दिल्ली: पहलवान विनेश फोगाट ने खेल रत्न और अर्जुन पुरस्कार लौटाए, उन्हें कर्तव्य पथ पर छोड़ा

पहलवान विनेश फोगाट ने ओलंपिक पदक विजेता साक्षी मलिक और बजरंग पुनिया के साथ मिलकर भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के करीबी सहयोगी संजय सिंह के चुनाव का विरोध किया था. बृजभूषण पर उन्होंने महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था.

शनिवार को पुरस्कार लौटाने के दौरान दिल्ली के कर्तव्य पथ पर विनेश फोगाट. (फोटो: वीडियो स्क्रीनग्रैब)

पहलवान विनेश फोगाट ने ओलंपिक पदक विजेता साक्षी मलिक और बजरंग पुनिया के साथ मिलकर भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के करीबी सहयोगी संजय सिंह के चुनाव का विरोध किया था. बृजभूषण पर उन्होंने महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था.

शनिवार को पुरस्कार लौटाने के दौरान दिल्ली के कर्तव्य पथ पर विनेश फोगाट. (फोटो: वीडियो स्क्रीनग्रैब)

नई दिल्ली: कई विश्व चैंपियनशिप पदक जीत चुकीं पहलवान विनेश फोगाट ने बीते शनिवार (30 दिसंबर) को अपना खेल रत्न और अर्जुन पुरस्कार लौटा दिया. उन्होंने ये दोनों पुरस्कार राष्ट्रीय राजधानी के कर्तव्य पथ के बीच में रख दिए, क्योंकि दिल्ली पुलिस ने उन्हें प्रधानमंत्री कार्यालय तक पहुंचने से रोक दिया था.

बीते 26 दिसंबर को एशियाई खेलों की स्वर्ण पदक विजेता पहलवान ने अपना खेल रत्न और अर्जुन पुरस्कार सरकार को लौटाने का फैसला करते हुए कहा था कि ऐसे समय में ऐसे सम्मान निरर्थक हो गए हैं, जब पहलवान न्याय पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं.

विनेश फोगाट ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे पत्र में अपने फैसले की घोषणा की थी.

शनिवार को उन्होंने अपने पुरस्कार लौटाने के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय पहुंचने का प्रयास किया, लेकिन पुलिस ने उन्हें वहां तक पहुंचने से रोक दिया. इसके विरोध में उन्होंने कर्तव्य पथ पर दोनों पुरस्कार छोड़ दिए. बाद में उन्हें दिल्ली पुलिस ने उठा लिया.

विनेश ने ओलंपिक पदक विजेता साक्षी मलिक और बजरंग पुनिया के साथ मिलकर भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के करीबी सहयोगी संजय सिंह के चुनाव का विरोध किया था. बृजभूषण पर उन्होंने महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था. मामले की सुनवाई दिल्ली हाईकोर्ट में चल रही है.

मालूम हो कि बीते 21 दिसंबर को बृजभूषण के करीबी सहयोगी संजय सिंह को डब्ल्यूएफआई प्रमुख चुने जाने के बाद साक्षी मलिक ने कुश्ती से संन्यास लेने की घोषणा की थी, जबकि बजरंग ने अपना पद्म श्री पुरस्कार लौटा दिया था और बीते 26 दिसंबर को विनेश ने भी अपने खेल रत्न और अर्जुन पुरस्कार वापस लौटाने का फैसला किया था.

उन्होंने आरोप लगाया था कि वे नहीं चाहते कि भाजपा सांसद का कोई करीबी सहयोगी महासंघ चलाए.

इसके बाद केंद्रीय खेल मंत्रालय ने बीते 24 दिसंबर को नवगठित भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) को यह कहते हुए निलंबित कर दिया था कि ‘नया निकाय पूर्व पदाधिकारियों के पूर्ण नियंत्रण में है.’

एक बयान में मंत्रालय ने कुश्ती महासंघ में मानदंडों के प्रति सम्मान की कमी और इस तथ्य की आलोचना की कि यह पूर्व अधिकारियों के अधीन काम करता है, जिन पर खिलाड़ियों के यौन उत्पीड़न का आरोप है.

यह कदम भारतीय कुश्ती महासंघ के नवनिर्वाचित और विवादास्पद अध्यक्ष संजय सिंह की इस घोषणा के बाद उठाया गया था कि अंडर-15 और अंडर-20 राष्ट्रीय प्रतियोगिताएं इस साल के आखिर में उत्तर प्रदेश के गोंडा के नंदिनी नगर में होंगी. उनकी घोषणा को खेल मंत्रालय ने ‘जल्दबाजी’ कहा था.

गोंडा को ​पहलवानों के यौन उत्पीड़न के आरोपी बृजभूषण शरण सिंह का क्षेत्र माना जाता है.

यही नहीं खेल मंत्रालय ने नवगठित डब्ल्यूएफआई समिति को निलंबित करते हुए कड़ी कार्रवाई करने के कारणों में से एक के रूप में बृजभूषण के आवास से चल रहे कार्यालय का भी हवाला दिया था.

डब्ल्यूएफआई ने बीते 29 दिसंबर को अपना कार्यालय बृजभूषण शरण सिंह के आवास से हटा दिया. इसका नया कार्यालय नई दिल्ली के हरिनगर क्षेत्र में स्थित है.

द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, खेल मंत्रालय ने नवगठित समिति निलंबित करने के बाद भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) से खेल निकाय के मामलों के प्रबंधन के लिए एक तदर्थ पैनल का गठन करने के लिए कहा था.

खेल मंत्रालय के निर्देश पर कार्रवाई करते हुए आईओए ने बीते 27 दिसंबर को डब्ल्यूएफआई के दैनिक मामलों को चलाने के लिए वुशु एसोसिएशन ऑफ इंडिया के प्रमुख भूपेंदर सिंह बाजवा की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय तदर्थ समिति का गठन किया था.