द वायर बुलेटिन: आज की ज़रूरी ख़बरों का अपडेट.
भाजपा सांसद और भारतीय कुश्ती महासंघ के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ यौन शोषण के आरोपों को लेकर प्रदर्शन करने वाले पहलवानों में से एक बजरंग पूनिया ने कुश्ती महासंघ में बृजभूषण के करीबी संजय सिंह के प्रमुख बनने के विरोध में अपना ‘पद्मश्री’ सम्मान लौटा दिया है. ट्विटर पर जारी बयान में उन्होंने कहा कि जिस कुश्ती के लिए उन्हें यह सम्मान मिला था, उनकी साथी महिला पहलवानों को अपनी सुरक्षा के लिए वही कुश्ती छोड़नी पड़ रही है. अमर उजाला के अनुसार, पूनिया शुक्रवार को पद्मश्री सम्मान लौटने प्रधानमंत्री आवास पहुंचे थे. हालांकि उन्हें अंदर नहीं जाने दिया गया, जिसके बाद वे पीएम आवास के बाहर फुटपाथ पर सम्मान छोड़कर चले गए. इससे पहले संजय सिंह की जीत के बाद गुरुवार को उनकी साथी प्रदर्शनकारी पहलवान और ओलंपिक विजेता साक्षी मलिक ने खेल छोड़ने की घोषणा की थी. उनका कहना था कि ‘अगर अध्यक्ष बृजभूषण का सहयोगी, उसका बिजनेस पार्टनर, महासंघ में रहेगा तो वे खेल में नहीं रहेंगी.’ कुश्ती महासंघ के चुनाव के नतीजे संजय के पक्ष में आने के बाद बृजभूषण ने कहा था कि (महासंघ में उनका) ‘दबदबा था, दबदबा रहेगा.’
केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने मासिक धर्म के लिए पेड लीव नीति को लेकर दिए गए उनके बयान की आलोचना के बाद कहा है कि नियोक्ता (employer) को किसी महिला के पीरियड्स के बारे में क्यों पता होना चाहिए. उन्होंने यह बात समाचार एजेंसी एएनआई को दिए गए एक इंटरव्यू में कही है. उन्होंने कहा, ‘मान लीजिए कि अगर एक सिंगल महिला उन छुट्टियों को न लेने का फैसला करती है जिन्हें देने का कथित प्रस्ताव रखा जा रहा है. क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि महिलाओं को किस उत्पीड़न का सामना करना पड़ेगा? ऐसी छुट्टी की नीति लागू करने का मतलब होगा कि महिलाएं अपने मासिक धर्म के बारे में एचआर और एकाउंट्स विभाग को बताएं.’ उन्होंने यह भी जोड़ा, ‘क्या आप सोच सकते हैं कि जब हम कह रहे हैं कि कार्यबल में अधिक से अधिक महिलाओं के शामिल होने की जरूरत है, खासकर फैक्ट्री फ्लोर और कॉरपोरेट घरानों में, आप 20,000 महिलाओं वाले फ्लोर की कल्पना करें? तो हम भेदभाव के लिए और अधिक बाधाएं पैदा कर रहे हैं.’ बीते सप्ताह राज्यसभा में राजद सदस्य मनोज कुमार झा द्वारा देश में मासिक धर्म स्वच्छता नीति (मेंस्ट्रुअल हाइजीन पॉलिसी) पर पूछे गए एक सवाल के जवाब में ईरानी ने यह कहते हुए कि मासिक धर्म बाधा नहीं है, इसे लेकर पेड लीव नीति बनाने को गैर-जरूरी बताया था.
अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन ‘ह्यूमन राइट्स वॉच’ का कहना है कि सोशल मीडिया कंपनी मेटा, फेसबुक और इंस्टाग्राम पर फिलिस्तीन समर्थक आवाज़ों को दबा रहा है. रिपोर्ट के अनुसार, ‘ह्यूमन राइट्स वॉच’ ने अपनी एक रिपोर्ट में फेसबुक और इंस्टाग्राम पर उन आवाजों को अनुचित तरीके से दबाने और हटाने के एक पैटर्न का दस्तावेज़ीकरण किया है, जिसमें फिलिस्तीन के समर्थन में शांतिपूर्ण अभिव्यक्ति और मानवाधिकारों के बारे में बहस शामिल है. ह्यूमन राइट्स वॉच में कार्यवाहक सहयोगी प्रौद्योगिकी और मानवाधिकार निदेशक डेब्रा ब्राउन ने कहा कि फिलिस्तीन के समर्थन वाली सामग्री पर मेटा की सेंसरशिप अनकहे अत्याचारों और दमन के समय में जख्मों पर नमक छिड़कती है, जो पहले से ही फिलिस्तीनियों की अभिव्यक्ति को दबा रही है.’ उन्होंने जोड़ा कि लोगों की गवाहियां दर्ज करने और दुर्व्यवहार के खिलाफ बोलने के लिए सोशल मीडिया एक जरूरी मंच है और मेटा की सेंसरशिप फिलिस्तीनियों की पीड़ा के दस्तावेजीकरण को मिटाने में मदद कर रही है.
आईपीसी के स्थान पर लाई जा रही भारतीय न्याय संहिता में लापरवाही से मौत के मामले में डॉक्टरों को दो साल की सज़ा का प्रावधान दिया गया है. द हिंदू के मुताबिक, आईपीसी की धारा 304ए के तहत लापरवाही से मौत की सज़ा दो साल क़ैद और जुर्माना या दोनों है. भारतीय न्याय (द्वितीय) संहिता विधेयक इस सज़ा को बढ़ाकर पांच साल कर देता है. हालांकि, नए कानून में चिकित्सकीय लापरवाही से मौत का आरोप साबित होने पर डॉक्टरों के लिए अन्य अपराधियों की तुलना में दो साल की कम जेल की सजा का प्रावधान दिया गया है. यह केवल डॉक्टरों के लिए सज़ा की अधिकतम अवधि को पांच से घटाकर दो साल कर देता है. इससे पहले बुधवार को लोकसभा में तीन आपराधिक कानूनों पर बहस में गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि ‘अगर डॉक्टरों की चिकित्सकीय लापरवाही के कारण किसी की मौत हो जाती है तो इसे गैर इरादतन हत्या माना जाएगा. मैं आज एक संशोधन ला रहा हूं. डॉक्टरों को (इस धारा के तहत) सज़ा से छूट दी गई है. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने हमसे (छूट के लिए) अनुरोध किया था.’ हालांकि, गुरुवार को उन्होंने राज्यसभा में इसका जिक्र नहीं किया.
दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में बिगड़ती वायु गुणवत्ता के बीच केंद्र ने दिल्ली-एनसीआर में गैर-जरूरी निर्माण कार्य और बीएस-III पेट्रोल और बीएस-IV डीजल चारपहिया वाहनों की आवाजाही पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया है. एनडीटीवी के अनुसार, वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम), एक वैधानिक निकाय है जो प्रदूषण से निपटने के लिए रणनीति तैयार करने के लिए जिम्मेदार है. इसके आदेश में कहा गया है कि क्षेत्र में कम हवा की गति के साथ कोहरे और धुंध सहित प्रतिकूल मौसम संबंधी स्थितियां दिल्ली के दैनिक औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) में अचानक वृद्धि का प्रमुख कारण हैं. ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (जीआरएपी) के तीसरे चरण के तहत प्रतिबंधों को फिर से लागू करते हुए सीएक्यूएम ने दिल्ली-एनसीआर में गैर-जरूरी निर्माण कार्य, पत्थर तोड़ने और खनन पर प्रतिबंध लगाया है. हालांकि, राष्ट्रीय सुरक्षा या रक्षा से संबंधित निर्माण कार्य, राष्ट्रीय महत्व की परियोजनाएं, स्वास्थ्य सेवा, रेलवे, मेट्रो रेल, हवाई अड्डे, अंतरराज्यीय बस टर्मिनल, राजमार्ग, सड़क, फ्लाईओवर, ओवरब्रिज, पावर ट्रांसमिशन, पाइपलाइन, स्वच्छता और जल आपूर्ति को बैन से बाहर रखा गया है. दिल्ली का समग्र एक्यूआई शुक्रवार सुबह से लगातार बढ़ रहा है. सुबह 10 बजे यह 397 और शाम 4 बजे 409 रिकॉर्ड किया गया था.