केंद्र सरकार ने उत्तर-पूर्व के चार राज्यों की भारत-म्यांमार सीमा पर मुक्त आवाजाही व्यवस्था ख़त्म करने का फैसला लिया है. मिज़ोरम के नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री लालदुहोमा ने कहा कि हम दोनों देशों के सीमा को स्वीकार नहीं कर सकते, इसके बजाय हम हमेशा एक प्रशासन के तहत एक राष्ट्र बनने का सपना देखते हैं.
नई दिल्ली: मिजोरम के नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री लालदुहोमा ने केंद्रीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर से कहा है कि भारत-म्यांमार सीमा पर बाड़ लगाना ‘अस्वीकार्य’ होगा. यह बयान केंद्र सरकार द्वारा उत्तर-पूर्व के चार राज्यों में भारत-म्यांमार सीमा पर 40 साल पुरानी मुक्त आवाजाही व्यवस्था को खत्म करने के फैसले के दो दिन बाद आया है.
डेक्कन हेराल्ड के अनुसार, लालदुहोमा ने बुधवार (3 जनवरी) को नई दिल्ली में एक बैठक में विदेश मंत्री से कहा, ‘अंग्रेजों ने बर्मा (म्यांमार) को भारत से अलग करके मिज़ो लोगों को अलग कर दिया था. उन्होंने मिजो जातीय लोगों की प्राचीन भूमि को दो भागों में विभाजित कर दिया था. इसलिए हम सीमा (बॉर्डर) को स्वीकार नहीं कर सकते, इसके बजाय हम हमेशा एक प्रशासन के तहत एक राष्ट्र बनने का सपना देखते हैं.’
उन्होंने कहा, ‘इस तरह बाड़ लगाने से मिज़ो समुदाय के लोग विभाजित हो जाएंगे और ब्रिटिश-निर्मित सीमा को मंजूरी मिल जाएगी. यह हमें अस्वीकार्य होगा.’
टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, लालदुहोमा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात में भी यह भावना व्यक्त की.
1970 के दशक में लागू की गई मुक्त आवाजाही व्यवस्था, भारत और म्यांमार की सीमा के पास रहने वाले लोगों को वीजा की जरूरत के बिना ही दूसरे देश में 16 किमी तक यात्रा करने की अनुमति देती है.
इससे पहले मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने केंद्र सरकार से राज्य में मेईतेई और कुकी-ज़ो समुदायों के बीच जातीय संघर्ष को देखते हुए इस व्यवस्था को रद्द करने के लिए कहा था.
कुकी मिज़ोरम के मिज़ो और म्यांमार के चिन लोगों के साथ जातीय तौर पर जुड़े हुए हैं और एक अलग प्रशासन के तहत एकीकृत होने की मांग कर रहे हैं. इस तरह के एकीकरण का वादा लालदुहोमा और उनकी ज़ोरम पीपुल्स पार्टी ने अपने चुनावी घोषणा-पत्र में भी किया था.
हालात सामान्य होने तक म्यांमार के शरणार्थियों को वापस नहीं भेजा जाएगा: अमित शाह
इस बीच, शुक्रवार (5 जनवरी) को जारी एक आधिकारिक बयान के अनुसार, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मिजोरम के मुख्यमंत्री लालदुहोमा को सूचित किया है कि केंद्र फरवरी 2021 से राज्य में शरण लेने वाले म्यांमार के नागरिकों को पड़ोसी देश में सामान्य स्थिति बहाल होने तक निर्वासित नहीं करेगा.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, बयान में कहा गया है कि गुरुवार (4 जनवरी) को दिल्ली में एक बैठक के दौरान शाह ने लालदुहोमा के साथ विदेशियों के बायोमेट्रिक डेटा एकत्र करने के महत्व पर चर्चा की थी, जिस पर पिछली राज्य सरकार ने आगे बढ़ने से इनकार कर दिया था.
आधिकारिक बयान में शाह के हवाले से कहा गया है, ‘मैं मिजोरम के लोगों को बताना चाहता हूं कि राज्य में शरण लेने वाले म्यांमार के नागरिकों को केंद्र तब तक निर्वासित नहीं करेगा जब तक वहां हालात सामान्य नहीं हो जाते.’
अधिकारियों के मुताबिक, म्यांमार में सैन्य तख्तापलट के बाद फरवरी 2021 से म्यांमार के 31,000 से अधिक लोगों ने मिजोरम में शरण मांगी है. इनमें से अधिकांश नागरिक चिन समुदाय से हैं, जिनका मिज़ो लोगों के साथ जातीय जुड़ाव है.
केंद्रीय गृह मंत्री और लालदुहोमा ने मिज़ोरम मेंटेनेंस ऑफ हाउसहोल्ड रजिस्टर बिल पर भी चर्चा की, जो फिलहाल राष्ट्रपति की मंजूरी के इंतजार में है.
मार्च 2019 में पारित विधेयक का उद्देश्य विदेशियों की पहचान करना और पड़ोसी देशों से अवैध अप्रवासियों की आमद को रोकना है. बयान में कहा गया है कि शाह ने लालदुहोमा को आवश्यक सुधार और संशोधन करने के बाद विधेयक को फिर से जमा करने की सलाह दी है.