जम्मू-कश्मीर: सेना की हिरासत में नागरिकों की मौत पर राजनाथ सिंह बोले- जो हुआ, वो ग़लत था

पुंछ ज़िले में 21 दिसंबर को आतंकी हमले में 4 जवानों की मौत के बाद सेना ने कुछ लोगों को पूछताछ के लिए बुलाया था. बाद में इनमें से 3 लोगों के शव मिले, जबकि 5 घायलावस्था में अस्पताल में भर्ती हैं. पीड़ितों के परिजनों ने बताया है कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने उनसे मुलाक़ात की और न्याय का आश्वासन दिया है.

पुंछ में घायल नागरिकों के परिजनों से मुलाकात करते रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह. (फोटो साभार: एक्स/@prodefencejammu))

पुंछ ज़िले में 21 दिसंबर को आतंकी हमले में 4 जवानों की मौत के बाद सेना ने कुछ लोगों को पूछताछ के लिए बुलाया था. बाद में इनमें से 3 लोगों के शव मिले, जबकि 5 घायलावस्था में अस्पताल में भर्ती हैं. पीड़ितों के परिजनों ने बताया है कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने उनसे मुलाक़ात की और न्याय का आश्वासन दिया है.

पुंछ में घायल नागरिकों के परिजनों से मुलाकात करते रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह. (फोटो साभार: एक्स/@prodefencejammu))

नई दिल्ली: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बुधवार को जम्मू के पुंछ जिले में कथित तौर पर सुरक्षा बलों द्वारा उठाए जाने के बाद मारे गए तीन नागरिकों के परिवारों को न्याय का आश्वासन दिया. सिंह ने उन पांच लोगों से भी मुलाकात की, जिन्हें कथित तौर पर सुरक्षा बलों ने प्रताड़ित किया था और वर्तमान में राजौरी के सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती हैं.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) में हेड कांस्टेबल नूर अहमद, जिनका भाई सफीर मृतकों में शामिल है, ने कहा कि रक्षा मंत्री ने ‘हमारे परिवार के सदस्यों की मौत पर दुख व्यक्त किया और कहा कि जो कुछ भी हुआ वह बहुत गलत था. उन्होंने आश्वासन दिया कि न्याय किया जाएगा.’

नूर ने कहा, ‘जब हमने पूछा कि जिन्हें हमने खोया उनकी क्या गलती थी, तो रक्षा मंत्री ने कहा कि उनकी कोई गलती नहीं थी और इसीलिए सरकार ने मुआवजा दिया है.’

नूर आगे बताया, ‘हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इंसानी जिंदगी की कोई कीमत नहीं लगाई जा सकती; भले ही उन्हें 5 करोड़ रुपये दे दिए जाएं, लेकिन यह एक जीवन के नुकसान की भरपाई नहीं कर सकता है.’

परिवार के एक अन्य सदस्य के मुताबिक, रक्षा मंत्री ने सूबे के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से परिवारों को दी गई सरकारी मदद के बारे में पूछताछ की, उन्हें बताया गया कि निकटतम रिश्तेदार को सरकारी नौकरी प्रदान करने के लिए कदम उठाने शुरू कर दिए हैं.

सादिक, जिनके भतीजे मोहम्मद शौकत तीन मृतक नागरिकों में शामिल थे, ने कहा, ‘हमने गृह मंत्री को हमारे निर्दोष बच्चों के साथ हुए अन्याय से अवगत कराया, जिन्हें घर से उठाया गया था. उन्होंने आश्वासन दिया कि इंसाफ किया जाएगा.’

सिंह ने घायलों से मिलकर उनका हालचाल और उन्हें उपलब्ध कराई जा रहीं मेडिकल सुविधाओं के बारे में जानकारी ली. अस्पताल के बिस्तर से मोहम्मद बेताब ने कहा, ‘हमने उन्हें बताया कि कैसे सुरक्षा बलों ने हमें उठाया और अपने शिविर में ले जाकर प्रताड़ित किया. हमने उन्हें यह भी बताया कि हम वर्तमान में न खड़े हो सकते हैं, न चल सकते हैं.’

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, घायलों से मिलने से पहले सिंह ने मीडिया से भी कहा कि न्याय सुनिश्चित किया जाएगा.

सादिक ने कहा, ‘हम इस बात से संतुष्ट हैं कि सरकार हमें मुआवजा दे रही है और हमारे प्रति प्रतिशोधात्मक रवैया नहीं अपना रही है, लेकिन कानून को हमारे परिजनों की मौत के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ अपना काम करना चाहिए.’

बुधवार को पुंछ जिला प्रशासन द्वारा प्रत्येक नागरिक के परिवार से दो लोगों को केंद्रीय मंत्री से मिलने के लिए राजौरी शहर ले जाया गया.

इससे एक दिन पहले ही सेना के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी उनके घर का दौरा किया था. एक रिश्तेदार ने कहा, ‘सेक्टर 6 राष्ट्रीय राइफल्स के कमांडर ब्रिगेडियर एमपी सिंह और 16 राष्ट्रीय राइफल्स के कमांडिंग ऑफिसर मंगलवार शाम करीब 4 बजे हमसे मिलने आए थे और हमारे परिजनों की मौत के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया था.’

उक्त रिश्तेदार ने कहा, ‘उन्होंने हमें आश्वासन दिया कि सेना हमारे साथ है. दोनों अधिकारियों ने तीनों परिवारों के घरों का दौरा किया और हमें सूचित किया कि जांच पहले ही शुरू कर दी गई है और कुछ अधिकारियों को उनके पदों से हटा दिया गया है.’

बता दें कि जिला प्रशासन ने प्रत्येक मृतक के परिजन को 30 लाख रुपये, एक सरकारी नौकरी और सुरनकोट में 10 मरला प्लॉट देने का वादा किया है. इसमें से वह उन्हें पहले ही 10-10 लाख रुपये के चेक का भुगतान कर चुका है.

जम्मू कश्मीर के पुंछ जिले में बीते 21 दिसंबर को एक आतंकी हमले में 4 जवानों की मौत के बाद सेना ने कुछ लोगों को पूछताछ के लिए उठाया था. बाद में 3 लोगों (सफीर हुसैन (48 वर्ष), मोहम्मद शौकत (28 वर्ष) और शब्बीर अहमद (25 वर्ष)) के शव उस जगह के नजदीक पाए गए थे, जहां आतंकवादियों ने सेना पर हमला किया था. एक वीडियो भी वायरल हुआ था, जिसमें सेना के जवान नागरिकों को यातनाएं देते देखे जा सकते हैं.

घायलों की इस आपबीती से पहले तीनों मृतकों के गांव टोपा पीर के सरपंच ने इस बात की पुष्टि की थी कि वायरल वीडियो में मारे गए नागरिक जवानों की प्रताड़ना सहते दिख रहे हैं.

सेना ने उन परिस्थितियों की जांच के लिए कोर्ट ऑफ इंक्वायरी (सीओआई) का आदेश दिया है, जो तीन नागरिकों की मौत का कारण बनीं.

जम्मू कश्मीर पुलिस ने तीन नागरिकों की मौत और पांच अन्य के घायल होने के संबंध में हत्या और हत्या के प्रयास से संबंधित आईपीसी की धाराओं के तहत ‘अज्ञात’ व्यक्तियों के खिलाफ पुंछ के सुरनकोट थाने में एक एफआईआर भी दर्ज की है.