्रदर्शनकारी पहलवानों ने उत्तर प्रदेश के कैसरगंज से कई बार के भाजपा सांसद बृजभूषण पर यौन उत्पीड़न समेत कई गंभीर आरोप लगाए थे. दिल्ली पुलिस के आरोप-पत्र में कहा गया था कि बृजभूषण महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़न, छेड़छाड़ और पीछा करने के आरोपी पाए गए थे.

इस बीच, विरोधी गुट के प्रेम चंद लोचब जिन्हें प्रदर्शनकारी पहलवानों का समर्थन प्राप्त था, को महासचिव के रूप में चुना गया है.

वाराणसी के रहने वाले संजय बृजभूषण के करीबी सहयोगी हैं. उन्होंने बीते बुधवार (20 दिसंबर) को इंडियन एक्सप्रेस से कहा था कि उन्हें चुनाव में 50 में से 42 वोट मिलने का भरोसा है.

उन्होंने कहा था, ‘मुझे डब्ल्यूएफआई का अध्यक्ष बनने का पूरा भरोसा है, क्योंकि मुझे निर्वाचक मंडल के 50 सदस्यों में से कम से कम 42 का समर्थन प्राप्त है. मेरा पैनल चुनाव जीतेगा. जो लोग दिल में खेल के प्रति सर्वोत्तम रुचि रखते हैं वे मुझे वोट देंगे. इस साल की शुरुआत में जो हुआ (पहलवानों का विरोध) उससे खेल को क्षति पहुंची है. मैं यह सुनिश्चित करूंगा कि कोई और क्षति न हो.’

इस बीच, श्योराण को प्रदर्शनकारी पहलवानों का समर्थन प्राप्त था. 2010 के राष्ट्रमंडल खेलों की स्वर्ण पदक विजेता श्योराण बृजभूषण के खिलाफ मामले में एक गवाह हैं.

वहीं, इस सप्ताह के शुरुआत मे इंडियन एक्सप्रेस ने एक रिपोर्ट में यह भी बताया था कि बजरंग और साक्षी ने केंद्रीय खेल मंत्री अनुराग ठाकुर से मुलाकात कर संजय को डब्ल्यूएफआई प्रमुख की दौड़ से हटने के लिए मनाने का अनुरोध किया था.

संजय ने पहलवानों की इस मांग के बारे में पूछे जाने पर अखबार से कहा था, ‘अगर भारतीय कुश्ती महासंघ का चुनाव लोकतांत्रिक तरीके से हो रहा है तो किसी को इसमें हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए. अभी तक किसी ने मुझसे नाम वापस लेने के लिए नहीं कहा है. मैं लगभग 12 वर्षों से इस महासंघ से जुड़ा हुआ हूं. मैं यह सुनिश्चित करने के लिए कड़ी मेहनत करना चाहता हूं कि यह उन ऊंचाइयों पर लौट आए, जहां हमारे सांसद-अध्यक्ष (बृजभूषण) उसे ले गए थे.’

बता दें कि भारतीय कुश्ती महासंघ में पदाधिकारियों के लिए चुनाव संपन्न होने के साथ ही यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग, जो कि कुश्ती की वैश्विक नियामक संस्था है, के लिए डब्ल्यूएफआई पर लगाए गए निलंबन को हटाने का रास्ता साफ हो गया है. यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग ने अगस्त में निर्धारित समयसीमा के भीतर चुनाव कराने में विफल रहने के लिए डब्ल्यूएफआई को निलंबित कर दिया था.

परिणामस्वरूप, भारतीय पहलवान पिछले कुछ महीनों के दौरान हुईं वैश्विक प्रतिस्पर्धाओं में तटस्थ एथलीट के तौर पर उतरे थे.

‘पहलवानों को न्याय नहीं मिला’

इस बीच, संजय के अध्यक्ष बनने के बाद पहलवानों के प्रदर्शन का नेतृत्व करने वालीं साक्षी मलिक ने खेल से संन्यास का ऐलान कर दिया है. उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, ‘मैंने देश के लिए जितने भी पुरस्कार जीते हैं, आप सबके आशीर्वाद से जीते हैं. मैं आप सभी देशवाशियों की हमेशा आभारी रहूंगी. कुश्ती को अलविदा.’

अपने ट्वीट के साथ उन्होंने पहलवानों की प्रेस कॉन्फ्रेंस का एक वीडियो भी साझा किया है, जिसमें वह अपने संघर्ष को बयां करते हुए कहती नजर आती हैं, ‘बहुत साल लगे महासंघ के अध्यक्ष के खिलाफ लड़ाई लड़ने की हिम्मत लाने के लिए और हमने उनके खिलाफ प्रदर्शन किया. लेकिन आज आप सबको नतीजा पता ही है कि उनका निकटतम सहयोगी (दायां हाथ) ही महासंघ का अध्यक्ष बना है. जो सरकार ने वादा किया था वो पूरा नहीं हुआ. हमारी मांग महिला अध्यक्ष की थी. आज आप सूची (विजेताओं की) उठाकर देख लो, एक भी महिला को स्थान नहीं दिया गया.’

आगे भावुक होते हुए उन्होंने कहा, ‘अगर अध्यक्ष बृजभूषण का सहयोगी, उसका बिजनेस पार्टनर, महासंघ में रहेगा तो मैं अपनी कुश्ती को त्यागती हूं.’

हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, अंतरराष्ट्रीय पहलवान संगीता फोगाट ने कहा कि महिला पहलवानों का फिर से उत्पीड़न किया जाएगा. उन्होंने कहा कि पहलवानों को न्याय नहीं मिला.

उन्होंने कहा, ‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि ऐसे लोग देश में ऐसे पदों पर चुने जा रहे हैं. अब, लड़कियों का फिर से उत्पीड़न किया जाएगा. यह दुखद है कि इसके खिलाफ लड़ने के बाद भी हम कोई बदलाव नहीं ला सके. मुझे नहीं पता कि हमारे अपने ही देश में न्याय कैसे मिलेगा.’

इस बीच, विनेश फोगाट ने कहा कि महिला पहलवानों को अब शोषण का सामना करना पड़ेगा.

अपने विरोध प्रदर्शन का जिक्र करते हुए बजरंग पूनिया ने भी साक्षी की ही बात दोहराई की सरकार ने अपना वादा पूरा नहीं किया.

उन्होंने कहा, ‘हम सच्चाई और महिलाओं के लिए लड़ रहे थे, वरना हम भी सक्रिय एथलीट थे और देश के लिए पदक जीत रहे थे. मुझे नहीं लगता कि बेटियों को न्याय मिलेगा, क्योंकि जिस तरह से इस व्यवस्था ने काम किया है, बेटियों को कमजोर करने की कोशिश की जा रही है. अभी भी हमें न्यायपालिका पर भरोसा है.’

बृजभूषण के ख़िलाफ़ इस साल जनवरी में हुआ था प्रदर्शन

मालूम हो कि इस साल जनवरी महीने में पहलवानों ने भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष और भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए दिल्ली के जंतर मंतर पर प्रदर्शन शुरू किया था.

कई हफ्तों के विरोध के बाद बीते 23 जनवरी को मामले की जांच के लिए केंद्रीय खेल मंत्रालय के आश्वासन और ओलंपिक पदक विजेता मुक्केबाज मैरी कॉम की अध्यक्षता में छह सदस्यीय समिति का गठन के बाद पहलवानों ने अपना धरना खत्म कर दिया था.

इस दौरान बृजभूषण को महासंघ के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारियों से अलग कर दिया गया था. हालांकि कोई कार्रवाई न होने के बाद बीते 23 अप्रैल को बजरंग पुनिया, विनेश फोगाट और साक्षी मलिक समेत अन्य पहलवानों ने अपना प्रदर्शन दोबारा शुरू कर दिया था.

28 मई को जंतर मंतर से हटाए जाने के बाद पहलवानों की खेल मंत्री अनुराग ठाकुर से मुलाकात हुई थी, जिसके बाद उन्होंने 15 जून तक के लिए विरोध प्रदर्शन स्थगित कर दिया था, क्योंकि ठाकुर ने इसी तारीख तक बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ आरोप-पत्र पेश किए जाने की बात कही थी. साथ ही आश्वासन दिया था कि बृजभूषण के परिवार का किसी भी सदस्य को डब्ल्यूएफआई का चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं दी जाएगी.

इसके बाद बीते 25 जून को प्रदर्शनकारी पहलवानों ने कहा था कि बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ लड़ाई सड़कों पर नहीं, बल्कि अदालत में लड़ी जाएगी.

शीर्ष अदालत ने भी आरोपों को गंभीर माना था और दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया था. जिसके बाद पुलिस ने बृजभूषण के खिलाफ दो एफआईआर दर्ज की थीं, जिनमें एक नाबालिग पहलवान की शिकायत पर पॉक्सो के तहत दर्ज किया गया मामला भी है.

जुलाई 2023 में बृजभूषण शरण सिंह को दिल्ली की राउज ऐवेन्यू कोर्ट ने इस मामले में जमानत दे दी थी. जमानत के साथ कई शर्तें लगाते हुए कहा गया था कि वह प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से शिकायतकर्ताओं या गवाहों को प्रभावित नहीं करेंगे और अदालत की अनुमति के बिना देश नहीं छोड़ेंगे.

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