आईआईटी खड़गपुर में तीसरे वर्ष के छात्र फ़ैज़ान अहमद 14 अक्टूबर 2022 को अपने छात्रावास में मृत पाए गए थे. परिवार ने उनकी हत्या का संदेह जताया था, जिसके बाद उनका शव कब्र से निकालकर दोबारा पोस्टमॉर्टम भी किया गया था. मामले की जांच कर रही एसआईटी अब तक किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंची है, जबकि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में हत्या की बात कही गई थी.
नई दिल्ली: 14 अक्टूबर 2022 को अपने छात्रावास के कमरे में मृत पाए गए असम के रहने वाले आईआईटी खड़गपुर के तीसरे वर्ष के छात्र फैजान अहमद के परिवार के सदस्यों ने पुलिस के विशेष जांच दल (एसआईटी) की जांच की प्रगति पर नाराजगी व्यक्त की है, जिसने अभी तक कलकत्ता हाईकोर्ट में अपनी अंतिम रिपोर्ट नहीं सौंपी है.
फैजान के शव का दूसरा पोस्टमॉर्टम मई में हाईकोर्ट के आदेश पर शव को कब्र से बाहर निकालकर किया गया था. हाईकोर्ट ने कहा था कि ‘मौत के पीछे का सच सामने लाना जरूरी है’.
फैजान की मां रेहाना अहमद ने इंडियन एक्सप्रेस के साथ फोन पर बातचीत करते हुए कहा कि ‘उनका धैर्य खत्म हो रहा है और उनके बेटे की मौत के लिए जिम्मेदार लोगों को जल्द ही गिरफ्तार किया जाना चाहिए.’
उन्होंने कहा, ‘हम एसआईटी जांच की प्रगति से खुश नहीं हैं. उन्होंने अभी तक अपनी रिपोर्ट नहीं सौंपी है और मेरे बेटे की मौत के लिए जिम्मेदार लोगों को गिरफ्तार नहीं किया है. एक साल से अधिक समय हो गया है, लेकिन हमें अभी तक न्याय नहीं मिला है. अदालत ने उनसे संदिग्धों पर नार्को-टेस्ट और सीरम परीक्षण करने को भी कहा था, लेकिन अब तक कुछ नहीं किया गया है.’
असम के तिनसुकिया के रहने वाले फैजान मैकेनिकल इंजीनियरिंग के छात्र थे.
नवंबर 2022 में फैजान की मौत की जांच के लिए एसआईटी के गठन की मांग करते हुए अदालत का रुख करने वालीं रेहाना ने पूछा, ‘हम एसआईटी द्वारा अपनी अंतिम रिपोर्ट सौंपने का इंतजार कर रहे हैं. अगर हम संतुष्ट नहीं होते हैं तो हम निर्णय लेंगे कि क्या कोई अलग कदम उठाना चाहिए या नहीं.’
उन्होंने आगे कहा, ‘हमें यकीन है कि फैजान की हत्या की गई थी. अदालत ने यह भी कहा कि यह एक हत्या थी. फिर एसआईटी को सच्चाई का पता लगाने और दोषियों को गिरफ्तार करने में इतना समय क्यों लग रहा है?’
6 जून को हाईकोर्ट के जस्टिस राजशेखर मंथा की एकल पीठ ने दूसरे पोस्टमॉर्टम की रिपोर्ट मिलने के बाद पुलिस को मामले में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 302 (हत्या) लगाने का निर्देश दिया था.
फोरेंसिक विशेषज्ञों ने हाईकोर्ट में रिपोर्ट पेश कर बताया था कि फैजान ने आत्महत्या नहीं की, बल्कि उनकी हत्या की गई थी. रिपोर्ट के मुताबिक, फैजान की मौत भारी रक्तस्राव के कारण हुई और उनके सिर तथा सीने में चोटें आई थीं.
14 जून को हाईकोर्ट ने मौत की जांच के लिए एसआईटी गठित करने का आदेश दिया था. अदालत ने एसआईटी को, अगर आवश्यक हो, तो ‘गवाहों या घटना पर प्रकाश डालने वाले किसी भी व्यक्ति’ पर नार्को और ट्रूथ सीरम टेस्ट करने की भी अनुमति दी थी.
अतिरिक्त महानिदेशक (एडीजी मुख्यालय) के. जयरमन के नेतृत्व में एसआईटी का गठन ‘अप्राकृतिक मौत’ की जांच के लिए किया गया था.
18 दिसंबर को एसआईटी ने हाईकोर्ट के जस्टिस जय सेनगुप्ता की एकल पीठ के समक्ष अपनी पहली रिपोर्ट प्रस्तुत की थी और निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए और समय मांगा था.
एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि उन्होंने इस संबंध में कुछ छात्रों से पूछताछ की. हालांकि, न तो छात्रों के नाम और न ही रिपोर्ट वकीलों के बीच साझा की गई. अदालत ने जांच के तरीके पर आश्चर्य व्यक्त किया और एसआईटी को 6 फरवरी तक अपनी जांच रिपोर्ट सौंपने को कहा.
एसआईटी का नेतृत्व कर रहे के.जयरामन ने कहा, ‘उम्मीद है कि हम अगली तारीख तक हाईकोर्ट में प्रगति रिपोर्ट दाखिल कर पाएंगे.’
फैजान के परिवार की पैरवी करने वाले वकीलों में से एक अनिरुद्ध मित्रा ने कहा, ‘एसआईटी का गठन हुए छह महीने हो गए हैं, लेकिन अंतिम रिपोर्ट अभी तक नहीं आई है. कोर्ट भी जांच प्रक्रिया से संतुष्ट नहीं है. कोर्ट ने एसआईटी को अपनी अंतिम रिपोर्ट सौंपने के लिए एक महीने से ज्यादा का समय दिया है. उनके निष्कर्ष जानने के लिए अगली सुनवाई का इंतजार करते हैं.’