गुजरात: गिफ्ट सिटी में शराब सेवन की अनुमति देने के भाजपा सरकार के क़दम की विपक्ष ने निंदा की

गुजरात की राजधानी गांधीनगर के पास इंटरनेशनल फाइनेंस टेक-सिटी (गिफ्ट) में राज्य की भाजपा सरकार द्वारा शराब सेवन की अनुमति देने के फैसले का मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने कड़ा विरोध करते हुए कहा है कि यह क़दम युवाओं को नुकसान पहुंचने के साथ राज्य में क़ानून व्यवस्था की स्थिति को प्रभावित कर सकता है.

(प्रतीकात्मक फोटो साभार: फेसबुक)

गुजरात की राजधानी गांधीनगर के पास इंटरनेशनल फाइनेंस टेक-सिटी (गिफ्ट) में राज्य की भाजपा सरकार द्वारा शराब सेवन की अनुमति देने के फैसले का मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने कड़ा विरोध करते हुए कहा है कि यह क़दम युवाओं को नुकसान पहुंचने के साथ राज्य में क़ानून व्यवस्था की स्थिति को प्रभावित कर सकता है.

(प्रतीकात्मक फोटो साभार: pixabay)

नई दिल्ली: गुजरात इंटरनेशनल फाइनेंस टेक-सिटी (गिफ्ट) परिसर में शराब सेवन की अनुमति देने के गुजरात सरकार के कदम पर विपक्षी कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप) ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. इन दलों ने फैसले को पिछले दरवाजे से राज्य में शराबबंदी हटाने का कदम बताया है.

गौरतलब है कि शुक्रवार (22 दिसंबर) को राज्य की भाजपा सरकार ने राजधानी गांधीनगर के पास स्थित गिफ्ट सिटी में काम करने वाले सभी कर्मचारियों और मालिकों को शराब एक्सेस परमिट जारी करने की अधिसूचना जारी की थी, जिससे उन्हें ‘वाइन एंड डाइन’ सेवाएं देने वाले प्रतिष्ठानों में शराब का सेवन करने की अनुमति मिलती है.

इस तरह सरकार ने शराब विरोधी अपने कठोर कानून में छूट दी थी.

द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, फैसले के बाद प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस और आप ने इसे एक दुर्भाग्यपूर्ण कदम माना, जो युवाओं को नुकसान पहुंचा सकता है और राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति को प्रभावित कर सकता है, जहां 1960 में अलग राज्य बनने के समय से ही शराबबंदी लागू है.

गुजरात उन कुछ राज्यों में से एक है, जहां शराब का सेवन अवैध है और राज्य शराब के सेवन पर प्रतिबंध को लागू करने में सख्त रहा है, जबकि इससे सरकार को सालाना हजारों करोड़ के राजस्व का नुकसान हो रहा है और पुलिस व अवैध शराब विक्रेताओं के गठजोड़ से एक समानांतर अवैध शराब उद्योग पनप गया है.

नेता प्रतिपक्ष अमित चावड़ा ने कहा, ‘यह एक बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण कदम है. भाजपा सरकार राज्य में शराबबंदी हटाना चाहती है और इसकी शुरुआत उन्होंने गिफ्ट सिटी से की है. कल वे कहेंगे कि वे पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए दक्षिण गुजरात में स्टैच्यू ऑफ यूनिटी क्षेत्र और कच्छ में धोर्डो की टेंट सिटी और साथ ही साथ सूरत डायमंड बाजार से शराब प्रतिबंध हटाना चाहते हैं.’

उन्होंने आगे कहा, ‘यह राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति को प्रभावित करते हुए युवाओं को बर्बाद कर देगा. शराबबंदी कानून की बदौलत आज गुजरात सुरक्षित माना जाता है. शराब के सेवन पर प्रतिबंध के कारण राज्य को महिलाओं के लिए सुरक्षित माना जाता है.’

चावड़ा ने सरकार के फैसले को शराबबंदी के प्रति भाजपा की प्रतिबद्धता से भी कदम पीछे हटाना बताया.

कांग्रेस विधायक गनीबेन ठाकोर ने सरकार से कानून और व्यवस्था बनाए रखने और महिलाओं की गरिमा की रक्षा सुनिश्चित करने के लिए तुरंत निर्णय वापस लेने का आग्रह किया. उन्होंने चिंता व्यक्त की कि गिफ्ट सिटी क्षेत्र के अंदर शराब की अनुमति देने से राज्य की राजधानी में सार्वजनिक सुरक्षा स्थिति बिगड़ जाएगी.

आम आदमी पार्टी (आप) ने भी इस कदम का कड़ा विरोध किया है. बोटाद से आप विधायक उमेश मकवाना ने मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल को पत्र लिखकर गिफ्ट सिटी में शराबबंदी हटाने के फैसले को वापस लेने का आग्रह किया है.

विधायक ने तर्क दिया है कि शराब पर रोक में ढील देने के कदम से राज्य में निवेश पर कोई बड़ा प्रभाव पड़ने की संभावना नहीं है. उन्होंने कहा कि शराबबंदी के बावजूद गुजरात कई दशकों से निवेश का प्रमुख केंद्र रहा है.

इसस पहले, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष शक्ति सिंह गोहिल ने एक वीडियो संदेश में कहा था कि उद्योगपति गुजरात में औद्योगिक इकाइयां इसलिए ही लगाना चाहते हैं, क्योंकि वे जानते हैं कि गुजरात में मजदूर खुद को शराब में बर्बाद नहीं करते और अच्छे नतीजे देते हैं. उन्होंने गुजरात की औद्योगिक उपलब्धियां गिनाते हुए राज्य के लोगों से समर्थन मांगा था कि वे राज्य सरकार को फैसला वापस लेने के लिए मनाएं.

हालांकि, राज्य सरकार के अधिकारियों ने तर्क दिया है कि गिफ्ट सिटी परिसर में शराब सेवन तक सीमित पहुंच का उद्देश्य वैश्विक वित्तीय और फिनटेक कंपनियों को राज्य की राजधानी के पास नए उभरते शहर में निवेश करने और अपना व्यवसाय स्थापित करने के लिए आकर्षित करना है.

अधिकारियों ने कहा कि गिफ्ट सिटी अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण (आईएफएससीए), वैश्विक बैंकों, वैकल्पिक निवेश कोष, तीन एक्सचेंजों, बीमा और मध्यस्थों, फिनटेक कंपनियों, विदेशी विश्वविद्यालयों और विमान और जहाज लीज सेवा फर्मों के तहत पंजीकृत 470 कंपनियों का घर है.

गुजरात के कैबिनेट मंत्री और प्रवक्ता ऋषिकेश पटेल ने शनिवार (23 दिसंबर) को मीडियाकर्मियों से कहा था, ‘यह फैसला व्यापारिक हस्तियों को वही जीवनशैली प्रदान के लिए है, जिसके तहत वे उन जगहों पर आदी हैं, जहां शराब पर प्रतिबंध नहीं होता. गिफ्ट सिटी में आने वाली कई विदेशी कंपनियां फॉर्च्यून-500 कंपनियों का हिस्सा हैं.’

राज्य सरकार के अधिकारियों का मानना है कि इस कदम से न केवल वैश्विक निवेशकों से नए निवेश आकर्षित होंगे बल्कि कंपनियों के लिए दुनिया भर से प्रतिभाओं की भर्ती करना भी आसान हो जाएगा.

द हिंदू के मुताबिक, हाल के दिनों में गिफ्ट सिटी से संचालित होने वाली कई कंपनियां राज्य के बाहर से प्रतिभाओं को काम पर रखने के लिए राज्य के शराब निषेध कानूनों में छूट की मांग करती रही हैं.

गिफ्ट सिटी के अधिकारियों का मानना है कि शराब निषेध मानदंडों में ढील से गिफ्ट सिटी को नए युग की वित्तीय और प्रौद्योगिकी सेवाओं के लिए एक वैश्विक केंद्र बनने की दिशा में बढ़ावा मिलेगा.

इस बीच पूर्व मुख्यमंत्री शंकर सिंह वाघेला ने एक कदम आगे बढ़कर राज्य से शराबबंदी पूरी तरह हटाने की मांग की है. उन्होंने गांधीनगर में संवाददाताओं से बात करते हुए कहा, ‘राज्य में शराबबंदी को पूरी तरह से हटा दिया जाए. यह कानून केवल भ्रष्टाचार को बढ़ावा देता है.’

साबरमती नदी के किनारे स्थित गिफ्ट सिटी अहमदाबाद और गांधीनगर के बीच निर्माणाधीन एक व्यापारिक क्षेत्र है, जो 886 एकड़ जमीन पर बसा है. इसमें वाणिज्यिक प्रतिष्ठान और आवासीय स्थान हैं. इसे भारत का पहला ग्रीनफील्ड स्मार्ट सिटी और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र (आईएफएससी) माना जाता है.