मणिपुर के बिष्णुपुर ज़िले के एक गांव से बीते 10 जनवरी को मेईतेई समुदाय के चार लोगों के लापता हो गए थे. इनमें से तीन लोगों के शव मिलने के बाद चौथे व्यक्ति की तलाश की जा रही है. 3 मई 2023 को राज्य में मेईतेई और कुकी-ज़ो समुदायों के बीच जातीय हिंसा भड़कने के बाद से 200 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं.
नई दिल्ली: मणिपुर में जारी हिंसा के बीच बिष्णुपुर जिले के एक गांव से मेईतेई समुदाय के चार लोगों के लापता होने के एक दिन बाद गुरुवार (11 जनवरी) को पिता और पुत्र सहित तीन लोगों के शव बरामद किए गए.
चौथे लापता व्यक्ति दारा सिंह (55 वर्ष) का गुरुवार शाम कुछ पता नहीं चल सका था, सुरक्षा बल और पुलिस उनका पता लगाने के लिए अभियान चला रहे थे.
तीन मृतकों – इबोमचा सिंह (51 वर्ष), उनके बेटे आनंद सिंह (20 वर्ष) और उनके पड़ोसी रोमेन सिंह (38 वर्ष) के शवों को इंफाल के क्षेत्रीय आयुर्विज्ञान संस्थान भेज दिया गया है.
सभी चार लोग कुम्बी हाओतक गांव के निवासी थे, जो मेईतेई-प्रभुत्व वाले बिष्णुपुर जिले की कुकी-ज़ोमी-प्रभुत्व वाले चुराचांदपुर जिले की सीमा के करीब का क्षेत्र है.
पुलिस के मुताबिक, तीनों शव उनके गांव से करीब 2 किलोमीटर दूर तलहटी इलाके से बरामद किए गए. पुलिस ने मृतक को लगी चोटों की प्रकृति पर कोई टिप्पणी नहीं की.
स्थानीय लोगों के मुताबिक, चारों बुधवार (10 जनवरी) सुबह करीब 11 बजे पास की पहाड़ियों से जलाऊ लकड़ी इकट्ठा करने के लिए घर से निकले थे. बुधवार दोपहर को भी इस क्षेत्र में जिले की सीमाओं पर गोलीबारी हुई थी.
नागरिक समाज संगठन ‘कोऑर्डिनेटिंग कमेटी ऑन मणिपुर इंटिग्रिटी’ (सीओसीओएमआई) के एक वालंटियर रोमियो एनजी ने कहा, ‘मृतकों के घर सिर्फ 10-15 मीटर की दूरी पर हैं. ग्रामीणों का कहना है कि जलाऊ लकड़ी इकट्ठा करने के लिए बगल की पहाड़ियों पर जाना उनका रोजमर्रा का काम था, जहां वे आम तौर पर 20 से अधिक के समूह में जाते हैं, ये चारों अकेले गए थे. जब दोपहर में गोलीबारी शुरू हुई और चारों अंधेरे तक नहीं लौटे, तो लोगों को एहसास हुआ कि कुछ गड़बड़ है.’
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, अपने पति और बेटे की मौत के बारे में पता चलने पर इबोमचा की पत्नी थौडम बिचा ने सरकार को दोषी ठहराया और हत्यारों को पकड़ने और मुकदमा चलाने तक उनके शव लेने से इनकार कर दिया.
कुम्बी पुलिस स्टेशन के अंतर्गत आने वाले क्षेत्र के नाराज ग्रामीणों ने इस घटना पर निराशा व्यक्त की और इसे उनकी सुरक्षा करने में सरकार की विफलता करार दिया.
मणिपुर में उन क्षेत्रों की सीमाएं जहां दोनों परस्पर विरोधी समुदायों में से कोई एक बहुसंख्यक है, संघर्ष के सबसे उग्र स्थल रहे हैं. बिष्णुपुर की सीमा और चुराचांदपुर जिला ऐसा ही एक क्षेत्र रहा है.
मालूम हो कि 3 मई 2023 को मणिपुर में मेईतेई और कुकी-ज़ो समुदायों के बीच जातीय हिंसा भड़कने के बाद से पिछले 8 महीनों में अब तक 200 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं, सैंकड़ों की संख्या में लोग घायल हुए हैं और 60,000 लोग विस्थापित हुए हैं.
3 मई 2023 को बहुसंख्यक मेईतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) दर्जे की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बीच दोनों समुदायों के बीच यह हिंसा भड़की थी.
मणिपुर की आबादी में मेईतेई लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं, जबकि आदिवासी, जिनमें नगा और कुकी समुदाय शामिल हैं, 40 प्रतिशत हैं और ज्यादातर पहाड़ी जिलों में रहते हैं.