25 दिसंबर 2023 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा आयोजित क्रिसमस लंच में शामिल ईसाई लोगों को लेकर जारी एक बयान में कहा गया है कि साल 2014 के बाद ईसाइयों पर हो रहे लक्षित हमलों के अलावा मणिपुर और अन्य जगहों पर हमारे लोगों के साथ जो हो रहा है, उसे देखते हुए उनके पास इस निमंत्रण को विनम्रतापूर्वक अस्वीकार करने का मौका था.
नई दिल्ली: देश भर के 3,000 से अधिक ईसाइयों ने 25 दिसंबर 2023 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा आयोजित क्रिसमस लंच में भाग लेने वाले ईसाई नेताओं से खुद को अलग करने वाले एक बयान पर हस्ताक्षर किए हैं.
बयान में कहा गया है कि 2014 के बाद से भारत में ईसाइयों को बार-बार लक्षित हमलों (Targeted Attacks) और बदनामी का सामना करना पड़ा है और कई भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) शासित राज्यों द्वारा लागू किए गए तथाकथित धर्मांतरण विरोधी कानूनों का इस्तेमाल समुदाय के खिलाफ भेदभावपूर्ण उपकरण के रूप में किया गया है.
यह बयान 3 मई 2023 को मणिपुर में भड़की जातीय हिंसा पर भी विशेष ध्यान आकर्षित करता है, जिसके दौरान बड़ी संख्या में चर्चों पर हमला किया गया है.
सितंबर 2023 में द वायर ने रिपोर्ट की थी कि ईसाई नागरिक समाज समूहों द्वारा एकत्र किए गए आंकड़ों के अनुसार, 2011 और 2022 के बीच भारत में ईसाइयों के खिलाफ हमले चार गुना बढ़ गए हैं. यूनाइटेड क्रिश्चियन फोरम के एसी माइकल ने तब द वायर को बताया था कि कई स्थितियों में पुलिस अपराधियों के बजाय ऐसी हिंसा के पीड़ितों (ईसाई समुदाय) के खिलाफ एफआईआर दर्ज करती है.
ईसाई समुदाय द्वारा बीते 4 जनवरी को जारी हस्ताक्षरित बयान में कहा गया है, ‘हालांकि यह निश्चित रूप से प्रधानमंत्री के रूप में उनके अधिकार में है कि वे जिसे चाहें उसके लिए एक स्वागत समारोह की मेजबानी करें. हालांकि कोई भी स्वाभाविक रूप से इस स्वागत समारोह के इरादे पर सवाल उठाएगा, जब उन्होंने अपने प्रधानमंत्रित्व काल में ईसाइयों पर किए गए एक भी हमले की निंदा नहीं की है.’
इसके अनुसार, ‘दिलचस्प बात यह है कि जब उन्होंने ईसा मसीह की प्रशंसा की और ईसाई समुदाय की सेवाओं के बारे में खुलकर बात की, तो उन्होंने आज देश में ईसाइयों की स्थिति के लिए पश्चाताप या सहानुभूति साझा नहीं की.’
बयान में कहा, ‘क्रिसमस लंच में आमंत्रित लोग ईसाइयों का एक चुनिंदा समूह थे. जब निमंत्रण प्रधानमंत्री का था तो यहां उनके लिए मणिपुर और अन्य जगहों पर ईसाइयों के साथ जो हो रहा है, उसके आलोक में इस निमंत्रण को विनम्रतापूर्वक अस्वीकार करने का अवसर था.’
बयान में कहा गया है, ‘जब इन ईसाई प्रतिनिधियों ने स्वागत समारोह में बात की, तो वे इस सरकार की चूक को मौन स्वीकृति दे रहे थे. इसलिए, इस निमंत्रण की उनकी स्वीकृति हमारे नाम पर नहीं थी!’
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