मणिपुर के घाटी क्षेत्र में स्थित थौबल ज़िले के लिलोंग इलाके में 1 जनवरी को यह हिंसा हुई. अज्ञात बंदूकधारियों छद्मवेश में पहुंचे और स्थानीय लोगों को निशाना बनाते हुए गोलीबारी शुरू कर दी थी. इसके बाद राज्य सरकार ने थौबल, इंफाल पूर्व, काकचिंग और बिष्णुपुर ज़िलों में फिर से कर्फ्यू लगा दिया है.
नई दिल्ली: मणिपुर के घाटी जिले थौबल के लिलोंग इलाके में नए साल के पहले दिन सोमवार (1 जनवरी) को हुई ताजा हिंसा में हथियारबंद लोगों ने कथित तौर पर चार लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी. इस घटना के बाद मणिपुर सरकार ने राज्य के घाटी के जिलों में फिर से कर्फ्यू लगा दिया है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, जिला मजिस्ट्रेट द्वारा जारी एक आदेश में कहा गया है, ‘जिले में कानून और व्यवस्था की स्थिति विकसित होने और किसी भी अप्रिय घटना, जान-माल के नुकसान को रोकने के लिए एहतियात के तौर पर 31 दिसंबर का कर्फ्यू छूट आदेश रद्द कर दिया गया है और इंफाल पश्चिम जिले के सभी क्षेत्रों में पूर्ण कर्फ्यू लगाया गया है.’
इसी तरह थौबल, इंफाल पूर्व, काकचिंग और बिष्णुपुर जिलों में भी फिर से कर्फ्यू लगा दिया गया.
हालांकि, घटना के बारे में ज्यादा विवरण नहीं है, मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने एक वीडियो बयान में आश्वासन दिया कि दोषियों का पता लगाया जाएगा.
उन्होंने कहा, ‘हम इस घटना को हल्के में नहीं ले सकते. दोषियों को पकड़ने के लिए मणिपुर पुलिस को कार्रवाई में लगाया गया है. मैं लोगों से विशेषकर लिलोंग के लोगों से अपील करता हूं कि वे किसी भी प्रकार की हिंसा का सहारा लेने से बचें. मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि हम दोषियों के खिलाफ कानून के मुताबिक कड़ी कार्रवाई करेंगे. कृपया सरकार के साथ सहयोग करें.’
समाचार एजेंसी पीटीआई ने अधिकारियों के हवाले से कहा कि बंदूकधारी, जिनकी अब तक पहचान नहीं हो पाई है, छद्मवेश में पहुंचे और स्थानीय लोगों को निशाना बनाते हुए गोलीबारी शुरू कर दी.
हमले के बाद गुस्साए स्थानीय लोगों ने कुछ गाड़ियों में आग लगा दी.
द प्रिंट की रिपोर्ट के मुताबिक, बंदूकधारियों की गोलीबारी में 14 घायल हो गए हैं, जिनमें से कई की हालत गंभीर बताई जा रही है और फिलहाल इंफाल के राज मेडिसिटी में उनका इलाज किया जा रहा है.
रिपोर्ट्स के मुताबिक, सोमवार शाम करीब 7:30 बजे फायरिंग करने से पहले हथियारबंद लोग चार गाड़ियों में पुलिस की वर्दी पहनकर आए थे. घटना के बाद गुस्साई भीड़ ने अपराधियों द्वारा इस्तेमाल की गई दो मारुति जिप्सी कारों को जला दिया है.
इससे पहले बीते 30 दिसंबर की दोपहर सशस्त्र बदमाशों और राज्य पुलिस के जवानों के बीच रुक-रुककर हो रही गोलीबारी के बाद भारत-म्यांमार सीमा पर स्थित अशांत मणिपुर के मोरेह शहर में 31 दिसंबर को फिर से कर्फ्यू लगा दिया गया था.
मोरेह शहर में एक चौकी पर रॉकेट चालित ग्रेनेड (आरपीजी) हमले में मणिपुर पुलिस के तीन कमांडो घायल हो गए थे. अधिकारियों ने बताया कि हमले के पीछे संदिग्ध आतंकवादियों का हाथ माना जा रहा है.
मोरेह कुकी प्रभुत्व वले तेंगनौपाल जिले में स्थित है, जो 3 मई को राज्य में जनजाति कुकी-ज़ो और बहुसंख्यक मेईतेई समुदायों के बीच भड़के जातीय संघर्ष से प्रभावित जिलों में से एक है.
ज्ञात हो कि 3 मई को मणिपुर में मेईतेई और कुकी-ज़ो समुदायों के बीच जातीय हिंसा भड़कने के बाद से पिछले 8 महीनों में अब तक लगभग 200 लोग मारे गए हैं, सैंकड़ों की संख्या में लोग घायल हुए हैं और 60,000 लोग विस्थापित हुए हैं.
3 मई को बहुसंख्यक मेईतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) दर्जे की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बीच दोनों समुदायों के बीच यह हिंसा भड़की थी.
मणिपुर की आबादी में मेईतेई लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं, जबकि आदिवासी, जिनमें नगा और कुकी समुदाय शामिल हैं, 40 प्रतिशत हैं और ज्यादातर पहाड़ी जिलों में रहते हैं.