कोचिंग सेंटर 16 साल से कम आयु के छात्रों को प्रवेश न दें, भ्रामक वादे न करें: सरकारी दिशानिर्देश

कोचिंग संस्थानों को विनियमित करने के लिए शिक्षा मंत्रालय द्वारा जारी नए दिशानिर्देशों में कोचिंग की गुणवत्ता, छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य, वहां पढ़ाने वाले शिक्षकों और फीस को लेकर नियम बनाए गए हैं. इनका अनुपालन सुनिश्चित करने और संस्थानों से जवाबदेही का ज़िम्मा राज्य सरकारों का होगा.

(प्रतीकात्मक फोटो साभार: Pixabay)

कोचिंग संस्थानों को विनियमित करने के लिए शिक्षा मंत्रालय द्वारा जारी नए दिशानिर्देशों में कोचिंग की गुणवत्ता, छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य, वहां पढ़ाने वाले शिक्षकों और फीस को लेकर नियम बनाए गए हैं. इनका अनुपालन सुनिश्चित करने और संस्थानों से जवाबदेही का ज़िम्मा राज्य सरकारों का होगा.

(प्रतीकात्मक फोटो साभार: Pixabay)

नई दिल्ली: शिक्षा मंत्रालय द्वारा घोषित नए दिशानिर्देशों के अनुसार, कोचिंग सेंटर 16 वर्ष से कम उम्र के छात्रों को दाखिल नहीं कर सकते, और रैंक या अच्छे अंक की गारंटी देने वाले भ्रामक वादे नहीं कर सकते.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, कोचिंग संस्थानों को विनियमित करने के लिए दिशानिर्देश एक कानूनी ढांचे की जरूरत को पूरा करने और निजी कोचिंग केंद्रों की अनियमित बढ़ोतरी संभालने के मकसद से तैयार किए गए हैं. इन्हें छात्रों की आत्महत्या के बढ़ते मामलों, कोचिंग सेंटर में आग की घटनाओं, सुविधाओं की कमी के साथ-साथ उनके द्वारा अपनाई जाने वाली शिक्षण पद्धतियों के बारे में सरकार को मिली शिकायतों मद्देनज़र लाया गया है.

कोचिंग की गुणवत्ता

दिशानिर्देशों में कहा गया है, ‘कोई भी कोचिंग सेंटर स्नातक से कम योग्यता वाले ट्यूटर्स को नियुक्त नहीं करेगा. संस्थान कोचिंग सेंटरों में छात्रों के नामांकन के लिए माता-पिता को भ्रामक वादे या रैंक या अच्छे अंक की गारंटी नहीं दे सकते. संस्थान 16 वर्ष से कम उम्र के छात्रों का नामांकन नहीं कर सकते. छात्र नामांकन सेकेंडरी स्कूल की परीक्षा के बाद ही होना चाहिए.’

आगे कहा गया है, ‘कोचिंग संस्थान कोचिंग की गुणवत्ता या वहां दी जाने वाली सुविधाओं या ऐसे कोचिंग सेंटर या उनकी क्लास  में शामिल हुए किसी विद्यार्थी द्वारा प्राप्त परिणाम के प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से किसी भी दावे से संबंधित किसी भी भ्रामक विज्ञापन को प्रकाशित नहीं कर सकते हैं या करवा सकते हैं या प्रकाशन में भाग नहीं ले सकते हैं.’

दिशानिर्देश यह भी कहते हैं कि कोचिंग सेंटर किसी भी ट्यूटर या ऐसे व्यक्ति की सेवाएं नहीं ले सकते, जो नैतिक कदाचार से जुड़े किसी भी अपराध के लिए दोषी ठहराया गया हो. कोई भी संस्थान तब तक पंजीकृत नहीं होगा जब तक कि उसके पास इन दिशानिर्देशों की आवश्यकता के अनुसार परामर्श प्रणाली न हो.

दिशानिर्देशों में कहा गया है, ‘कोचिंग सेंटरों की एक वेबसाइट हो, जिस पर ट्यूटर्स की योग्यता, पाठ्यक्रम/करिकुलम, इसके पूरा होने की अवधि, छात्रावास सुविधाओं और ली जाने वाली फीस के अपडेटेड विवरण दर्ज हों.’

छात्रों का मानसिक स्वास्थ्य

नए दिशानिर्देशों के अनुसार, छात्रों पर कड़ी प्रतिस्पर्धा और शैक्षणिक दबाव के कारण, कोचिंग सेंटरों को छात्रों की मानसिक स्वास्थ्य के लिए कदम उठाना चाहिए और उन पर अनावश्यक दबाव डाले बिना कक्षाएं चलानी चाहिए.

गाइडलाइन्स कहती हैं, ‘उन्हें मुश्किल और तनावपूर्ण स्थितियों में छात्रों को लक्षित और निरंतर मदद देने के लिए तत्काल हस्तक्षेप के लिए एक तंत्र स्थापित करना चाहिए. सक्षम प्राधिकारी यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठा सकता है कि कोचिंग सेंटर द्वारा एक परामर्श प्रणाली (काउंसलिंग सिस्टम) विकसित किया जाए और यह छात्रों और अभिभावकों के लिए आसानी से उपलब्ध हो.’

दिशानिर्देशों के अनुसार, ‘सभी छात्रों और अभिभावकों को साइकोलॉजिस्ट, काउंसलरों के नाम और उनके उपलब्ध होने के समय के बारे में जानकारी दी जा सकती है. छात्रों और अभिभावकों के लिए प्रभावी मार्गदर्शन और परामर्श की सुविधा के लिए कोचिंग सेंटर में प्रशिक्षित परामर्शदाताओं को नियुक्त किया जा सकता है.’

इसमें यह भी जिक्र किया गया है कि ट्यूटर ‘छात्रों को उनके सुधार के क्षेत्रों के बारे में प्रभावी ढंग से और संवेदनशील रूप से जानकारी देने के लिए मानसिक स्वास्थ्य संबंधी प्रशिक्षण ले सकते हैं.’

मानसिक स्वास्थ्य को लेकर फ्रेमवर्क बनाने वाले दिशानिर्देश साल 2023 में कोचिंग हब कोटा में छात्र आत्महत्याओं की पृष्ठभूमि में आए हैं. पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, इस साल विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे 26 छात्रों की आत्महत्या से मृत्यु हो गई, जो 2015 के बाद से सबसे अधिक है. आंकड़ों के मुताबिक, कोटा में 2022 में 15, 2019 में 18, 2018 में 20, 2017 में 7, 2016 में 17 और 2015 में 18 छात्रों की मौत आत्महत्या से हुई है. 2020 और 2021 में छात्रों की आत्महत्या का कोई मामला सामने नहीं आया था.

फ़ीस के नियम

दिशानिर्देशों के अनुसार, विभिन्न पाठ्यक्रमों और करिकुलम के लिए ली जाने वाली ट्यूशन फीस उचित हो और ली गई फीस की रसीद उपलब्ध कराई जाए.

‘यदि किसी छात्र ने पाठ्यक्रम के लिए पूरा भुगतान कर दिया है और निर्धारित अवधि के बीच में पाठ्यक्रम छोड़ रहा है, तो छात्र को शेष अवधि के लिए पहले जमा की गई फीस में से आनुपातिक आधार पर 10 दिनों के भीतर वापस कर दिया जाएगा. अगर छात्र कोचिंग सेंटर के छात्रावास में रह रहा था तो छात्रावास शुल्क और मेस शुल्क आदि भी वापस कर दिया जाए. किसी भी परिस्थिति में, किसी विशेष पाठ्यक्रम और अवधि के लिए जिस शुल्क के आधार पर नामांकन किया गया है, वह पाठ्यक्रम की अवधि के दौरान नहीं बढ़ाया जाएगा.’

दंड और जवाबदेही  

इन दिशानिर्देशों के अमल को सुनिश्चित करने के लिए केंद्र ने सुझाव दिया है कि ऐसे कोचिंग सेंटर जो छात्रों से अत्यधिक शुल्क वसूलते हैं, जिससे छात्र पर अनुचित तनाव आता है जो आत्महत्या का कारण बन सकता है या अन्य किसी कदाचार के लिए  1 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जाना चाहिए या उनका पंजीकरण रद्द कर दिया जाना चाहिए.

कोचिंग संस्थानों की उचित निगरानी सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने दिशानिर्देश लागू होने के तीन महीने के भीतर नए और मौजूदा केंद्रों के रजिस्ट्रेशन का प्रस्ताव दिया है.

नए नियमों के अनुसार, कोचिंग सेंटर की गतिविधियों की निगरानी और पंजीकरण की जरूरी पात्रता की पूर्ति और कोचिंग सेंटर की संतोषजनक गतिविधियों के संबंध में किसी भी कोचिंग सेंटर के बारे में पूछताछ करने के लिए राज्य सरकार जिम्मेदार होगी.

कहा गया है, ‘यह मानते हुए कि +2 स्तर की शिक्षा का विनियमन राज्य/केंद्र शासित प्रदेश सरकारों की जिम्मेदारी है, इन संस्थानों को राज्य/केंद्र शासित प्रदेश सरकारों द्वारा सबसे अच्छी तरह विनियमित किया जा सकता है.’