दो महीने बाद भी सिल्कयारा सुरंग हादसे के ज़िम्मेदार ठेकेदार पर केस दर्ज नहीं हुआ: आरटीआई

एक आरटीआई के जवाब में पता चला है कि राष्ट्रीय राजमार्ग एवं अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड ने उत्तराखंड की सिल्कयारा सुरंग के निर्माण के लिए ज़िम्मेदार ठेकेदार के ख़िलाफ़ अब तक कोई एफ़आईआर दर्ज नहीं कराई है. पिछले साल नवंबर में इस ​सुरंग के ढहने से 41 मज़दूर फंस गए थे, जिन्हें 17 दिन बाद निकाला जा सकता था.

सिल्कयारा सुरंग के मुहाने पर बचावकर्मी. (फाइल फोटो: एक्स/@KirenRijiju)

एक आरटीआई के जवाब में पता चला है कि राष्ट्रीय राजमार्ग एवं अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड ने उत्तराखंड की सिल्कयारा सुरंग के निर्माण के लिए ज़िम्मेदार ठेकेदार के ख़िलाफ़ अब तक कोई एफ़आईआर दर्ज नहीं कराई है. पिछले साल नवंबर में इस ​सुरंग के ढहने से 41 मज़दूर फंस गए थे, जिन्हें 17 दिन बाद निकाला जा सकता था.

(फोटो साभार: ट्विटर/@jayanta_malla)

नई दिल्ली: पिछले साल नवंबर में उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में निर्माणाधीन सिल्कयारा सुरंग के अंदर फंसे 41 श्रमिकों की जान बचाने के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण अभियान में 17 दिन लग गए थे. सूचना के अधिकार (आरटीआई) के जवाब में पता चला है कि इस घटना के लगभग दो महीने बाद भी राष्ट्रीय राजमार्ग एवं अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड (एनएचआईडीसीएल) ने इसके निर्माण के लिए जिम्मेदार ठेकेदार के खिलाफ अब तक कोई एफआईआर दर्ज नहीं कराई है.

परियोजना के पर्यावरण प्रभाव मूल्यांकन (ईआईए) रिपोर्ट पर आधारित इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, अगर लागत और समय की चिंताओं के कारण निर्माण के दौरान एक अलग बचाव सुरंग (Escape Tunnel) बनाने के विकल्प को खारिज नहीं किया गया होता तो इस दुर्घटना से बचा जा सकता था.

एक वरिष्ठ परियोजना इंजीनियर ने अखबार को बताया था, ‘बाईं ओर एक एस्केप चैनल (बचाव सुरंग) बनाने के बजाय, हमने दोनों तरफ सिंगल-वे ट्रैफिक के लिए सुरंग के बीच में डिवाइडर लगा दिया था. इससे आने-जाने के लिए अधिक जगह बन गई और आमने-सामने की टक्कर का खतरा खत्म हो गया था.’

हालांकि, बचाव अभियान में शामिल एक सुरंग विशेषज्ञ ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया था कि सिल्कयारा सुरंग ढहने से ‘डिवाइडर की स्थिति’ को महत्वहीन बना दिया था और केवल एक अलग बचाव सुरंग ही मदद कर सकती थी.

31 दिसंबर 2023 को एक आरटीआई के जवाब में केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (एमआरटीएच) के तहत एनएचडीसीएल ने स्पष्ट रूप से कहा कि इस घटना के संबंध में ठेकेदार ‘नवयुग इंजीनियरिंग कंपनी लिमिटेड’ के खिलाफ अब तक कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई है.

एनएचआईडीसीएल (बारकोट) के महाप्रबंधक कर्नल प्रदीप पाटिल ने अमरावती (महाराष्ट्र) के आरटीआई आवेदक अजय बोस को बताया कि निकाय (एनएचआईडीसीएल) मंत्रालय द्वारा गठित एक समिति द्वारा की जा रही जांच के नतीजे का इंतजार कर रहा है.

इसके अनुसार, ‘समिति ने 13/12/2023 से (और) 15/12/2023 के बीच साइट का दौरा किया था और जांच का अंतिम परिणाम अभी तक प्रकाशित नहीं हुआ है.’

इंडियन एक्सप्रेस ने रिपोर्ट किया था कि सिल्कयारा सुरंग दुर्घटना के लगभग तीन महीने पहले अगस्त 2023 में महाराष्ट्र के ठाणे जिले में नागपुर-मुंबई समृद्धि एक्सप्रेसवे पर एक हादसे में 17 श्रमिकों और इंजीनियरों की जान चली गई थी. नवयुग इंजीनियरिंग कंपनी लिमिटेड इसका प्राथमिक ठेकेदार था. हालांकि इस मामले में केवल उप-ठेकेदार, जिसे ‘समृद्धि एक्सप्रेसवे के पैकेज 16 के निर्माण के लिए नियुक्त’ किया गया था, के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी.

सिल्कयारा सुरंग नरेंद्र मोदी सरकार की हर मौसम में चार धाम पहुंच सकने वाली महत्वाकांक्षी सड़क निर्माण परियोजना का हिस्सा है.

अर्द्धनिर्मित सिल्कयारा सुरंग 12 नवंबर 2023 से करीब 17 दिनों तक तब सुर्खियों में रही थी, जब सुरंग ढहने से 41 मजदूर मलबे के नीचे फंस गए थे.

28 नवंबर 2023 को उन्हें सुरंग से बाहर निकाले जाने के बाद केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा था कि सरकार सुरंग का सुरक्षा ऑडिट कराएगी.

दिसंबर महीने की एक रिपोर्ट के अनुसार, हालांकि कोई जांच रिपोर्ट तैयार नहीं हुई है, लेकिन सिल्कयारा सुरंग पर काम फिर से शुरू हो गया है. यह काम सुरंग के दूसरे छोर (बड़कोट की ओर) पर काम शुरू हुआ था.

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