बीते 26 दिसंबर को असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा के एक्स हैंडल ने एक पोस्ट किया, जिसमें दावा किया गया था कि ‘शूद्र – ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्यों – की सेवा करने के लिए हैं’. विवाद के बाद उन्होंने इसे डिलीट कर दावा किया कि उनकी टीम के एक सदस्य ने भगवद गीता के एक श्लोक का ग़लत अनुवाद पोस्ट कर दिया था.
नई दिल्ली: बीते गुरुवार (28 दिसंबर) को असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने दो दिन पहले जाति पर अपने सोशल मीडिया पोस्ट के लिए माफी मांगते हुए कहा कि यह एक ‘गलत अनुवाद’ था.
मुख्यमंत्री ने माफी मांगने के लिए सोशल साइट एक्स का सहारा लिया और दावा किया कि उनकी टीम के एक सदस्य ने भगवद गीता के एक श्लोक का गलत अनुवाद पोस्ट कर दिया था.
अपने माफीनामे में उन्होंने दावा किया कि असम ‘जातिविहीन’ (Casteless) समाज का उदाहरण है.
As a routine I upload one sloka of Bhagavad Gita every morning on my social media handles. Till date, I have posted 668 slokas.
Recently one of my team members posted a sloka from Chapter 18 verse 44 with an incorrect translation.
As soon as I noticed the mistake, I promptly…
— Himanta Biswa Sarma (@himantabiswa) December 28, 2023
बीते 26 दिसंबर को मुख्यमंत्री शर्मा के एक्स हैंडल ने एक पोस्ट किया, जिसमें दावा किया गया था कि ‘शूद्र – ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्यों की सेवा करने के लिए हैं’.
शूद्र, ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य हिंदू वर्ण या जाति व्यवस्था में उल्लिखित जातियां हैं, जो इन समुदायों में पैदा हुए लोगों को एक पदानुक्रम प्रदान करती हैं. वर्ण व्यवस्था के अनुसार शूद्र ‘सबसे निचली’ जाति के हैं.
डेक्कन हेराल्ड की एक रिपोर्ट के अनुसार, मुख्यमंत्री की पोस्ट में एक एनिमेटेड वीडियो भी शामिल था, जिसमें कहा गया था कि ‘खेती, गाय-पालन और व्यापार वैश्यों के अभ्यस्त और प्राकृतिक कर्तव्य हैं, जबकि तीन वर्णों – ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य – की सेवा करना शूद्रों का स्वाभाविक कर्तव्य है.’
मुख्यमंत्री ने पोस्ट में यहां तक कहा था कि ‘भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं वैश्य और शूद्रों के प्राकृतिक कर्तव्यों के प्रकारों का वर्णन किया है’.
विपक्षी नेताओं ने नाराजगी जाहिर की थी
इस पोस्ट से सोशल प्लेटफॉर्म और विपक्षी दलों में नाराजगी फैल गई. माकपा ने कहा कि वह ‘असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा के ट्वीट की कड़ी निंदा करती है और यह ‘भाजपा की मनुवादी विचारधारा का पूरा खेल है’.
We strongly denounce Assam CM Himanta Biswas' tweet claiming that "Shudras are to serve Brahmins, Kshatriyas and Vaishyas"
BJPs Manuvadi ideology in full play! pic.twitter.com/TLLK7gLEQf
— CPI (M) (@cpimspeak) December 26, 2023
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के अध्यक्ष और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने ट्वीट कर कहा, ‘संवैधानिक पद पर रहते हुए आपकी शपथ प्रत्येक नागरिक के साथ समान व्यवहार करने की है. यह उस दुर्भाग्यपूर्ण क्रूरता में परिलक्षित होता है, जिसका असम के मुसलमानों ने पिछले कुछ वर्षों में सामना किया है. हिंदुत्व स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व और न्याय का विरोधी है.’
In a recently deleted post, Assam CM elaborated on his vision of society. “…farming, cow rearing, and commerce are natural duties of the Vaishya and serving the Brahmins, Kshatriyas and Vaishyas is the natural duty of the Shudras.”
Holding a constitutional position, your oath…
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) December 28, 2023
विवाद होने के बाद मुख्यमंत्री शर्मा ने इस ट्वीट को हटा दिया था.
ट्वीट से ठेस पहुंची हो तो माफी मांगता हूं: मुख्यमंत्री
इसके बाद बीते 28 दिसंबर को एक्स पर एक पोस्ट में मुख्यमंत्री शर्मा ने कहा कि वह नियमित रूप से हर सुबह अपने सोशल मीडिया हैंडल पर भगवद गीता से एक श्लोक अपलोड करते हैं. उन्होंने बताया कि वह अब तक 668 श्लोक पोस्ट कर चुके हैं.
हालांकि, उन्होंने जाति पर एक श्लोक के ‘गलत अनुवाद’ के लिए अपनी ‘टीम के सदस्य’ को दोषी ठहराया – जिसमें यह दावा किया गया था कि ‘शूद्रों’ को भगवद गीता से उच्च जातियों की ‘सेवा’ करनी होती है.
उन्होंने कहा, ‘हाल ही में मेरी टीम के एक सदस्य ने अध्याय 18 श्लोक 44 से एक श्लोक गलत अनुवाद के साथ पोस्ट किया. जैसे ही मुझे गलती का एहसास हुआ, मैंने तुरंत पोस्ट हटा दी.’
उन्होंने कहा कि असम ‘महापुरुष श्रीमंत शंकरदेव के नेतृत्व में सुधार आंदोलन की बदौलत जातिविहीन समाज की एक आदर्श तस्वीर को दर्शाता है’.
उन्होंने कहा, ‘अगर डिलीट की गई पोस्ट से किसी को ठेस पहुंची है तो मैं दिल से माफी मांगता हूं.’
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