जम्मू कश्मीर: महबूबा को सेना की हिरासत में मारे गए नागरिकों के परिजनों से मिलने से रोका गया

जम्मू कश्मीर के पुंछ ज़िले में बीते 21 दिसंबर को आतंकी हमले में 4 जवानों की मौत के बाद सेना ने कुछ लोगों को पूछताछ के लिए बुलाया था. बाद में इनमें से 3 लोगों के शव मिले थे. पीडीपी नेताओं ने कहा कि मुफ्ती को पार्टी के अन्य सहयोगियों को पुलिस ने पीड़ितों के परिवारों से मिलने के लिए टोपा पीर गांव की ओर जाने की अनुमति नहीं दी.

पुंछ जिले में मृतकों के परिजनों से मिलने से रोकने के बाद अपने सहयोगियों के साथ धरने पर बैठीं महबूबा मुफ्ती. (फोटो साभार: एक्स/@jkpdp)

जम्मू कश्मीर के पुंछ ज़िले में बीते 21 दिसंबर को आतंकी हमले में 4 जवानों की मौत के बाद सेना ने कुछ लोगों को पूछताछ के लिए बुलाया था. बाद में इनमें से 3 लोगों के शव मिले थे. पीडीपी नेताओं ने कहा कि मुफ्ती को पार्टी के अन्य सहयोगियों को पुलिस ने पीड़ितों के परिवारों से मिलने के लिए टोपा पीर गांव की ओर जाने की अनुमति नहीं दी.

पुंछ जिले में मृतकों के परिजनों से मिलने से रोकने के बाद अपने सहयोगियों के साथ धरने पर बैठीं महबूबा मुफ्ती. (फोटो साभार: एक्स/@jkpdp)

नई दिल्ली: पिछले हफ्ते पुंछ में आतंकी हमले के बाद सेना द्वारा पूछताछ के लिए उठाए जाने के बाद मृत पाए गए तीन लोगों के परिवारों से मुलाकात करने जा रहीं पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती को शनिवार (30 दिसंबर) को पुलिस ने रोक दिया.

इंडियन एक्सप्रेस को मुफ्ती के सहयोगियों ने इसकी जानकारी दी है.

बीते 21 दिसंबर को पुंछ के सुरनकोट इलाके में आतंकवादियों द्वारा सेना के दो वाहनों पर घात लगाकर किए गए हमले में चार सैनिकों की मौत हो गई थी और तीन अन्य घायल हो गए थे. तीन नागरिकों को सेना ने बाद में पूछताछ के लिए उठाया था. अगले दिन वे मृत पाए गए.

पीडीपी नेताओं ने कहा कि मुफ्ती को पार्टी के अन्य सहयोगियों के साथ बफलियाज के पास डेरा की गली में पुलिस ने रोक लिया और उन्हें पीड़ितों के परिवारों से मिलने के लिए टोपा पीर गांव की ओर जाने की अनुमति नहीं दी गई.

उन्होंने बताया कि पीडीपी प्रमुख ने उन्हें गांव का दौरा करने की अनुमति देने की मांग करते हुए धरना दिया और प्रशासन द्वारा उन पर लगाए गए प्रतिबंध के फैसले पर सवाल उठाया, क्योंकि भाजपा अध्यक्ष रविंदर रैना को हाल ही में पीड़ित परिवारों से मिलने की अनुमति दे दी गई थी.

बता दें कि जम्मू कश्मीर के पुंछ जिले में बीते 21 दिसंबर को एक आतंकी हमले में 4 जवानों की मौत के बाद सेना ने कुछ लोगों को पूछताछ के लिए उठाया था. बाद में 3 लोगों (सफीर हुसैन (48 वर्ष), मोहम्मद शौकत (28 वर्ष) और शब्बीर अहमद (25 वर्ष)) के शव उस जगह के नजदीक पाए गए थे, जहां आतंकवादियों ने सेना पर हमला किया था. एक वीडियो भी वायरल हुआ था, जिसमें सेना के जवान नागरिकों को यातनाएं देते देखे जा सकते हैं.

घायलों की इस आपबीती से पहले तीनों मृतकों के गांव टोपा पीर के सरपंच ने इस बात की पुष्टि की थी कि वायरल वीडियो में मारे गए नागरिक जवानों की प्रताड़ना सहते दिख रहे हैं.

सेना ने उन परिस्थितियों की जांच के लिए कोर्ट ऑफ इंक्वायरी (सीओआई) का आदेश दिया है, जो तीन नागरिकों की मौत का कारण बनीं.

जम्मू कश्मीर पुलिस ने तीन नागरिकों की मौत और पांच अन्य के घायल होने के संबंध में हत्या और हत्या के प्रयास से संबंधित आईपीसी की धाराओं के तहत ‘अज्ञात’ व्यक्तियों के खिलाफ पुंछ के सुरनकोट थाने में एक एफआईआर भी दर्ज की है.

वहीं, बीते 27 दिसंबर को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी पीड़ित परिवारों से मुलाकात की थी और कहा था कि ‘जो हुआ, वो गलत था.’ उन्होंने न्याय का आश्वासन भी दिया था.

आतंकवाद मानवता के ख़िलाफ़ है: फारुक़ अब्दुल्ला

इस बीच, नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारुक अब्दुल्ला ने सेना के चार जवानों और तीन नागरिकों की मौत पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि ‘आतंकवाद मानवता के खिलाफ है.’

हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, अब्दुल्ला ने कहा, ‘आतंकवाद किसी भी रूप में मानवता के खिलाफ है. जो आतंकवाद हुआ है या हो रहा है वह किसी भी समुदाय में स्वीकार्य नहीं है. न केवल जवान बल्कि कर्नल और दो कैप्टन जैसे अधिकारियों ने भी अपनी जान गंवाई है. हमें अफसोस है कि नागरिकों ने भी अपनी जान गंवाई है.’

उन्होंने जम्मू कश्मीर के पूर्व वरिष्ठ पुलिस अधिकारी मोहम्मद शफी के निधन पर भी शोक व्यक्त किया, जिनकी बारामूला में एक मस्जिद में नमाज अदा करते समय आतंकवादियों ने गोली मारकर हत्या कर दी.

अब्दुल्ला ने आगे कहा, ‘इसे (आतंकवाद) रोका जाना चाहिए. मैं अपने पड़ोसी देश से इसे रोकने का आग्रह करता हूं, क्योंकि इस तरह हम दोस्ती की ओर नहीं बढ़ रहे हैं. पूर्व भारतीय प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने भी कहा था कि अगर हम दोस्ती बनाए रखेंगे, तभी हम प्रगति कर सकते हैं. मैं भारत और पाकिस्तान के बीच बातचीत के जरिये समाधान ढूंढने का सुझाव दूंगा.’

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