राजनयिक विवाद के चलते कनाडा में भारतीय छात्रों के स्टडी परमिट में गिरावट आई: कनाडाई मंत्री

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 2023 की चौथी तिमाही में भारतीयों को जारी किए गए स्टडी परमिट में पिछली तिमाही की तुलना में 86% की गिरावट आई थी. कनाडा के इमिग्रेशन मंत्री के मार्क मिलर ने कहा कि भारत के कनाडाई राजनयिकों को बाहर करने के चलते परमिट प्रक्रिया ख़ासी प्रभावित हुई है.

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(प्रतीकात्मक फोटो: कनाडाई और भारतीय ध्वज)

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 2023 की चौथी तिमाही में भारतीयों को जारी किए गए स्टडी परमिट में पिछली तिमाही की तुलना में 86% की गिरावट आई थी. कनाडा के इमिग्रेशन मंत्री के मार्क मिलर ने कहा कि भारत के कनाडाई राजनयिकों को बाहर करने के चलते परमिट प्रक्रिया ख़ासी प्रभावित हुई है.

(प्रतीकात्मक फोटो: कनाडाई और भारतीय ध्वज)

नई दिल्ली: कनाडा के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि भारतीय छात्रों को कनाडा द्वारा जारी किए गए अध्ययन परमिट की संख्या में पिछले साल के अंत में तेजी से गिरावट आई, जब भारत ने परमिट की प्रक्रिया करने वाले कनाडाई राजनयिकों को बाहर कर दिया और कनाडा में एक सिख अलगाववादी नेता की हत्या पर राजनयिक विवाद के कारण कम भारतीय छात्रों ने आवेदन किया.

द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, आप्रवासन (इमिग्रेशन) मंत्री मार्क मिलर ने एक साक्षात्कार में कहा कि उनका मानना है कि भारतीयों के लिए अध्ययन परमिट की संख्या जल्द ही बढ़ने की संभावना नहीं है.

ज्ञात हो कि जून 2023  में कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के यह कहने के बाद राजनयिक तनाव पैदा हो गया कि ब्रिटिश कोलंबिया में हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत के सरकारी एजेंटों के शामिल होने के सबूत हैं.

मिलर ने कहा कि तनाव का असर छात्रों संख्या पर पड़ने की संभावना है. मिलर ने कहा, ‘भारत के साथ हमारे संबंधों ने वास्तव में भारत से कई आवेदनों को प्रोसेस करने की हमारी क्षमता को आधा कर दिया है.’

मालूम हो कि कनाडा सरकार ने भारत सरकार के एजेंटों पर 18 जून को कनाडाई नागरिक हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में शामिल होने का आरोप लगाया है, जिसे भारत ने आतंकवादी घोषित किया था. आरोपों के जवाब में भारत ने कनाडाई नागरिकों के लिए सभी वीज़ा सेवाएं बंद कर दी थीं और राजनयिक प्रतिनिधित्व में समानता की मांग की थी, जिसके कारण कनाडा को अपने 41 राजनयिकों को वापस बुलाना पड़ा था.

पहले सामने न आए आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, इसके कारण पिछले वर्ष की चौथी तिमाही में भारतीयों को जारी किए गए अध्ययन परमिट में पिछली तिमाही की तुलना में 86% की गिरावट आई, जो 108,940 से घटकर 14,910 रह गए.

इसके अलावा मंत्री के एक प्रवक्ता ने कहा कि इस विवाद ने भारतीय छात्रों को दूसरे देशों में पढ़ने के लिए प्रेरित किया है.

ओटावा में भारतीय उच्चायोग के परामर्शदाता सी. गुरुस उब्रमण्यम ने कहा कि कुछ भारतीय अंतरराष्ट्रीय छात्र कुछ कनाडाई संस्थानों में हाल ही में आवासीय और पर्याप्त शिक्षण सुविधाओं की कमी के संबंध में चिंताओं के कारण कनाडा के अलावा अन्य विकल्पों पर विचार कर रहे थे.

हाल के वर्षों में भारतीयों ने कनाडा में अंतरराष्ट्रीय छात्रों का सबसे बड़ा समूह बनाया है, 2022 में 41% से अधिक – या 225,835 – सभी परमिट उन्हें मिले थे.

मिलर ने कहा, ‘मैं आपको यह नहीं बता सकता कि राजनयिक संबंध कैसे आगे बढ़ेंगे, खासकर तब अगर पुलिस कोई आरोप तय करती है. यह ऐसा कुछ नहीं है जहां मुझे कोई उम्मीद दिखाई दे रही हो.’

कनाडाई विश्वविद्यालयों के लिए अंतरराष्ट्रीय छात्र सालाना लगभग 22 बिलियन कनाडाई डॉलर (16.4 बिलियन डॉलर) लाते हैं और इस गिरावट से संस्थानों को झटका लगेगा.

जून में कनाडा के लगाए आरोपों को भारत ने ख़ारिज कर दिया था. हालांकि, कनाडाई अधिकारियों ने भी अभी तक हत्या के लिए किसी पर आरोप तय नहीं किया है.

कनाडा अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए एक लोकप्रिय जगह है क्योंकि यहां कोर्स ख़त्म करने के बाद वर्क परमिट पाना अपेक्षाकृत आसान है.

2023 में कनाडा सरकार ने अनुमान लगाया था कि उस वर्ष लगभग 9,00,000 अंतरराष्ट्रीय छात्र कनाडा में अध्ययन कर रहे थे, जो एक दशक पहले की तुलना में लगभग तीन गुना अधिक थे.

मिलर ने कहा कि उनमें से 40% छात्र – या लगभग 360,000 – भारतीय थे. भारतीय छात्रों को दिए जाने वाले परमिट की संख्या में पिछले साल 4% की गिरावट आई, लेकिन वे सबसे बड़ा समूह बने रहे हैं.