महबूबा मुफ़्ती को पुंछ जाने से रोककर नज़रबंद किए जाने समेत अन्य ख़बरें

द वायर बुलेटिन: आज की ज़रूरी ख़बरों का अपडेट.

(फोटो: द वायर)

द वायर बुलेटिन: आज की ज़रूरी ख़बरों का अपडेट.

(फोटो: द वायर)

जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने दावा किया कि है कि पुंछ में मारे गए तीन नागरिकों के परिवारों से मिलने के लिए सुरनकोट जाने से पहले पुलिस ने उन्हें नजरबंद कर दिया था. इन नागरिकों को बीते हफ्ते आतंकवादियों द्वारा भारतीय सेना के दो वाहनों पर घात लगाकर किए गए हमले के बाद सुरक्षा बलों द्वारा हिरासत में लिया गया था, जहां कथित तौर पर पूछताछ के दौरान उनकी मौत हो गई. इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, पीडीपी प्रमुख मुफ़्ती ने कहा कि उन्हें नजरबंद करके सरकार यह संदेश देना चाहती है कि जम्मू-कश्मीर के लोगों के पास ‘कोई आवाज नहीं है और उनके बारे में पूछने वाला कोई नहीं है.’ यह कहते हुए कि सरकार आम लोगों को सरकार के दुश्मनों के तौर पर देख रही है, जिसकी दुनिया में कोई मिसाल नहीं है, मुफ्ती ने आरोप लगाया कि पुंछ में सेना के जवानों का कथित तौर पर नागरिकों को टॉर्चर करते हुए दिखाने वाला वीडियो लोगों में डर पैदा करने के इरादे से लीक किया गया था. ज्ञात हो कि सोशल मीडिया पर सामने आए एक 29 सेकेंड के वीडियो में कथित तौर पर सेना के जवानों को नागरिकों को पीटते, उनके कपड़े उतारते और उनके घावों और निजी अंगों में मिर्च पाउडर डालते हुए दिखाया गया है. मुफ़्ती ने कहा, ‘वे लोगों को पीटते हैं, उन्हें हिरासत में प्रताड़ित करते हैं, वीडियो बनाते हैं और उसे प्रसारित करते हैं. यह कॉमन सेंस की बात है कि कोई नागरिक सेना की हिरासत के अंदर वीडियो नहीं बना सकता और न ही उसे प्रसारित कर सकता है. वे लोगों को यह संदेश देना चाहते हैं कि हम ये सब कर सकते हैं. वे हम सभी में कितना डर पैदा करना चाहते हैं?’

बीते सात महीने से जातीय हिंसा से जूझ रहे मणिपुर में सरकारी बस सेवा राज्य के घाटी क्षेत्रों से परे अपनी सेवाएं अब तक शुरू नहीं कर सकी है. इंफाल के अख़बार संगाई एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, राज्य में इंफाल-सेनापति-माओ और इंफाल पर मणिपुर राज्य परिवहन की बस सेवा को फिर से शुरू करने के लिए सरकार द्वारा कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई, लेकिन चूड़ाचांदपुर वाले रास्ते पर वांछित परिणाम नहीं मिले क्योंकि बसों को गंतव्य तक पहुंचने से पहले घूमना पड़ा. सेनापति (मणिपुर में), नगालैंड और गुवाहाटी की ओर जाने वाली निजी बसें कथित तौर पर कांगपोकपी से आगे जा सकती हैं लेकिन इंफाल से सेनापति और चूड़ाचांदपुर जाने वाली मणिपुर राज्य परिवहन की बसों को कुकी नागरिक निकायों ने वापस लौटने के लिए मजबूर किया. अख़बार के अनुसार, ऐसा राज्य परिवहन द्वारा यह सुनिश्चित करने के बावजूद हुआ कि इंफाल-सेनापति हाईवे पर बसें गैर-मेईतेई द्वारा चलाई जाएं. यह भी बताया गया है कि आदिवासी बहुल सेनापति और चूड़ाचांदपुर जिलों के लिए सरकारी बस सेवाओं को पुलिस टीमों द्वारा सुरक्षा दी गई थी.

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को नई दिल्ली में पिछले हफ्ते विपक्षी ‘इंडिया’ गठबंधन की बैठक को लेकर उनकी नाखुशी की ख़बरों का खंडन किया है. हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, नीतीश ने कहा कि कि उन्हें कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को गठबंधन की तरफ से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर पेश किए जाने पर कोई आपत्ति नहीं है. उन्होंने जोड़ा कि जदयू और ‘इंडिया’ एक साथ हैं और वे मिलकर 2024 का आम चुनाव लड़ेंगे. उन्होंने कहा, ‘हम नाराज नहीं हैं. मैंने सीट बंटवारे को जल्द पूरा करने का सुझाव दिया है. सीट-बंटवारे का फॉर्मूला जल्द ही तय किया जाएगा.’

विदेशी फंडिंग को लेकर यूएपीए के तहत आरोपों का सामना कर रहे न्यूज़ पोर्टल न्यूज़क्लिक के एचआर प्रमुख अमित चक्रवर्ती ने सरकारी गवाह बनने के लिए आवेदन दायर किया है. एनडीटीवी ने सूत्रों का हवाला देते हुए कहा है कि अमित चक्रवर्ती ने शनिवार को अपना बयान दर्ज कराया और दिल्ली की पटियाला हाउस अदालत में अपनी याचिका दायर की. उन्होंने मामले के बारे में ‘मैटेरियल जानकारी’ के बदले में माफ़ी की गुज़ारिश की है. सूत्रों के अनुसार, एजेंसी ने अभी तक इस बारे में कोई फैसला नहीं लिया है कि वह उनकी याचिका का समर्थन करेगी या नहीं. चक्रवर्ती और न्यूज़क्लिक के संस्थापक प्रबीर पुरकायस्थ को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने 3 अक्टूबर को गिरफ्तार किया था, तबसे दोनों दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद हैं. बीते दिनों ही पटियाला हाउस कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को जांच पूरी करने के लिए इनकी न्यायिक हिरासत को 60 दिन तक बढ़ाया था. इस बीच गत सप्ताह, न्यूज़क्लिक ने कहा था कि इसके एकाउंट्स आयकर विभाग द्वारा अचानक सीज़ कर दिए गए हैं , जिसके चलते यह अपने कर्मचारियों को वेतन नहीं दे पा रहा है.

जम्मू-कश्मीर में तीन नागरिकों की हत्या के मामले में सेना ने कोर्ट ऑफ इंक्वायरी के आदेश दिए हैं. पुंछ ज़िले में बीते 21 दिसंबर को एक आतंकी हमले में 4 जवानों की मौत के बाद सेना ने कुछ लोगों को पूछताछ के लिए उठाया था. बाद में इनमें से 3 लोगों के शव पाए गए थे. इनके परिवारों ने सेना की हिरासत में मौत का आरोप लगाया है. इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, उधर, जम्मू कश्मीर पुलिस ने भी तीन नागरिकों की मौत और पांच अन्य के घायल होने के संबंध में हत्या और हत्या के प्रयास से संबंधित आईपीसी की धाराओं के तहत ‘अज्ञात’ व्यक्तियों के खिलाफ सुरनकोट थाने में एफआईआर दर्ज की है. मृत पाए गए तीन नागरिक टोपा पीर गांव के सफीर अहमद (48 वर्ष), मोहम्मद शौकत (28 वर्ष) और शब्बीर अहमद (25 वर्ष) थे. द वायर ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया है कि टोपा पीर गांव के सरपंच और मृतकों में शामिल दो के रिश्तेदारों ने कहा है कि मृतक उन ग्रामीणों में से हैं, जिन्हें एक वीडियो में अज्ञात सैनिकों द्वारा बेरहमी से पीटते और प्रताड़ित करते देखा जा सकता है.

उत्तर प्रदेश के बरेली ज़िले में खेत में आवारा जानवर घुसने को लेकर हुई बहस के बाद एक किसान की पीट-पीटकर हत्या किए जाने की घटना सामने आई है. एनडीटीवी के मुताबिक, बरेली पुलिस अधीक्षक (ग्रामीण) ने बताया कि घटना विशारतगंज के फतेहपुर ठकुरान गांव में हुई, जहां खेत में आवारा जानवर घुसने को लेकर दो पक्षों के बीच हुई बहस में 45 वर्षीय एक किसान की कथित तौर पर पीट-पीट कर हत्या कर दी गई. इस दौरान उनके परिवार के दो सदस्य भी घायल हो गए. मृतक के परिजनों ने दूसरे पक्ष पर के लोगों पर गोली चलाने का भी आरोप लगाया है. पुलिस के अनुसार, आरोपी फ़रार हैं और उन्हें पकड़ने के प्रयास जारी हैं.