बंगाल शिक्षा बोर्ड के मुताबिक, क़रीब चार दशक पहले 1983 में 66 लोगों के एक समूह ने शिक्षकों की नौकरी की मांग को लेकर केस दायर किया था. 40 साल बाद दिसंबर 2023 में कलकत्ता हाईकोर्ट ने उनकी भर्ती का आदेश दिया था. इनमें से तीन की मौत हो चुकी है. बोर्ड ने कहा कि अदालत के आदेश पर कार्य करते हुए इन लोगों को नियुक्ति-पत्र भेजे गए थे.
नई दिल्ली: हुगली के फुरफुरा शरीफ के रहने वाले तुषार बनर्जी को पश्चिम बंगाल बोर्ड ऑफ प्राइमरी एजुकेशन से एक पत्र मिला, जिसमें बताया गया कि उन्हें एक सरकारी स्कूल में शिक्षक के रूप में नियुक्त किया गया है. जॉब लेटर पाकर तुषार उत्साहित होने की बजाय वह निराश नजर आए, क्योंकि वह अब 65 वर्ष के हो गए हैं.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, वह अकेले नहीं हैं, जिन्हें इस तरह का जॉब लेटर मिला है. 60 वर्ष की सेवानिवृत्ति आयु से ऊपर के 66 लोगों को इस नौकरी का नियुक्ति-पत्र मिला है और इनमें से तीन अब जीवित नहीं हैं.
विवाद के बाद शिक्षा बोर्ड ने इसे अपनी ओर से ‘नकली पास’ (faux pass) करार दिया और कहा कि कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश पर कार्य करते हुए 66 लोगों को नियुक्ति-पत्र भेजे गए थे.
शिक्षा बोर्ड के मुताबिक, करीब चार दशक पहले 1983 में 66 लोगों के एक समूह ने शिक्षकों की नौकरी की मांग को लेकर केस दायर किया था. लगभग 40 साल बाद दिसंबर 2023 में कलकत्ता हाईकोर्ट ने उनकी भर्ती का आदेश दिया था.
हुगली जिला प्राथमिक शिक्षा बोर्ड की अध्यक्ष शिल्पा नंदी ने कहा, ‘नकली पास इसलिए जारी हो गया, क्योंकि 66 लोगों की सूची में लोगों के सिर्फ नाम और पते थे, उनकी उम्र का जिक्र नहीं था. चूंकि हाईकोर्ट के आदेश में कहा गया है कि उन्हें 2014 से शिक्षक माना जाना चाहिए, हमने नियुक्ति-पत्र भेजे हैं.’
पांडुआ के 71 वर्षीय अचिंत्य अदक को कम से कम सेवानिवृत्ति लाभ मिलने की उम्मीद है. उन्होंने कहा, ‘हमने 1983 में मामला दायर किया था. तब मैं 31 साल का था. अब, मैं 71 साल का हूं. अब यह नौकरी पाकर मैं क्या करूंगा?’