हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यात्रा और उसके बाद मालदीव के साथ हुए राजनयिक विवाद के बाद लक्षद्वीप काफी चर्चा में है. हालांकि, स्थानीय सांसद मोहम्मद फैज़ल ने कहा कि यह द्वीप बहुत संवेदनशील और पारिस्थितिक रूप से नाज़ुक है. उन्होंने कहा कि इसे देखते हुए पर्यटकों की आमद को नियंत्रित करना होगा.
नई दिल्ली: पर्यटन को लेकर मालदीव के साथ गतिरोध के बीच भारतीय सोशल मीडिया पर ‘चलो लक्षद्वीप’ का आह्वान सीधी उड़ानों की कमी और होटल की सीमित संख्या सहित कई बाधाओं के कारण शायद जमीन पर उतर नहीं पाए.
यह बात लक्षद्वीप से सांसद मोहम्मद फैजल ने कही हैं.
एनडीटीवी से बातचीत में उन्होंने कहा कि अगर ऐसा होता भी है, तो इस द्वीप की नाजुक पारिस्थितिकी को ध्यान में रखते हुए पर्यटकों की आमद को नियंत्रित करना होगा, जिसे एक नियम पुस्तिका द्वारा समर्थित किया गया है, जिसमें यह बताया गया है कि द्वीप पर प्रत्येक दिन कितने पर्यटक आ सकते हैं.
फैजल ने कहा, ‘लक्षद्वीप मूंगे से बना और बहुत संवेदनशील और पारिस्थितिक रूप से बहुत नाजुक है.’
उन्होंने बताया कि यही कारण है कि,सर्वोच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त जस्टिस रवींद्रन आयोग एक ‘एकीकृत द्वीप प्रबंधन योजना’ लेकर आया है. यह ‘विकास के लिए बाइबिल की तरह’ है, जिसकी सलाह सड़कों, घाटों या अन्य बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को शुरू करने से पहले ली जाती है.
उन्होंने कहा कि आयोग की यह ‘व्यापक रूप से स्वीकृत’ योजना द्वीपों की ‘वहन क्षमता’ और उनमें आने वाले पर्यटकों की संख्या का भी सुझाव देती है.
उन्होंने कहा कि इसे देखते हुए लक्षद्वीप इस समय ‘उच्च-स्तरीय नियंत्रित पर्यटन’ पर ध्यान दे रहा है, जहां केंद्र शासित प्रदेश अत्यधिक नियंत्रित पर्यटन से अधिकतम राजस्व जुटाने की योजना बना रहा है. उन्होंने कहा कि आने वाले पर्यटकों को ‘पर्यावरण के प्रति सहमति’ भी देनी होगी.
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, पर्यटन उद्योग के अधिकारियों के अनुसार, सोशल मीडिया पर बढ़ते ध्यान के बावजूद प्रत्यक्ष कनेक्टिविटी की कमी, सीमित होटल आवास और पर्यटक सुविधाएं लक्षद्वीप के संभावित आगंतुकों को हतोत्साहित कर सकती हैं.
फिलहाल, लक्षद्वीप अगत्ती द्वीप के लिए दैनिक उड़ान वाला एकमात्र ऑपरेटर ‘एलायंस एयर’ है, जो केवल छोटे विमानों को ही समायोजित कर सकता है.
रिपोर्ट के अनुसार, लक्षद्वीप के 36 द्वीपों में से केवल 10 पर ही लोग रहते हैं. वर्तमान में लक्षद्वीप की केवल 8-10 प्रतिशत आबादी ही पर्यटन पर निर्भर है. यह अब तक कई लोगों की घूमने वाली सूची में नहीं था, लेकिन मालदीव के साथ विवाद के कारण सोशल मीडिया पर कई लोग घोषणा कर रहे हैं कि लक्षद्वीप घूमने के लिए उनका अगला गंतव्य होगा.
राजनयिक विवाद तब शुरू हुआ, जब बीते 4 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लक्षद्वीप यात्रा के बारे में व्यापक रूप से प्रसारित पोस्ट के बाद मालदीव के कुछ मंत्रियों ने उनके खिलाफ अपमानजनक टिप्पणियां की थीं.
इसके बाद मालदीव के तीन मंत्रियों को निलंबित कर दिया गया. हालांकि इस घटनाक्रम से राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू के नेतृत्व में चीन के साथ मालदीव के संबंधों को नई मजबूती मिली.
मालदीव के राष्ट्रपति मुइज्जू ने अब भारत को इस देशे से अपने सैनिकों को वापस बुलाने के लिए 15 मार्च की समय सीमा दी है.
कूटनीतिक विवाद के बीच भारत पर स्पष्ट रूप से कटाक्ष करते हुए मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने बीते 13 जनवरी को कहा था कि उनका देश छोटा हो सकता है, लेकिन यह ‘उन्हें हमें डराने-धमकाने का लाइसेंस नहीं देता’. उन्होंने चीन की अपनी पहली पांच दिवसीय राजकीय यात्रा पूरी करने के बाद यह बयान दिया था.