शायर मुनव्वर राना लंबे समय से गले के कैंसर से पीड़ित थे. लखनऊ स्थित संजय गांधी पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज़ में उनका निधन हुआ. उनके परिजनों ने बताया कि बीमारी के कारण वह 14 से 15 दिनों तक अस्पताल में भर्ती थे. देश में बढ़ती असहिष्णुता के विरोध में अक्टूबर 2015 में उन्होंने अपना साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटा दिया था.
नई दिल्ली: मशहूर शायर मुनव्वर राना का रविवार (14 जनवरी) देर रात उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ स्थित संजय गांधी पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (एसजीपीजीआई) में निधन हो गया. वह 71 वर्ष के थे.
वह लंबे समय से गले के कैंसर से पीड़ित थे.
एनडीटीवी की एक रिपोर्ट के अनुसार, मुनव्वर राना की बेटी सुमैया राना ने बताया कि उनके पिता का रविवार देर रात अस्पताल में निधन हो गया. सोमवार को उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा.
उनके परिवार में उनकी पत्नी, चार बेटियां और एक बेटा हैं.
मुनव्वर राना के बेटे तबरेज राना ने बताया, ‘बीमारी के कारण वह 14 से 15 दिनों तक अस्पताल में भर्ती थे. उन्हें पहले लखनऊ के मेदांता और फिर एसजीपीजीआई में भर्ती कराया गया, जहां उन्होंने रविवार रात करीब 11 बजे अंतिम सांस ली.’
मुनव्वर राना की कविता ‘मां’, जो उनकी सबसे प्रसिद्ध कविताओं में से एक मानी जाती है, उर्दू साहित्य की दुनिया में एक अलग स्थान रखती है.
मुनव्वर राना का जन्म उत्तर प्रदेश के रायबरेली में 26 नवंबर 1952 को हुआ था. वह उर्दू के अलावा हिंदी और अवधी भाषाओं में लिखते थे. देश में बढ़ती असहिष्णुता के विरोध में अक्टूबर 2015 में उन्होंने अपना साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटा दिया था.
उन्हें 2014 में ‘शाहदाबा’ के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला था.
मालूम हो कि उस समय उत्तर प्रदेश दादरी में मोहम्मद अखलाक की पीट-पीटकर हत्या, उससे पहले तर्कवादी और अंधविश्वास विरोधी कार्यकर्ता गोविंद पानसरे और कन्नड़ लेखक तथा तर्कवादी एमएम कलबुर्गी की हत्या के प्रतीकात्मक विरोध के तौर पर अवॉर्ड लौटाने का यह सिलसिला शुरू हुआ था. अवॉर्ड लौटाने वाले अन्य लेखकों में उदय प्रकाश, नयनतारा सहगल, काशीनाथ सिंह, मंगलेश डबराल, राजेश जोशी और अशोक वाजपेयी भी शामिल थे.
साल 2021 में तालिबान की तुलना हिंदू धर्मग्रंथ रामायण के रचयिता महर्षि वाल्मीकि से करने के आरोप में लखनऊ की हजरतगंज कोतवाली पुलिस ने मुनव्वर राना के खिलाफ केस दर्ज किया था.
उनके खिलाफ नवंबर 2020 में भी हजरतगंज पुलिस स्टेशन में इसी तरह के आरोपों में एक एफआईआर दर्ज की गई थी, जिसमें उन्होंने पैगंबर मुहम्मद के कार्टून पर मचे विवाद पर फ्रांस में हुईं हत्याओं का बचाव किया था.