दिल्ली: एनडीएमसी की सुनहरी मस्जिद तोड़ने की योजना, जमीयत ने आपत्ति जताई

नई दिल्ली नगर निगम ने सुनहरी मस्जिद को हटाने को लेकर एक सार्वजनिक नोटिस जारी किया है और यातायात व्यवस्था का हवाला देते हुए मस्जिद को हटाने के प्रस्ताव पर जनता से राय मांगी जा रही है. जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने इस पर आपत्ति जताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह को पत्र लिखा है.

सुनहरी मस्जिद. (फोटो साभार: एक्स)

नई दिल्ली नगर निगम ने सुनहरी मस्जिद को हटाने को लेकर एक सार्वजनिक नोटिस जारी किया है और यातायात व्यवस्था का हवाला देते हुए मस्जिद को हटाने के प्रस्ताव पर जनता से राय मांगी जा रही है. जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने इस पर आपत्ति जताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह को पत्र लिखा है.

सुनहरी मस्जिद. (फोटो साभार: एक्स)

नई दिल्ली: नई दिल्ली नगर निगम (एनडीएमसी) ने राजधानी में सुनहरी मस्जिद को हटाने के लिए एक सार्वजनिक नोटिस जारी किया है. इसके लिए दिल्ली की यातायात पुलिस ने उससे सिफारिश की थी, ताकि क्षेत्र में वाहनों की ‘स्थायी गतिशीलता सुनिश्चित की जा सके.’ एनडीएमसी अब मस्जिद को हटाने के प्रस्ताव पर जनता की राय मांग रहा है.

रिपोर्ट के अनुसार, जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह को संबोधित पत्र में एनडीएमसी की अधिसूचना पर आपत्ति जताई है. उन्होंने ‘साझा सांस्कृतिक विरासत’ को होने वाले संभावित नुकसान को रेखांकित किया है.

जमीयत की चिंताएं

जमीयत उलेमा-ए-हिंद के एक प्रतिनिधिमंडल ने मस्जिद का दौरा किया और आगे की जानकारी जुटाने के लिए इमाम मौलाना अब्दुल अजीज से मुलाकात की. इमाम ने जोर देकर कहा कि मस्जिद सभी सरकारी सुरक्षा निर्देशों का पालन करती है, साथ ही कहा कि यहां तक कि संसदीय सत्र के दौरान सामूहिक नमाज भी आयोजित नहीं की जाती है और ट्रैफिक समस्याओं में मस्जिद का कोई योगदान नहीं है.

प्रतिनिधिमंडल में शामिल मौलाना हकीमुद्दीन कासमी ने दिल्ली के लोगों से एनडीएमसी अधिसूचना के खिलाफ अपना विरोध जताने का आग्रह किया.

मौलाना मदनी ने पत्र में कहा है, ‘हमारा दृढ़ विश्वास है कि इस तरह की कार्रवाई से हमारी साझा विरासत को गंभीर नुकसान होगा. यह मस्जिद, अपने गहन ऐतिहासिक महत्व के साथ, हमारे देश के बहुलतावादी चरित्र और विभिन्न समुदायों के सामंजस्यपूर्ण सह-अस्तित्व के प्रमाण के रूप में खड़ी है. इसका अस्तित्व न केवल इसकी स्थापत्य सुंदरता के लिए बल्कि आध्यात्मिक और ऐतिहासिक मूल्यों के लिए भी महत्वपूर्ण है.’

ऐतिहासिक महत्व

ऐतिहासिक सुनहरी मस्जिद लुटियंस दिल्ली के मध्य में उद्योग भवन के पास स्थित है. यातायात की भीड़ को कम करने के उद्देश्य से ध्वंस के मंडराते खतरे ने स्थानीय लोगों और इतिहासकारों की चिंता बढ़ा दी है. कई लोगों का मानना है कि मस्जिद का निर्माण 200 साल पहले लाखौरी ईंटों का उपयोग करके किया गया था.

इस मस्जिद को 2009 में अपने ऐतिहासिक महत्व के लिए हेरिटेज III का दर्जा मिला था.

इतिहासकार एस. इरफ़ान हबीब ने एक्स पर लिखा, ‘सुनहरी बाग मस्जिद सिर्फ एक मस्जिद नहीं है, इसका एक इतिहास है जो हमारे कई स्वतंत्रता सेनानियों से करीबी से जुड़ा हुआ है. संविधान सभा के सदस्य हसरत मोहानी बैठकों में भाग लेने के दौरान यहीं रुकते थे. इसके गौरवशाली इतिहास का ध्यान रखें.’

कानूनी अड़चनें

भूमि के स्वामित्व को लेकर परस्पर विरोधी दावे सामने आए हैं. जहां दिल्ली वक्फ बोर्ड अपने स्वामित्व का दावा करता है, वहीं एनडीएमसी का तर्क है कि जमीन सरकार की है.

दिल्ली हाईकोर्ट ने हाल ही में दिल्ली वक्फ बोर्ड द्वारा दायर उस याचिका पर सुनवाई समाप्त कर दी थी जिसमें एनडीएमसी द्वारा प्रस्तावित ‘संभावित कार्रवाई’ को लेकर चिंता व्यक्त की गई थी.

7 जुलाई को जारी एक अंतरिम आदेश में अदालत ने मस्जिद के संबंध में यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया था, जिसकी अवधि समय-समय पर बढ़ाई जाती रही. हालांकि, 18 दिसंबर को जस्टिस पुरुषेंद्र कुमार कौरव की एकल पीठ ने घटनाक्रमों के आधार पर सुनवाई बंद करने का फैसला किया था.