भाजपा प्रदेश इंचार्ज ने बताया पार्टी के कार्यक्रमों में जनजातीय वेशभूषा के साथ साड़ी पहनी भारत माता की तस्वीर भी रखी जाएगी क्योंकि त्रिपुरा में बड़ी संख्या में बंगाली भी हैं.
हर बार किसी भी चुनाव से पहले विभिन्न दलों द्वारा स्थानीयों को जोड़ने की कोशिशें तेज़ हो जाती हैं. लोगों से जुड़ाव कायम करने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपनाये जाते हैं.
भाजपा द्वारा की जा रही एक ऐसी ही कोशिश सामने आई है. आमतौर पर संघ और भाजपा द्वारा भारत माता के जिस स्वरूप को पूजा जाता है, वो एक साड़ी और मुकुट पहने, तिरंगा हाथ में लिए, शेर पर सवार महिला की छवि होती है, लेकिन त्रिपुरा में आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनज़र पार्टी द्वारा यह वेशभूषा बदल दी गयी है.
इंडियन एक्सप्रेस की ख़बर के अनुसार त्रिपुरा में भारत माता अब जनजातीय पोशाक में नज़र आएंगी.
त्रिपुरा में भाजपा इंचार्ज सुनील देवधर का कहना है, ‘इसके पीछे अलगाव कि उस भावना को दूर करने का विचार है जो ये लोग शेष भारत से महसूस करते हैं. वे भी भारत का हिस्सा हैं, भारत माता उनकी भी हैं. हर जनजाति की अपनी अलग संस्कृति, वेशभूषा है और हम बस उसे सम्मान देना चाहते हैं.
ऐसा बताया जा रहा है कि पार्टी उत्तर पूर्व की सभी जनजातियों के लिए उनकी वेशभूषा में भारत माता की तस्वीर लाएगी.
पहले दौर में पार्टी के कार्यक्रमों में भारत माता की तस्वीर 4 जनजातीय समुदायों, देबबर्मा, त्रिपुरी, रिआंग और चकमा के वेश में नज़र आएगी. ज्ञात हो कि ये चारों जनजातियां मिलकर राज्य की कुल जनजातीय आबादी का करीब 77.8 प्रतिशत हैं.
पार्टी के नेताओं का कहना है कि ऐसी युवा लड़कियां जो या तो भाजपा का समर्थन करती हैं या पार्टी की सदस्य हैं, उनकी संबंधित जनजाति की पारंपरिक पोशाक में तस्वीरें ली जा चुकी हैं.
सुनील का कहना है कि वे उत्तर पूर्व की 300 जनजातियों के लिए उनकी ‘अपनी’ भारत माता का स्वरूप लायेंगे. उन्होंने बताया, ‘आमतौर पर भाजपा के कार्यक्रमों में हम भारत माता, हमारे संस्थापक दीनदयाल उपाध्याय और श्यामा प्रसाद मुखर्जी की तस्वीरें रखते हैं. हम जनजातीय वेशभूषा वाली भारत माता के साथ साड़ी पहनी भारत माता की तस्वीर भी रखेंगे क्योंकि त्रिपुरा में बड़ी संख्या में बंगाली भी हैं.’
भाजपा के मुताबिक आगामी विधानसभा चुनाव में राज्य के पहाड़ी जनजातीय बहुल क्षेत्र सफलता की गारंटी जैसे हैं. ज्ञात हो कि बीते सितंबर में भाजपा द्वारा राज्य की दोनों बड़ी जनजातीय पार्टियों, इंडीजिनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) और इंडीजिनस नेशनलिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (आईएनपीटी) को नॉर्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक अलायन्स (नेडा) जॉइन करने का आमंत्रण दिया जा चुका है.
ये दोनों ही दल अलग राज्य की मांग कर रहे हैं और दशकों से सत्तारूढ़ माकपा के सामने विपक्ष की भूमिका निभा रहे हैं.
भाजपा के एक नेता ने इस अख़बार से बातचीत में बताया, ‘त्रिपुरा ट्राइबल एरियाज़ ऑटोनॉमस डिस्ट्रिक्ट काउंसिल के अंदर आने वाले जनजातीय इलाके पूरे राज्य के कुल क्षेत्र का 68 प्रतिशत हैं. जनजातीय आबादी कुल जनसंख्या का एक तिहाई हिस्सा है, जिनमें से 80 फीसदी इसी क्षेत्र में रहते हैं. राज्य में जीत हासिल करने के लिए इनका समर्थन बेहद ज़रूरी है.’