इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय प्रबंधन संस्थानों (आईआईएम) में इस प्लेसमेंट सीजन में छात्र नौकरी पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. आईआईएम कोझिकोड के निदेशक ने कहा कि प्लेसमेंट में आ रही मंदी हर किसी को प्रभावित करेगी, लेकिन अलग-अलग अनुपात में.
नई दिल्ली: सरकार द्वारा रोजगार सृजन के ढेरों दावों के बीच ऐसे आंकड़े सामने आते रहे हैं जो बताते हैं कि स्थिति उतनी अच्छी नहीं है, जितनी बताई जा रही है. अब तक कहा जाता था कि आम संस्थानों के विद्यार्थियों को नौकरियां नहीं मिल रही हैं, लेकिन अब एक रिपोर्ट में सामने आया है कि देश के शीर्ष शैक्षणिक संस्थानों के छात्र-छात्राएं भी रोजगार के संकट से दो-चार हैं.
इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, देश के शीर्ष इंजीनियरिंग संस्थान ही नहीं हैं, बल्कि भारत के भारतीय प्रबंधन संस्थानों (आईआईएम) में भी इस प्लेसमेंट सीजन में छात्र नौकरी पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. विभिन्न आईआईएम में या तो फाइनल प्लेसमेंट चल रहे हैं या जल्द ही शुरू होने वाले हैं.
अख़बार से बात करते हुए संस्थानों के अधिकारियों और छात्रों ने बताया कि अहमदाबाद, बेंगलुरु, कलकत्ता, लखनऊ, इंदौर और कोझिकोड के शीर्ष आईआईएम में प्लेसमेंट के लिए यह साल अब तक का सबसे मुश्किल साल साबित हो रहा है.
अखबार से बात करने वाले कई लोग अपनी पहचान या अपने संस्थान का नाम नहीं बताना चाहते थे. अख़बार के अनुसार, नौकरियों में गिरावट की वजह वैश्विक मंदी, कम आईटी खर्च, कंसल्टिंग में कमी, कोविड के दौरान हुई अधिक नियुक्तियां हैं.
आईआईएम कोझिकोड के निदेशक देबाशीष चटर्जी ने कहा, ‘यह मंदी हर किसी को प्रभावित करेगी, लेकिन अलग-अलग अनुपात में. जब कोई कमी होती है, तो कंपनियां जांचे-परखे संस्थानों पर दांव लगाती हैं. हम सभी को नौकरी देने के बारे में चिंतित नहीं हैं, लेकिन लोगों को उनकी मनचाही नौकरियां मिल भी सकती हैं और नहीं भी.’
आईआईएम अहमदाबाद में प्लेसमेंट चेयरपर्सन अंकुर सिन्हा ने कहा कि यह साल प्लेसमेंट के लिए मुश्किल है. इस स्थिति में अग्रणी बहुराष्ट्रीय (मल्टीनेशनल) कंपनियों से आने वाले ऑफर्स में औसतन लगभग 10-15% की कमी की उम्मीद है. इसमें कोई शक नहीं है कि यह साल उनके लिए हाल के वर्षों से अलग है.’
आईआईएम में शीर्ष नियोक्ता (रिक्रूटर) में से एक कंसल्टिंग फर्म हैं, जिनकी तरफ से आने वाले जॉब ऑफर्स में इस साल स्पष्ट कमी देखी गई है.
इस मुश्किल का हल ढूंढने के लिए संस्थान पूर्व छात्रों के नेटवर्क संपर्क कर रहे हैं और निजी इक्विटी और निजी इक्विटी फर्मों और भारतीय समूहों सहित नए रिक्रूटर्स को बुला रहे हैं.
आईआईएम अहमदाबाद में फाइनल प्लेसमेंट अगले महीने शुरू होने वाले हैं. अंकुर सिन्हा कहते हैं, ‘शैक्षणिक संस्थानों के लिए रिक्रूटर्स के एक बड़े समूह के साथ दीर्घकालिक रिश्ता रखना महत्वपूर्ण है ताकि कंपनियों के किसी एक समूह से ऑफर्स में हुए नुकसान की भरपाई दूसरे समूह से हो सके.’ उन्होंने जोड़ा कि वे बेहतर स्थिति में हैं क्योंकि वे अपने पोर्टफोलियो में विविधता लाने के लिए बड़ी संख्या में कंपनियों के साथ जुड़े हुए हैं.
देबाशीष चटर्जी कहते हैं, ‘यह मंदी अन्य कंपनियों के लिए एक अवसर बन सकती है, जिन्हें छात्र सामान्य स्थिति में पसंद नहीं करते हैं.’
शीर्ष तीन आईआईएम में से एक के पूर्व छात्र रिटेल क्षेत्र की एक कंपनी के मुख्य कार्यकारी ने बताया कि उनके संस्थान के छात्र प्लेसमेंट के लिए उनके पास पहुंचे थे.लेकिन दुर्भाग्य से, हमारे पास कैंपस हायरिंग की कोई योजना नहीं है.
एक स्टार्टअप के सीईओ और आईआईएम के पूर्व छात्र ने भी कहा कि हालात खराब हैं. उन्होंने बताया कि उनके संस्थान ने उनसे संपर्क किया था, लेकिन वह मदद नहीं कर सके क्योंकि वह एमबीए फ्रेशर्स को काम पर नहीं रखते हैं.
शीर्ष आईआईएम में से एक के एक छात्र, जो पहले समर प्लेसमेंट के दौरान छात्रों की मदद के लिए पूर्व छात्रों के सदस्यों के पास पहुंचे थे, ने बताया कि वे फाइनल प्लेसमेंट के दौरान भी ऐसा ही करने वाले हैं क्योंकि बाजार में मंदी जारी है. उन्होंने कहा, ‘हम यह सुनिश्चित करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं कि हर कोई नौकरी लेकर ही निकले, लेकिन राह मुश्किल दिख रही हैं. स्थिति ठीक नहीं है.’
कुछ आईआईएम में फाइनल प्लेसमेंट सीज़न कम से कम एक सप्ताह और बढ़ सकता है. देश के पुराने आईआईएम में से एक के छात्र ने कहा, ‘यह किसी शीर्ष आईआईएम के लिए काफी असामान्य स्थिति है क्योंकि पूरे बैच के पास पहले के कुछ हफ्तों में नौकरी के ऑफर्स हुआ करते थे.’
कुछ प्रमुख आईआईएम ऑफर की संख्या या वेतन पैकेज या दोनों में गिरावट की उम्मीद कर रहे हैं. एक अन्य आईआईएम परिसर के एक छात्र ने कहा, ‘हमारे पास कुछ कंपनियां हैं जो पिछले साल की तुलना में कम वेतन पर नौकरियां दे रही हैं.’