उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में अपने जन्मदिन पर एक प्रेस वार्ता के दौरान राजनीति से संन्यास लेने की ख़बरों को भी बसपा प्रमुख मायावती ने सिरे से ख़ारिज कर दिया. उन्होंने कहा कि आकाश आनंद को अपना उत्तराधिकारी घोषित करने के बाद उनके संन्यास की अटकलें लगाई जा रही थीं, लेकिन वह पार्टी को मज़बूत करने की दिशा में काम करना जारी रखेंगी.
नई दिल्ली: बसपा सुप्रीमो मायावती ने सोमवार (15 जनवरी) को अपने जन्मदिन पर कहा कि उनकी पार्टी आगामी लोकसभा चुनाव अकेले लड़ेगी, लेकिन उन्होंने चुनाव बाद गठबंधन से इनकार नहीं किया है.
उन्होंने कहा कि पार्टी अप्रैल-मई में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए कोई गठबंधन नहीं करेगी और अकेले चुनाव लड़ेगी. उन्होंने कहा कि पार्टी चुनाव के बाद की स्थिति का आकलन करने के बाद किसी भी दल के साथ गठबंधन करने पर विचार करेगी.
इस दौरान उन्होंने मीडिया के एक वर्ग में उनके राजनीति से संन्यास लेने की खबरों को सिरे से खारिज कर दिया.
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ स्थित राज्य पार्टी कार्यालय में पत्रकारों से बात करते हुए मायावती ने कहा, ‘पिछले महीने मैंने आकाश आनंद को अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी घोषित किया था, जिसके बाद मीडिया में यह अटकलें लगाई जा रही थीं कि मैं जल्द ही राजनीति से संन्यास ले सकती हूं. हालांकि, मैं स्पष्ट करना चाहती हूं कि ऐसा नहीं है और मैं पार्टी को मजबूत करने की दिशा में काम करना जारी रखूंगी.’
— Mayawati (@Mayawati) January 15, 2024
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, मायावती ने कहा, ‘गठबंधन से हमें अधिक नुकसान होता है. इसी वजह से देश की ज्यादातर पार्टियां बसपा के साथ गठबंधन करना चाहती हैं. चुनाव के बाद गठबंधन पर विचार किया जा सकता है. अगर संभव हुआ तो चुनाव के बाद बसपा अपना समर्थन दे सकती है, लेकिन हमारी पार्टी अकेले लोकसभा का चुनाव लड़ेगी.’
उन्होंने कहा, ‘पिछड़े समुदायों, दलितों, आदिवासियों और मुसलमानों के समर्थन से हमने 2007 में यूपी में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई थी और इसीलिए हमने अकेले लोकसभा चुनाव लड़ने का फैसला किया है. हम उन लोगों से दूरी बनाए रखेंगे, जो जातिवादी हैं और सांप्रदायिकता में विश्वास करते हैं. हम बसपा को अनुकूल फैसला दिलाने में मदद करने के लिए पूरी ताकत से काम करेंगे.’
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने पिछला लोकसभा चुनाव 2019 में समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन करके लड़ा था.
1990-2000 के दौरान बसपा उत्तर प्रदेश में एक प्रमुख राजनीतिक ताकत थी. हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में इसमें धीरे-धीरे गिरावट देखी गई. 2022 के विधानसभा चुनाव में पार्टी को केवल 12.8 प्रतिशत वोट मिले, जो तीन दशकों में सबसे कम है.
मालूम हो कि दिसंबर 2023 में मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद को अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी नियुक्त किया था. साल 2019 में मायावती के लोकसभा चुनाव अभियान के दौरान एक प्रमुख चेहरा रहे आकाश पार्टी के राष्ट्रीय समन्वयक हैं.
आकाश को उत्तर प्रदेश तथा उत्तराखंड के अलावा अन्य राज्यों में पार्टी को मजबूत करने की जिम्मेदारी दी थी. मायावती ने कहा था कि वह यूपी और उत्तराखंड में पार्टी का नेतृत्व करती रहेंगी और आकाश अन्य राज्यों में पार्टी का नेतृत्व करेंगे.
अगस्त 2023 में भी बसपा ने उत्तर प्रदेश में अपने दम पर आगामी लोकसभा चुनाव लड़ने का फैसला किया था. उसके अनुसार, पिछले अनुभव से पता चला था कि गठबंधन में प्रवेश करने से उसे कुछ हासिल नहीं होता है.
एक बयान में मायावती के हवाले से कहा गया था, ‘बसपा को यूपी में गठबंधन करने से फायदे से ज्यादा नुकसान उठाना पड़ा, क्योंकि उसके वोट स्पष्ट रूप से गठबंधन सहयोगी को मिलते हैं, लेकिन अन्य दलों के पास हमारे उम्मीदवार को अपना वोट ट्रांसफर कराने की सही मंशा या क्षमता नहीं होती.’