मदरसों में ग़ैर-मुस्लिम बच्चों का आंकड़ा नहीं देने पर 11 राज्यों के मुख्य सचिवों को तलब किया गया

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने करीब एक साल पहले राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से इस संबंध में कार्रवाई की मांग की थी. आयोग की ओर से कहा गया है कि मदरसों में हिंदू और अन्य गैर-मुस्लिम बच्चों का नामांकन स्पष्ट रूप से संविधान के अनुच्छेद 28(3) का उल्लंघन है.

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(फोटो साभार: फेसबुक)

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने करीब एक साल पहले राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से इस संबंध में कार्रवाई की मांग की थी. आयोग की ओर से कहा गया है कि मदरसों में हिंदू और अन्य गैर-मुस्लिम बच्चों का नामांकन स्पष्ट रूप से संविधान के अनुच्छेद 28(3) का उल्लंघन है.

(फोटो साभार: फेसबुक)

नई दिल्ली: राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने मदरसों में नामांकित हिंदू और अन्य गैर-मुस्लिम बच्चों की पहचान करने और उन्हें स्कूलों में प्रवेश दिलाने में ‘कार्रवाई की कमी’ को लेकर 11 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को तलब किया है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, एनसीपीसीआर ने करीब एक साल पहले कार्रवाई की मांग की थी. इसमें कहा गया है कि मदरसों में गैर-मुस्लिम बच्चों का नामांकन स्पष्ट रूप से संविधान के अनुच्छेद 28(3) का उल्लंघन है.

इसमें कहा गया है कि अनुच्छेद शैक्षणिक संस्थानों को माता-पिता की सहमति के बिना बच्चों को किसी भी धार्मिक शिक्षण में भाग लेने के लिए बाध्य करने से रोकता है.

आयोग ने कहा है कि संस्थान के रूप में मदरसे मुख्य रूप से बच्चों को धार्मिक शिक्षा प्रदान करने के लिए जिम्मेदार हैं. इसमें यह भी कहा गया है कि यह भी पता चला है कि सरकार द्वारा वित्तपोषित या मान्यता प्राप्त मदरसे बच्चों को धार्मिक शिक्षा के साथ-साथ कुछ हद तक औपचारिक शिक्षा भी प्रदान कर रहे हैं.

आयोग के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने कहा कि बाल अधिकार निकाय पिछले एक साल से लगातार सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों (यूटी) से मदरसों में जाने वाले या मदरसों में रहने वाले हिंदू और अन्य गैर-मुस्लिम बच्चों की पहचान करने और उन्हें अन्य स्कूलों में स्थानांतरित करने और प्रवेश दिलाने के लिए कह रहा है.

उन्होंने कहा कि आयोग ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से ‘सभी गैर-मान्यता प्राप्त मदरसों की मैपिंग करके वहां नामांकित बच्चों को बुनियादी शिक्षा प्रदान करने की व्यवस्था करने’ के लिए भी कहा था.

आयोग ने कहा, ‘लेकिन राज्यों द्वारा लगातार उपेक्षा और कार्रवाई की कमी के कारण एनसीपीसीआर ने बुधवार (3 जनवरी) को 11 राज्यों के मुख्य सचिवों को समन जारी किया और मामले में स्पष्टीकरण मांगा.’

इसने हरियाणा, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, गोवा, झारखंड, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, मेघालय और तेलंगाना के मुख्य सचिवों को तलब किया है.

एनसीपीसीआर समन की प्रतियों के अनुसार, मुख्य सचिवों को ‘कार्रवाई नहीं करने’ पर स्पष्टीकरण और मदरसों के बारे में मांगे गए विवरण के साथ आयोग के सामने व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने के लिए कहा गया है.

हरियाणा, आंध्र प्रदेश और छत्तीसगढ़ के मुख्य सचिवों को 12 जनवरी को जबकि अंडमान और निकोबार द्वीप समूह और गोवा के मुख्य सचिवों को 15 जनवरी को बुलाया गया है.

झारखंड के मुख्य सचिव को 16 जनवरी को, जबकि कर्नाटक और केरल के मुख्य सचिव को 17 जनवरी को बुलाया गया है. मध्य प्रदेश, मेघालय और तेलंगाना के मुख्य सचिव को 18 जनवरी को बुलाया गया है.