मिज़ोरम के मुख्यमंत्री लालदुहोमा ने कहा है कि भले ही केंद्र म्यांमार के नागरिकों को शरणार्थी का दर्जा नहीं दे सकता है, लेकिन वह उन्हें राहत प्रदान करने में हमारे साथ सहयोग करने के लिए तैयार है. साथ ही मुख्यमंत्री ने यह भी उम्मीद जताई कि केंद्र भारत-म्यांमार सीमा के एक हिस्से पर बाड़ लगाने के क़दम को रद्द कर देगा.
नई दिल्ली: मिजोरम के मुख्यमंत्री लालदुहोमा ने कहा है कि उनकी सरकार केंद्र के सहयोग से म्यांमार के शरणार्थियों और मणिपुर के आंतरिक रूप से विस्थापित लोगों की सहायता करना जारी रखेगी.
लालदुहोमा ने बीते 6 जनवरी को दिल्ली से लौटने के बाद राजधानी आइजोल में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में ये टिप्पणियां कीं.
द हिंदू में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने कहा, ‘भले ही केंद्र म्यांमार के नागरिकों को शरणार्थी का दर्जा नहीं दे सकता है, लेकिन वह उन्हें राहत प्रदान करने में हमारे साथ सहयोग करने के लिए तैयार है. जातीय हिंसा के कारण अपना घर छोड़कर भागे मणिपुर के लोगों की भी केंद्र सरकार की मदद से देखभाल की जाएगी.’
अधिकारियों के अनुसार, अपने गृह देश में सैन्य तख्तापलट के बाद फरवरी 2021 से म्यांमार के चिन समुदाय के 31,000 से अधिक लोगों ने मिजोरम में शरण मांगी है. म्यांमार का चिन समुदाय और मणिपुर का जातीय कुकी-जो समुदाय मिजो लोगों के साथ जातीय संबंध साझा करते हैं.
इसके अलावा जातीय हिंसा से प्रभावित मणिपुर के 9,000 से अधिक आंतरिक रूप से विस्थापित लोगों ने मिजोरम में शरण ली है.
एक आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया है कि 5 जनवरी को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मिजोरम के मुख्यमंत्री को सूचित किया था कि केंद्र फरवरी 2021 से राज्य में शरण लेने वाले म्यांमार के नागरिकों को तब तक निर्वासित नहीं करेगा, जब तक कि पड़ोसी देश में सामान्य स्थिति बहाल नहीं हो जाती.
मुख्यमंत्री ने यह भी उम्मीद जताई कि केंद्र भारत-म्यांमार सीमा के एक हिस्से पर बाड़ लगाने के कदम को रद्द कर देगा.
केंद्र सरकार ने हाल ही में कहा था कि वह म्यांमार के साथ 300 किलोमीटर लंबी बिना बाड़ वाली सीमा पर बाड़ लगाने और मुक्त आवाजाही व्यवस्था को समाप्त करने की योजना बना रही है, जो अंतरराष्ट्रीय सीमा के दोनों ओर रहने वाले लोगों को बिना वीजा के एक-दूसरे के क्षेत्र में 16 किलोमीटर के भीतर यात्रा करने की अनुमति देती है.
बीते 3 जनवरी को मिजोरम के नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री लालदुहोमा ने नई दिल्ली में एक बैठक के दौरान केंद्रीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर से कहा था कि भारत-म्यांमार सीमा पर बाड़ लगाना ‘अस्वीकार्य’ होगा.
उन्होंने कहा था, ‘अंग्रेजों ने बर्मा (म्यांमार) को भारत से अलग करके मिजो लोगों को अलग कर दिया था. उन्होंने मिजो जातीय लोगों की प्राचीन भूमि को दो भागों में विभाजित कर दिया था. इसलिए हम सीमा (बॉर्डर) को स्वीकार नहीं कर सकते, इसके बजाय हम हमेशा एक प्रशासन के तहत एक राष्ट्र बनने का सपना देखते हैं.’
उन्होंने कहा, ‘इस तरह बाड़ लगाने से मिजो समुदाय के लोग विभाजित हो जाएंगे और ब्रिटिश-निर्मित सीमा को मंजूरी मिल जाएगी. यह हमें अस्वीकार्य होगा.’
लालदुहोमा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात में भी यही भावना व्यक्त की थी.