टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (टिस) ने एक नोटिस जारी कर छात्रों को ‘राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह’ के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने पर क़ानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा कार्रवाई की चेतावनी दी. वहीं, आईआईटी बॉम्बे के एक छात्र संगठन ने 22 जनवरी को परिसर में होने वाले कार्यक्रमों पर आपत्ति जताई है.
नई दिल्ली: बीते 18 जनवरी को महाराष्ट्र के मुंबई स्थित टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (TISS/टिस) ने छात्रों को एक नोटिस जारी कर 22 जनवरी को होने वाले ‘राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह’ के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने पर कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा कार्रवाई की चेतावनी दी है.
वहीं, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) बॉम्बे के छात्रों के एक समूह ने उसी दिन (22 जनवरी) परिसर में होने वाले कार्यक्रमों पर आपत्ति जताई है और आरोप लगाया है कि ये राजनीतिक कार्यक्रम हैं.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, टिस प्रशासन द्वारा जारी नोटिस में कहा गया है, ‘संस्थान के संज्ञान में यह लाया गया है कि कुछ छात्र 22 जनवरी को राम जन्मभूमि के प्राण प्रतिष्ठा समारोह के खिलाफ टिस के पुराने/नए परिसर में विरोध प्रदर्शन आयोजित करने की योजना बना रहे हैं. हम छात्रों को ऐसी किसी भी अनधिकृत गतिविधियों में शामिल न होने की सलाह देते हैं और हम छात्रों को सख्त चेतावनी भी देते हैं कि वे ऐसी किसी भी गतिविधि या प्रदर्शन में भाग न लें, ऐसा न करने पर कानून-प्रवर्तन एजेंसी ऐसी गतिविधियों में शामिल पाए जाने वाले छात्रों के खिलाफ आवश्यक कार्रवाई करेगी. कृपया इस पर तत्काल ध्यान दें और अपना ख्याल रखें.’
प्रशासन के मुताबिक यह एहतियाती कदम है. प्रशासन का रुख समझाते हुए एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘विचार शैक्षणिक संस्थान के परिसर में शांतिपूर्ण माहौल बनाए रखने का है.’
हालांकि, इस नोटिस ने छात्रों को चौंका दिया है. इस पर सवाल उठाते हुए कि एक छात्र ने कहा, ‘यह अजीब है क्योंकि किसी भी छात्र संगठन द्वारा 22 जनवरी को कोई विरोध प्रदर्शन करने की कोई औपचारिक या अनौपचारिक घोषणा नहीं की गई है.’
एक अन्य छात्र ने एक अलग नोटिस की ओर इशारा किया, जिसमें उन्हें परिसर में कोई भी कार्यक्रम आयोजित करने से मना किया गया है, क्योंकि प्रशासन यूजीसी द्वारा अनिवार्य कार्यक्रमों के अलावा अन्य आयोजनों के लिए दिशानिर्देशों को फिर से तैयार करने जा रहा है.
नोटिस में यह भी कहा गया है, ‘एक समावेशी भागीदारी वातावरण बनाने के लिए परिसर में सभी संवादों और बहसों के लिए सक्षम प्राधिकारी ने आयोजनों, सेमिनारों, व्याख्यान श्रृंखलाओं और ऑडियो-विज़ुअल सामग्रियों की स्क्रीनिंग के लिए मौजूदा दिशानिर्देशों को फिर से तैयार करने का निर्णय लिया है. तब तक ऐसी सभी गतिविधियां और आयोजन निलंबित हैं.’
आईआईटी बॉम्बे में 22 जनवरी को होने वाले कार्यक्रमों पर आपत्ति
इसके अलावा, आईआईटी बॉम्बे के एक अनौपचारिक छात्र संगठन अंबेडकर पेरियार फुले स्टडी सर्कल (एपीपीएससी) ने परिसर में 22 जनवरी को होने वाले कार्यक्रमों पर आपत्ति जताई है. यह कहते हुए कि ये आयोजन राजनीतिक कार्यक्रम आयोजित करने पर संस्थान द्वारा हाल ही में घोषित दिशानिर्देशों के खिलाफ हैं.
The institute has reportedly given permission to a procession called "Shriram darbar shobha yatra" happening on 21st January in campus. The Director will be inaugurating a Goshala on 22nd. Another musical event called "Ramdhun" will be happening on 20th.
— APPSC IIT Bombay (@AppscIITb) January 19, 2024
छात्र संगठन द्वारा एक्स पर एक पोस्ट में कहा गया है, ‘संस्थान ने कथित तौर पर 21 जनवरी को परिसर में होने वाले ‘श्रीराम दरबार शोभा यात्रा’ नामक जुलूस की अनुमति दे दी है.
आगे कहा गया, ‘निदेशक 22 जनवरी को एक ‘गोशाला’ का उद्घाटन करेंगे. ‘रामधुन’ नामक एक और संगीत कार्यक्रम 20 जनवरी को होगा. हालांकि हाल ही में संस्थान ने घोषणा की थी कि वह ‘अपने सभी प्रयासों में अराजनीतिक रहेगा’. वह परिसर में कई शैक्षणिक वार्ताओं और समारोहों को रद्द और सेंसर करने के लिए नए दिशानिर्देशों का उपयोग कर रहा है.’
We condemn the surrender of this institute in front of the right wing political forces while on the other hand it continues to suppress any activity by the independent student collectives.
— APPSC IIT Bombay (@AppscIITb) January 19, 2024
आयोजनों को उचित ठहराते हुए संस्थान के प्रवक्ता ने बताया कि दिशानिर्देश अंतरिम हैं. गोशाला के उद्घाटन के संबंध में यह रेखांकित करते हुए कि सभी कार्यक्रम आधिकारिक नहीं हैं, प्रवक्ता ने कहा, ‘परिसर में मानव-पशु संघर्ष को कम करने के लिए इसकी बहुत आवश्यकता है. पुरानी गोशाला बुरी हालत में है. हमने इसकी मरम्मत और नवीनीकरण किया है.’