असम कांग्रेस ने 2021 विधानसभा चुनाव का ‘महत्वपूर्ण डेटा’ छिपाने के लिए चुनाव आयोग को पत्र लिखा

असम कांग्रेस ने चुनाव आयोग को लिखे पत्र में यह बताए जाने की मांग की है कि पिछले विधानसभा चुनाव के फॉर्म-20 या अंतिम परिणाम पत्र में ऐसे बदलाव क्यों किए गए हैं, जिनमें मतदान केंद्रों के नाम और उन राजनीतिक दलों के नाम नहीं बताए गए हैं, जिनके उम्मीदवार चुनावी मैदान में थे. पार्टी ने चुनाव आयोग द्वारा ऐसी जानकारी को हटाने पर सवाल उठाए हैं.

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गुवाहाटी में बीते 12 जनवरी को संवाददाता सम्मेलन के दौरान असम कांग्रेस की उपाध्यक्ष बबीता शर्मा और अन्य पार्टी नेता. (फोटो: स्पेशल अरेंजमेंट)

असम कांग्रेस ने चुनाव आयोग को लिखे पत्र में यह बताए जाने की मांग की है कि पिछले विधानसभा चुनाव के फॉर्म-20 या अंतिम परिणाम पत्र में ऐसे बदलाव क्यों किए गए हैं, जिनमें मतदान केंद्रों के नाम और उन राजनीतिक दलों के नाम नहीं बताए गए हैं, जिनके उम्मीदवार चुनावी मैदान में थे. पार्टी ने चुनाव आयोग द्वारा ऐसी जानकारी को हटाने पर सवाल उठाए हैं.

गुवाहाटी में शुक्रवार (12 जनवरी) को एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान असम प्रदेश कांग्रेस कमेटी की उपाध्यक्ष व वरिष्ठ प्रवक्ता बोबीता शर्मा और अन्य पार्टी नेता. (फोटो: स्पेशल अरेंजमेंट)

नई दिल्ली: असम प्रदेश कांग्रेस समिति (एपीसीसी) ने बीते शुक्रवार (12 जनवरी) को भारतीय चुनाव आयोग को पत्र लिखकर इस बात का ‘जवाब’ मांगा है कि इस उत्तर-पूर्वी राज्य में हुए पिछले विधानसभा चुनाव के फॉर्म-20 या अंतिम परिणाम शीट, में बदलाव क्यों किए गए.

पूर्व के चुनावों के विपरीत चुनाव आयोग द्वारा सार्वजनिक 2021 के विधानसभा चुनावों के फॉर्म-20 में मतदान केंद्रों के नाम और उन राजनीतिक दलों के भी नाम शामिल नहीं थे, जिनके उम्मीदवार चुनावी मैदान में थे.

शुक्रवार को गुवाहाटी में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में असम कांग्रेस की उपाध्यक्ष और वरिष्ठ प्रवक्ता बबीता शर्मा ने कहा कि आयोग द्वारा ऐसी जानकारी को हटाने के ‘कई आयाम’ हो सकते हैं.

शर्मा ने कहा, ‘सरकार के पास ऐसे महत्वपूर्ण डेटा तक पहुंच होगी और इस तरह सत्तारूढ़ दल की भी उस तक पहुंच होगी, जबकि कोई भी विपक्षी दल या स्वतंत्र शोधकर्ता इस तक पहुंच नहीं बना सकता है. बूथ-वार और पार्टी-वार डेटा तक पहुंच होने से किसी भी पार्टी या शोधकर्ता को किसी विशेष मतदान केंद्र में एक पार्टी/उम्मीदवार के प्रदर्शन की सूक्ष्म-स्तरीय समझ प्राप्त करने में मदद मिल सकती है. अगर सरकार में शामिल लोगों की ही इस तक पहुंच हो सकती है तो यह चुनाव को अनुचित बनाता है, क्योंकि विश्लेषण करने का समान अवसर हाथ से निकल जाता है.’

उन्होंने रेखांकित किया, ‘मतदाताओं के व्यवहार या ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) की खराबी का कोई भी विश्लेषण करने के लिए, दीर्घकालिक विशिष्ट बूथ-वार डेटा की आवश्यकता होती है. एक बार जब बूथ की पहचान खो जाती है, तो किसी विशेष बूथ पर मतदान का ऐसा विश्लेषण करना लगभग असंभव हो जाता है.’

प्रेस वार्ता में असम कांग्रेस के मीडिया सह-अध्यक्ष बेदब्रत बोरा और महासचिव (मीडिया) नेत्रराजन चौधरी जैसे नेताओं ने पूछा कि अगर किसी विशेष मतदान केंद्र पर ईवीएम की खराबी की खबरें हैं और लोगों को चुनाव परिणाम पर संदेह है, तो वे सार्वजनिक डोमेन में स्पष्ट मतदान केंद्र के नाम-वार डेटा की उपलब्धता के बिना इसे स्वयं कैसे सत्यापित कर सकते हैं.

कांग्रेस नेताओं ने कहा कि 2021 के विधानसभा चुनावों के बाद से आयोग ने केवल उम्मीदवारों के नाम और बूथ नंबर ही सार्वजनिक डोमेन में डाले हैं.

2019 विधानसभा चुनाव परिणाम के फॉर्म 20 का एक नमूना.
2021 विधानसभा चुनाव का फॉर्म 20.

द वायर से बात करते हुए असम कांग्रेस की उपाध्यक्ष बबीता शर्मा ने कहा कि आयोग की वेबसाइट जांचने पर 2021 के केरल विधानसभा चुनाव, 2022 के गोवा और पंजाब चुनाव और 2023 के कर्नाटक चुनाव के फॉर्म-20 में उन्होंने पाया कि इनमें भी मतदान केंद्रों के नाम और उम्मीदवारों की राजनीतिक संबद्धता छिपा ली गई थी.

शर्मा ने कहा, ‘चूंकि यह प्रथा अचानक बंद कर दी गई है, इसलिए हमने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर यह पूछने का फैसला किया कि वह जनता से इतनी महत्वपूर्ण जानकारी क्यों छिपा रहा है, वो क्या है जिसने उसे ऐसा करने के लिए मजबूर किया और मतदान केंद्रों के नाम उजागर न करने से किसे फायदा है.’

एक प्रेस विज्ञप्ति में असम कांग्रेस ने कहा, ‘चुनाव आयोग को यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि 2024 के आगामी लोकचुभा चुनावों में फॉर्म-20 चुनाव परिणाम पोलिंग बूथ नंबरों के साथ-साथ उनके नामों और उम्मीदवारों के नामों के साथ प्रकाशित किए जाएंगे, जैसा कि पहले चलन था.’

शर्मा ने द वायर को बताया कि पत्र की एक प्रति पहले ही नई दिल्ली में आयोग के मुख्यालय को भेजी जा चुकी है.

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