सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल दिसंबर में गैंगस्टर एक्ट मामले में बहुजन समाज पार्टी के सांसद अफ़ज़ल अंसारी की सज़ा को सशर्त निलंबित कर दिया था. लोकसभा सचिवालय ने एक सांसद के रूप में कुछ शर्तों के साथ अंसारी का दर्जा बहाल कर दिया है. वह सदन की कार्यवाही में भाग ले सकते हैं, लेकिन वोट नहीं डाल सकते या भत्ते प्राप्त नहीं कर सकते.
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट द्वारा गैंगस्टर एक्ट मामले में सजा को सशर्त निलंबित करने के बाद लोकसभा सचिवालय ने बीते गुरुवार (11 जनवरी) को बसपा सांसद अफजल अंसारी की अयोग्यता को रद्द कर दिया.
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल दिसंबर में अंसारी की सजा निलंबित करते हुए कहा था कि वह सदन की कार्यवाही में भाग ले सकते हैं, लेकिन वोट नहीं डाल सकते या भत्ते प्राप्त नहीं कर सकते.
एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, एक सांसद के रूप में अंसारी का दर्जा बहाल कर दिया गया है, लेकिन अधिकारों में कटौती के साथ. वह संसद के आगामी बजट सत्र में शामिल नहीं हो सकेंगे.
लोकसभा सचिवालय ने एक अधिसूचना में कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने लोकसभा में उत्तर प्रदेश की गाजीपुर सीट का प्रतिनिधित्व करने वाले अफजल अंसारी की सजा को कुछ शर्तों के अधीन निलंबित कर दिया है.
अधिसूचना में कहा गया, ‘भारत के उच्चतम न्यायालय के 14 दिसंबर 2023 के आदेश के मद्देनजर अफजल अंसारी की अयोग्यता (1 मई, 2023 को अधिसूचित) शीर्ष अदालत द्वारा लगाई गईं शर्तों के अनुरूप और आगे की न्यायिक घोषणा तक लागू नहीं होगी.’
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले महीने उत्तर प्रदेश गैंगस्टर्स और असामाजिक गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1986 के तहत 2007 के एक मामले में अंसारी की सजा को सशर्त रूप से निलंबित कर दिया था और कहा था कि उनका गाजीपुर निर्वाचन क्षेत्र विधायिका में अपने वैध प्रतिनिधित्व से वंचित रहेगा, क्योंकि वर्तमान लोकसभा के शेष कार्यकाल को देखते हुए चुनाव नहीं कराया जा सकता है.
जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने 2:1 के बहुमत के फैसले में निर्देश दिया था कि जन प्रतिनिधित्व अधिनियम (आरपीए) के प्रावधानों के संदर्भ में गाजीपुर संसदीय क्षेत्र को उपचुनाव के लिए अधिसूचित नहीं किया जाएगा. जब तक हाईकोर्ट दोषसिद्धि के खिलाफ अंसारी की अपील पर फैसला नहीं कर देता है.
बहुमत के फैसले में कहा गया था, ‘हालांकि, अपीलकर्ता (अंसारी) सदन की कार्यवाही में भाग लेने का हकदार नहीं होगा. उसे सदन में अपना वोट डालने या कोई भत्ता या मौद्रिक लाभ लेने का भी अधिकार नहीं होगा.’
पीठ ने कहा था कि हाईकोर्ट में आपराधिक अपील लंबित रहने के दौरान अंसारी को भविष्य में चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य नहीं ठहराया जाएगा और निर्वाचित होने पर ऐसा चुनाव अपील के नतीजे के अधीन होगा.
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पिछले साल 24 जुलाई को अंसारी की दोषसिद्धि को निलंबित करने से इनकार कर दिया था, लेकिन मामले में उन्हें जमानत दे दी थी.
उन्होंने एक विशेष एमपी/एमएलए अदालत के फैसले के खिलाफ अपील की थी, जिसने उन्हें चार साल की कैद की सजा सुनाई थी और 1 लाख रुपये का जुर्माना लगाया था.
अफजल अंसारी को 1 मई 2023 को लोकसभा से अयोग्य घोषित कर दिया गया था. वह उत्तर प्रदेश के गाजीपुर संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे थे.
नवंबर 2005 में भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की हत्या और जनवरी 1997 में विश्व हिंदू परिषद के नेता नंद किशोर रूंगटा के अपहरण और हत्या के मामले में अंसारी बंधुओं (मुख्तार और अफजाल अंसारी) के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट का मामला दर्ज किया गया था.