केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने सभी स्कूलों और उच्च शिक्षा संस्थानों को अगले तीन वर्षों के भीतर भारतीय भाषाओं में हर पाठ्यक्रम के लिए अध्ययन सामग्री डिजिटल रूप से उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है. मंत्रालय ने कहा कि यह क़दम राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप भारतीय भाषाओं में शिक्षा को बढ़ावा देने के सरकार के प्रयासों के क्रम में है.
नई दिल्ली: केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने बीते शुक्रवार (19 जनवरी) को एक बयान में कहा कि सरकार ने सभी स्कूलों और उच्च शिक्षा संस्थानों को अगले तीन वर्षों के भीतर भारतीय भाषाओं में हर पाठ्यक्रम के लिए अध्ययन सामग्री डिजिटल रूप से उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है.
मंत्रालय ने कहा, यह कदम राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के अनुरूप भारतीय भाषाओं में शिक्षा को बढ़ावा देने के सरकार के प्रयासों के क्रम में है, जिसमें कल्पना की गई थी कि ‘सार्वजनिक और निजी दोनों तरह के उच्च गुणवत्ता वाले उच्च शिक्षा संस्थानों को विकसित करने की दिशा में कदम उठाए जाएंगे, जिनमें शिक्षा का माध्यम स्थानीय/भारतीय भाषाओं या द्विभाषी हो’.
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, इसमें कहा गया है कि छात्रों को अपनी भाषा में अध्ययन करने का अवसर प्रदान करने के उद्देश्य से स्कूल और उच्च शिक्षा के तहत सभी पाठ्यक्रमों के लिए अध्ययन सामग्री भारतीय भाषाओं में डिजिटल रूप से उपलब्ध कराई जाएगी.
शुक्रवार को जारी एक आदेश में शिक्षा मंत्रालय ने सभी स्कूल और उच्च शिक्षा नियामकों को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी), अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई), राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी), राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय और राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (आईआईटी), राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) और अन्य केंद्रीय विश्वविद्यालय के प्रमुखों को अगले तीन वर्षों में सभी पाठ्यक्रमों के लिए भारतीय भाषाओं में अध्ययन सामग्री उपलब्ध कराने का निर्देश दिया.
मंत्रालय ने कहा, ‘यूजीसी, एआईसीटीई और स्कूल शिक्षा विभाग को भी राज्य के स्कूलों और विश्वविद्यालयों के संबंध में मुद्दा उठाने के लिए कहा गया है.’
आगे कहा गया है, ‘उपरोक्त निर्देश हर स्तर पर शिक्षा में बहुभाषावाद को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति की सिफारिशों से उभरे हैं, ताकि छात्रों को अपनी भाषा में अध्ययन करने का अवसर मिले और सीखने के बेहतर परिणाम मिल सकें. अपनी भाषा में अध्ययन करने से छात्र को बिना किसी भाषाई बाधा के नवोन्मेषी ढंग से सोचने का स्वाभाविक अवसर मिल सकता है.’
मंत्रालय ने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि एनईपी 2020 दृढ़ता से इस विचार को व्यक्त करता है कि भारत की बहुभाषी प्रकृति इसकी विशाल संपत्ति और ताकत है, जिसे राष्ट्र के सामाजिक-सांस्कृतिक, आर्थिक और शैक्षणिक विकास के लिए कुशलतापूर्वक उपयोग करने की आवश्यकता है.
मंत्रालय ने कहा, ‘स्थानीय भाषाओं में सामग्री निर्माण इस बहुभाषी संपत्ति को बढ़ावा देगा और 2047 तक हमारे देश को एक विकसित राष्ट्र बनाने के लिए ‘विकसित भारत’ में इसके बेहतर योगदान का मार्ग प्रशस्त करेगा.’
सरकार पिछले दो वर्षों से इस दिशा में काम कर रही है. इंजीनियरिंग, मेडिकल, कानून, स्नातक, स्नातकोत्तर और कौशल पुस्तकों का अनुवाद एआई-आधारित ऐप ‘अनुवादिनी’ के माध्यम से किया जा रहा है.
ये पुस्तकें ई-कुंभ पोर्टल पर उपलब्ध हैं.
स्कूली शिक्षा पारिस्थितिकी तंत्र में भी अध्ययन सामग्री कई भारतीय भाषाओं में उपलब्ध है, जिसमें ‘दीक्षा’ (DIKSHA) पर 30 से अधिक भाषाएं शामिल हैं. संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेईई), राष्ट्रीय पात्रता प्रवेश परीक्षा (एनईईटी) और सामान्य विश्वविद्यालय प्रवेश परीक्षा जैसी प्रतियोगी परीक्षाएं भी 13 भारतीय भाषाओं में आयोजित की जा रही हैं.