पूर्व सेना प्रमुख की किताब के ऑर्डर अमेज़ॉन ने रद्द किए, मई से पहले नहीं होगी प्रकाशित

पूर्व सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे की किताब ‘फोर स्टार्स ऑफ डेस्टिनी’ 15 जनवरी को रिलीज़ होने वाली थी, लेकिन अब अमेज़ॉन वेबसाइट पर इसकी रिलीज़ की तारीख़ 30 अप्रैल के आसपास दिखाई दे रही है. ‘द वायर’ को पता चला है कि इस किताब में कई ख़ुलासे शामिल हैं, इसलिए इसकी समीक्षा रक्षा और विदेश मंत्रालय द्वारा की जा रही है.

जनरल मनोज नरवणे की किताब का कवर. (फोटो साभार: amazon.in)

पूर्व सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे की किताब ‘फोर स्टार्स ऑफ डेस्टिनी’ 15 जनवरी को रिलीज़ होने वाली थी, लेकिन अब अमेज़ॉन वेबसाइट पर इसकी रिलीज़ की तारीख़ 30 अप्रैल के आसपास दिखाई दे रही है. ‘द वायर’ को पता चला है कि इस किताब में कई ख़ुलासे शामिल हैं, इसलिए इसकी समीक्षा रक्षा और विदेश मंत्रालय द्वारा की जा रही है.

जनरल मनोज नरवणे की किताब का कवर. (फोटो साभार: amazon.in)

नई दिल्ली: ऑनलाइन शॉपिंग स्टोर अमेज़ॉन इंडिया ने पूर्व सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे की जीवनी (संस्मरण) ‘फोर स्टार्स ऑफ डेस्टिनी’, जो कि अभी तक रिलीज नहीं हुई है, के प्री-बुकिंग ऑर्डर रद्द कर दिए हैं.

यह किताब पहले 15 जनवरी (जो कि सेना दिवस होता है) को रिलीज होने वाली थी. नरवणे की किताब की डिलीवरी की तारीख अब 30 अप्रैल के आसपास दिखाई जा रही है.

द वायर को पता चला है कि यह किताब केंद्रीय रक्षा मंत्रालय और केंद्रीय विदेश मंत्रालय से ‘मंजूरी मिलने के इंतजार में’ है.

आगामी संस्मरण में कई रहस्योद्घाटन शामिल हैं, जिनमें पूर्व सेना प्रमुख नरवणे विस्तार से बता रहे हैं कि कैसे उन्हें अगस्त 2020 में चीनी सेना की मूवमेंट से निपटने वाली कठिन परिस्थितियां सौंपी गई थीं और कैसे अग्निपथ योजना ने सशस्त्र बलों को आश्चर्य में डाल दिया था. यह किताब इससे पहले पिछले महीने रिलीज की जानी थी.

वर्तमान सेनाध्यक्ष मनोज पांडे ने इस सप्ताह अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में अग्निवार के बारे में सेना के भीतर व्याप्त असहजता को तब उजागर कर दिया था, जब उन्होंने विवादास्पद चार वर्षीय योजना पर अपने पूर्ववर्ती नरवणे की टिप्पणियों पर कुछ भी कहने से इनकार कर दिया.

द हिंदू के मुताबिक उन्होंने कहा, ‘मेरे लिए उस बारे में कुछ भी कहना अनुचित होगा. यहां से, हमें आगे बढ़ने की जरूरत है.’

उन्होंने योजना पर बात करते हुए कहा, ‘जैसा कि मैंने कहा, इकाइयों में अग्निवीरों की स्वीकार्यता, सकारात्मकता और एकीकरण अच्छा हो रहा है. प्रशिक्षण के संदर्भ में कुछ चुनौतियां हैं, जिनमें से अधिकांश सामरिक स्तर पर हैं.’

लेकिन अग्निवीर के कारण सशस्त्र बलों के भीतर एक बहस छिड़ गई और यह ऐसा कुछ नहीं था, जिसका पूर्व चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ दिवंगत जनरल रावत ने समर्थन किया हो.

ऐसी चर्चा थी कि सशस्त्र बल पिछले साल अग्निवीर की 50 फीसदी भर्तियों को स्थायी रूप से शामिल करने पर जोर दे रहे थे, लेकिन विश्लेषकों का कहना है कि राजनीतिक प्रतिष्ठान इस पर सहमत नहीं हुए थे, क्योंकि इसका मतलब होता कि उन्हें अपनी घोषणा से पीछे हटना पड़ता.

दिसंबर 2023 में समाचार एजेंसी पीटीआई ने भी पुस्तक के अंशों पर आधारित रिपोर्ट प्रकाशित की थीं.

सूत्रों ने द वायर को बताया कि पुस्तक के अध्यायों की समीक्षा विदेश मंत्रालय द्वारा की जा रही है, जबकि कुछ अध्यायों की समीक्षा रक्षा मंत्रालय द्वारा की जा रही है.

पीटीआई द्वारा प्रकाशित अंशों के अनुसार, नरवणे ने लिखा है कि जब उन्हें पहली बार ‘टूर ऑफ ड्यूटी’ योजना के बारे में बताया गया, तो ‘यह सैनिक स्तर पर एक लघु-सेवा (शॉर्ट-सर्विस) विकल्प की तर्ज पर था.’

जिन ग्राहकों ने अमेज़ॉन से किताब का प्री-ऑर्डर किया था, उन्हें अब यह देखने मिल रहा है.

वह लिखते हैं, ‘हालांकि, प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) इस प्रस्ताव पर विचार कर रहा था, लेकिन बहुत व्यापक दायरे और प्रयोज्यता के साथ. पीएमओ के फॉर्मूले में न केवल वर्ष की पूरी सेवा अल्प-सेवा आधारित होना चाहिए, बल्कि यह तीनों सेवाओं पर भी लागू होगा.’

उन्होंने लिखा, ‘त्रि-सेवा मामला बन जाने के बाद अब प्रस्ताव को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी सीडीएस जनरल बिपिन रावत पर आ गई थी, हालांकि सेना प्रमुख सेवा बनी रही.’

उन्होंने किताब में लिखा, ‘हम सेना में घटनाओं के इस क्रम से आश्चर्यचकित रह गए, लेकिन नौसेना और वायुसेना के लिए यह चौंकाने वाला था.’

द वायर को पता चला है कि रक्षा मंत्रालय द्वारा किताब में अग्निपथ योजना के खुलासे से संबंधित हिस्सों की समीक्षा की जा रही है.

अग्निवीर योजना के अंश जारी होने के बाद कांग्रेस, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार पर हमलावर हो गई थी.

पार्टी की ओर से कहा गया था, ‘पूर्व सेना प्रमुख जनरल नरवणे ने अपने संस्मरणों में खुलासा किया है कि अग्निपथ/अग्निवीर योजना सेना, वायुसेना और नौसेना के प्रमुखों के लिए पूरी तरह से आश्चर्यचकित करने वाली थी. इस योजना के ऐलान से वे चौंक गए थे. उन्होंने उस बात की पुष्टि कर दी है जो आम तौर पर लोग मान रहे थे कि अग्निपथ/अग्निवीर योजना को उन लोगों के साथ सार्थक विचार-विमर्श के बिना लाया गया था जो इस विनाशकारी नीति से सीधे तौर पर प्रभावित होने वाले थे.’

पीटीआई द्वारा प्रकाशित अंशों के अनुसार, आगामी पुस्तक में अन्य खुलासों में नरवणे 31 अगस्त 2020 के बारे में बता रहे हैं, जब पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर रेचिन ला पर्वत दर्रे में चीनी सेना (पीएलए) के टैंक और जवानों की आमद से तनावपूर्ण स्थिति पैदा हो गई थी.

पीटीआई के मुताबिक, अपने संस्मरण में उन्होंने कहा, ‘मैंने रक्षा मंत्री को स्थिति की गंभीरता से अवगत कराया, जिन्होंने कहा कि वह मुझसे संपर्क करेंगे, जो उन्होंने लगभग रात 10:30 बजे किया. रक्षा मंत्री ने कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री से बात की थी और यह पूरी तरह से एक सैन्य निर्णय है. जो उचित समझो वो करो.’

संस्मरण में जनरल नरवणे ने लिखा है, ‘मुझे एक कठिन काम सौंप दिया गया था. इस पूर्ण स्वतंत्रता के साथ, भार पूरी तरह से मेरे कंधों पर था. मैंने एक गहरी सांस ली और कुछ मिनट तक चुपचाप बैठा रहा.’

इस महीने की शुरुआत में जनरल नरवणे से जब किताब की अंतिम रिलीज की तारीख के बारे में पूछा गया तो उन्होंने द वायर को बताया था कि हमें ‘प्रकाशकों से पूछना’ चाहिए.

पेंगुइन रैंडम हाउस इंडिया की प्रकाशक माइली ऐश्वर्या ने एक ईमेल में द वायर को बताया, ‘हम गुणवत्तापूर्ण सामग्री सुनिश्चित करने के लिए अपनी सभी पुस्तकों की सावधानीपूर्वक समीक्षा करते हैं और यह प्रक्रिया प्रकाशन समयसीमा को प्रभावित कर सकती है. इस संपादकीय प्रक्रिया के हिस्से के रूप में हम 2024 में जनरल एमएम नरवणे की पुस्तक प्रकाशित करने वाले हैं और हम उस समयसीमा को पूरा करने की दिशा में काम कर रहे हैं.’

जनरल नरवणे 30 अप्रैल 2022 को सेना प्रमुख के पद से सेवानिवृत्त हुए थे और तब से उन्होंने पटियाला के पंजाबी विश्वविद्यालय से रक्षा और रणनीतिक अध्ययन में पीएचडी पूरी की है.

इस रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.