उन्नाव ज़िले के एक 32 वर्षीय दलित किसान ने उनके पड़ोसी के ख़िलाफ़ दर्ज भूमि विवाद के केस में पुलिस द्वारा कथित ढिलाई से परेशान होकर 27 दिसंबर को एसपी कार्यालय के बाहर ख़ुद को आग लगा ली थी. इलाज के दौरान शुक्रवार को उनकी मौत हो गई.
नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले में अपने पड़ोसी के खिलाफ दर्ज किए गए भूमि विवाद के मामले में पुलिस द्वारा कथित ढिलाई से परेशान होकर एक 32 वर्षीय दलित किसान ने 27 दिसंबर को पुलिस अधीक्षक के कार्यालय के बाहर कथित तौर पर खुद को आग लगा ली थी. वे 80 प्रतिशत से अधिक जल गए थे और उन्हें एक अस्पताल भर्ती कराया गया था.
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, शुक्रवार को लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) में उन्होंने दम तोड़ दिया.
अतिरिक्त एसपी उन्नाव, अखिलेश सिंह ने कहा कि सभी आवश्यक पुलिस व्यवस्थाएं मौजूद हैं और पोस्टमार्टम लखनऊ में किया जाएगा.
पुलिस ने कहा कि उस व्यक्ति ने बुधवार को खुद को आग लगा ली थी, जिससे वह 80 प्रतिशत जल गया. उन्होंने पुरवा सीओ दीपक सिंह पर उनके पड़ोसियों के साथ मिलकर उन छह लोगों में से तीन को बचाने का आरोप लगाया, जिनके खिलाफ उन्होंने 18 अक्टूबर को भूमि विवाद से जुड़ी शिकायत दर्ज करवाई थी.
दीपक सिंह और थाना प्रभारी सुरेश सिंह को कुछ घंटों बाद हटा दिया गया. उन्नाव पुलिस के एक बयान में कहा गया है कि दीपक सिंह को एसपी कार्यालय और सुरेश सिंह को एंटी-भू-माफिया सेल से संबद्ध किया गया है.
बुधवार को आत्मदाह की कोशिश के बाद अपने बयान में दलित व्यक्ति ने अपनी शिकायत दोहराई और आरोप लगाया था कि पुलिसकर्मियों ने उनके पड़ोसियों से भी 24 अक्टूबर को उनके और उनके रिश्तेदारों के खिलाफ जवाबी शिकायत दर्ज कराई.
पुलिस ने कहा कि मामला 400 वर्ग गज जमीन को लेकर पड़ोसियों के साथ लंबे समय से चल रहे विवाद से जुड़ा है.
18 अक्टूबर को दलित व्यक्ति के परिवार ने उनके पड़ोसियों पर कुल्हाड़ियों और अन्य धारदार हथियारों से हमला करने का आरोप लगाया, जिससे उनके पिता और चाचा घायल हो गए. अपनी पुलिस शिकायत में दलित व्यक्ति ने छह लोगों का नाम लिया लेकिन पुलिस ने केवल तीन व्यक्तियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की.
बुधवार को खुद को आग लगाने के बाद दलित व्यक्ति ने संवाददाताओं से कहा कि वे पुलिस द्वारा उत्पीड़न और हेरफेर से थक गए हैं और वरिष्ठ अधिकारियों से शिकायत करने के बावजूद पुलिस ने उनकी सुरक्षा के लिए कुछ नहीं किया.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, एसपी ने कहा था, ‘पीड़ित ने कहा कि उसने यह कदम इसलिए उठाया क्योंकि वह भूमि विवाद मामले में पुलिस जांच से नाखुश था. अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक को उनके द्वारा लगाए गए आरोपों की विस्तृत जांच करने के लिए कहा गया है.’
एसपी ने यह भी जोड़ा कि मृतक किसान ने मामले की जांच के बारे में वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के पास कभी कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई.