केंद्र सरकार ने मौलाना आज़ाद नेशनल फेलोशिप (एमएएनएफ) योजना को बंद कर दिया है. देश के लगभग 30 विश्वविद्यालयों के शोधकर्ताओं और डॉक्टरेट छात्रों ने अल्पसंख्यक मामलों की मंत्री स्मृति ईरानी को पत्र लिखकर कहा है कि सरकार मौजूदा एमएएनएफ फेलो के लिए छात्रवृत्ति राशि में वृद्धि नहीं करके अल्पसंख्यक छात्रों के ख़िलाफ़ भेदभाव कर रही है.
नई दिल्ली: देश भर के लगभग 30 विश्वविद्यालयों के शोधकर्ताओं और डॉक्टरेट छात्रों ने मौलाना आज़ाद नेशनल फेलोशिप (एमएएनएफ) के तहत मौजूदा फेलो के लिए छात्रवृत्ति बढ़ाने के लिए केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों की मंत्री स्मृति ईरानी को अलग-अलग पत्र लिखे हैं.
छात्रों ने छात्रवृत्ति देने में भेदभाव का आरोप लगाते हुए कहा कि अन्य सभी शोध फेलोशिप के लिए छात्रवृत्ति राशि हाल ही में बढ़ा दी गई है, जबकि छह अधिसूचित अल्पसंख्यक समुदायों के छात्रों को दी जाने वाली एमएएनएफ की छात्रवृत्ति राशि वही है.
द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, ईरानी ने हाल ही में संसद में विभिन्न समान छात्रवृत्तियों की ओवरलैपिंग का हवाला देते हुए एमएएनएफ को बंद करने के केंद्र के फैसले की घोषणा की थी.
शोधकर्ताओं के एक संगठन, ऑल इंडिया रिसर्च स्कॉलर्स एसोसिएशन (एआईआरएसए) ने ईरानी को लिखे अपने पत्र में कहा कि शोध देश के सामाजिक-आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और इसमें निवेश करना और फेलोशिप को बढ़ावा देना महत्वपूर्ण है.
पत्र में कहा गया है, ‘यह योजना क्रीमीलेयर आय से नीचे आने वाले अल्पसंख्यक छात्रों के लिए एक वरदान की तरह थी, ताकि उन्हें वित्तीय बाधाओं की चिंता किए बिना पीएचडी और एमफिल जैसी उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके.’
शोधकर्ताओं ने कहा कि छात्रवृत्ति का अंतिम संशोधन 2019 में किया गया था, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) और सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय तथा जनजातीय मामलों के मंत्रालय जैसे अन्य मंत्रालयों द्वारा वितरित अन्य सभी छात्रवृत्तियों को इस वर्ष में इस वर्ष संशोधन किया गया था.
इनके मुताबिक, यूजीसी द्वारा अनुमोदित विभिन्न योजनाओं की फेलोशिप राशि 01 जनवरी, 2023 से जूनियर शोधकर्ताओं के लिए 31,000 रुपये से 37,000 रुपये और वरिष्ठ शोधकर्ताओं के लिए 35,000 रुपये से 42,000 रुपये तक बढ़ा दी गई है.
जामिया मिलिया इस्लामिया, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, गौहाटी विश्वविद्यालय, सरदार पटेल विश्वविद्यालय, आलिया विश्वविद्यालय, कालीकट विश्वविद्यालय, बाबा गुलाम शाह बादशाह विश्वविद्यालय, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, एचएसएनसी विश्वविद्यालय, कुमाऊं विश्वविद्यालय और आईआईएमटी विश्वविद्यालय जैसे 30 विश्वविद्यालयों के एमएएनएफ शोधार्थियों ने स्मृति ईरानी और उनके मंत्रालय, इसे वितरित करने वाली नोडल एजेंसी से एमएएनएफ वृद्धि प्रक्रिया में तेजी लाने और मासिक आधार पर फेलोशिप देने का आग्रह किया है.
विपक्षी दलों के छात्र संगठनों – जैसे नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया (एनएसयूआई) और स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) ने भी इस मामले को उठाया है.
एसएफआई के महासचिव मयूख विश्वास ने कहा, ‘आगामी बैचों के लिए एमएएनएफ को बंद करने के बाद भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार मौजूदा एमएएनएफ फेलो के लिए राशि में वृद्धि नहीं करके अल्पसंख्यक छात्रों के खिलाफ भेदभाव जारी रख रही है.’
उन्होंने कहा, ‘एमएएनएफ पर चयनात्मक रोक अत्यधिक सांप्रदायिक है और अल्पसंख्यक समुदायों से संबंधित छात्रों को लक्षित करता है. भाजपा सरकार का प्रयास राजनीति से प्रेरित है और यह देश में शोध छात्रों के एक महत्वपूर्ण वर्ग के भविष्य को गंभीर रूप से प्रभावित करेगा.’
जामिया मिलिया इस्लामिया में एनएसयूआई के अध्यक्ष एनएस अब्दुल हमीद ने ईरानी से एमएएनएफ छात्रवृत्ति में तत्काल बढ़ोतरी पर विचार करने का आग्रह किया ताकि इसे अन्य फेलोशिप की संशोधित दरों के अनुरूप लाया जा सके.
उन्होंने कहा, ‘यह कदम न केवल समानता के प्रति प्रतिबद्धता को प्रतिबिंबित करेगा, बल्कि उन छात्रों की सामाजिक-आर्थिक स्थितियों में भी सुधार करेगा, जो अपनी शैक्षणिक गतिविधियों के लिए एमएएनएफ पर निर्भर हैं.’
मालूम हो कि भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने दिसंबर 2022 में लोकसभा को बताया था कि एमएएनएफ योजना को बंद किया जा रहा है. अल्पसंख्यक मामलों की मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा था कि यह फैसला इसलिए लिया गया क्योंकि एमएएनएफ योजना कई अन्य योजनाओं के साथ ओवरलैप हो रही थी.
वित्तीय वर्ष 2023-24 में एमएएएफ के अलावा अल्पसंख्यकों के लिए कई अन्य योजनाओं के बजट में काफी कटौती की गई है. अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय के लिए केंद्रीय बजट का अनुमान 2022-23 में 5,020.50 करोड़ रुपये था. इस बार, मंत्रालय को 3,097 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जो पिछले साल की तुलना में 38 फीसदी कम है.